आदर्श रणनीति

लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है

लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है
बाकी करेंसी के मुकाबले रुपया काफी स्थिर
FY23 में GDP ग्रोथ 7.1% रहने का अनुमान
GST कलेक्शन में 33% की बढ़ोतरी के आंकड़े
कॉर्पोरेट प्रोफेटिबिलिटी में सुधार के संकेत

लिक्विडिटी और वोलेटाइल क्या है Difference between liquidity and volatility

शेयर मार्केट में कुछ समय से या पहले से निवेश करने वाले निवेशकों को लिक्विडिटी के बारे में जानकारी होती है परंतु यदि आपने निवेशक है और लिक्विडिटी शब्द से अपरिचित है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आज हम आपको लिक्विडिटी क्या है इस बारे में जानकारी देंगे।

लिक्विडिटी शेयर मार्केट में एक परिस्थिति है जो यह दर्शाती है कि किसी कंपनी के शेयर को कितनी तेजी में खरीदा गया और उतनी ही तेजी से नकदी में बेच दिया गया। उदाहरण -: रमेश ने एक कंपनी के हजार शेयर ₹200 में खरीदे और उसे ₹220 में बेच दिए।

इस तरह कहा जा सकता है कि शेयर की लिक्विडिटी अधिक है। ‌

वोलेटाइल क्या है?

वोलेटाइल वह कीमत है जिस पर किसी भी दिए गए सेट की प्रतिभूतियों की कीमत बढ़ जाती है या घट जाती है। यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है तो वह अत्याधिक अस्थिर वोलेटाइल कहलायेगा।

इसी तरह यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में धीरे-धीरे उतार-चढ़ाव हो रहा है तो वह कम वोलेटाइल कहलाएगा। उदाहरण -: रमेश शेयर बाजार में सूचीबद्ध एक कंपनी में अक्सर ट्रेडिंग करता रहता है और एक दिन उस कंपनी के शेयर की कीमत 100 से बढ़कर 120 हो गई। यहां इस बढ़ती हुई कीमत को हम अस्थिर वोलेटाइल मानेंगे।

शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल का क्या महत्व है?

अब हम आपको शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल की महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी देंगे।

शेयर बाजार में लिक्विडिटी की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वह इस बात पर प्रकाश डालती है कि किसी भी स्टॉक में निवेशक कितनी जल्दी उसे खरीद सकता है तथा उसे बेचकर बंद कर सकता है। लिक्विडिटी में जोखिम कम होता है क्योंकि यहां पर एक अन्य निवेशक हमेशा दूसरे पक्ष की तरफ से तैयार रहता है। जिस बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति अत्याधिक होती है वहां पर सट्टेबाजों और निवेशकों का आकर्षण होना सामान्य है। एक लिक्विडिटी शेयर में निम्न विधि होती है जबकि पूरे बाजार में लिक्विडिटी की परिस्थिति अधिक होती है।

एसेट एलोकेशन क्यों जरूरी?

रिस्क कंट्रोल का बेहतर जरिया है असेट एलोकेशन
निवेश को अलग-अलग असेट क्लास में बांटना
हर असेट क्लास पर बदलावों का अलग-अलग असर
महंगाई, अनिश्चित बाजार, ब्याज दरों असर निवेश पर
गिरते बाजार में अगर इक्विटी गिरेगा तो सोना चढ़ेगा
ब्याज दरों में गिरावट का डेट पर असर
ग्रोथ ओरिएंटेड-इक्विटी और रियल एस्टेट
डिफेंस ओरिएंटेड-डेट और कमोडिटी

एसेट क्लास रिटर्न(3 साल) रिस्क
स्टॉक 10-18% 15%
इक्विटी MF 12-14% 13%
PMS 14-30% 15-18%
डेट MF 5-7% 1.5%
FD 3-6% -
PPF 7% -

कैसे तय करें एसेट एलोकेशन?

-लक्ष्य आधारित
-निवेश अवधि आधारित
-जोखिम क्षमता आधारित
-लिक्विडिटी आधारित

5 साल से अधिक लक्ष्य-80%इक्विटी,20%डेट
3-5 साल लक्ष्य-70% इक्विटी,30% डेट
लो इनकम स्लैब में हैं,डेट MF,PPF,FD सही
हाई इनकम स्लैब में डेट MF सही
लंबी अवधि लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है के लक्ष्यों के लिए इक्विटी में निवेश करें

एसेट एलोकेशन कब बदलें?

हर साल पोर्टफोलियो रिव्यू करें
जरूरत पड़ने पर ही रीबैलेंस करें
एलोकेशन बदलने पर रीबैलेंस जरूरी
अतिरिक्त फंड आने पर पोर्टफोलियो री-एडजस्ट करें

एसेट एलोकेशन (लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है asset allocation) बिगड़ने पर रीबैलेंसिंग करें
पोर्टफोलियो बार-बार रीबैलेंस नहीं करें
सिर्फ बाजार की उथल-पुथल पर रीबैलेंस नहीं करें
एक ही कैटेगरी के फंड को रीबैलेंस नहीं करें
अच्छे प्रदर्शन वाले फंड रीडीम नहीं करें
छोटी अवधि के प्रदर्शन पर रीबैलेंस नहीं करें

कॉरपोरेट बॉन्ड फंड : स्थिर रिटर्न और जोखिम भी नहीं

कॉरपोरेट बॉन्ड फंड : स्थिर रिटर्न और जोखिम भी नहीं

नई दिल्ली । कॉरपोरेट बॉन्ड को नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) भी कहा जाता है। कंपनियां बैंक लोन के विकल्प के रूप में कॉरपोरेट बॉन्ड जारी कर पैसे जुटाती हैं। यह एक तरह का कर्ज है जिसके बदले कंपनियां ब्याज चुकाती हैं। किसी कंपनी का कॉरपोरेट बॉन्ड कितना सुरक्षित है, इसके लिए क्रेडिट रेटिंग ऐजेंसियां रेटिंग जारी करती हैं। शॉर्ट और लॉन्ग टर्म के लिए अलग-अलग रेटिंग जारी होती है।

ऐसे काम करते हैं कॉरपोरेट बॉन्ड फंड-
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड डेट म्यूचुअल फंड स्कीम हैं, जो कंपनियों के बॉन्ड या एनसीडी में निवेश करती हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स को कुल राशि (एयूएम) का कम से कम 80 फीसदी हिस्सा सर्वोच्च रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड में लगाना होता है।

लिक्विडिटी और वोलेटाइल क्या है Difference between liquidity and volatility

शेयर मार्केट में कुछ समय से या पहले से निवेश करने वाले निवेशकों को लिक्विडिटी के बारे में जानकारी होती है परंतु यदि आपने निवेशक है और लिक्विडिटी शब्द से अपरिचित है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आज हम आपको लिक्विडिटी क्या है इस बारे में जानकारी देंगे।

लिक्विडिटी शेयर मार्केट में एक परिस्थिति है जो यह दर्शाती है कि किसी कंपनी के शेयर को कितनी तेजी में खरीदा गया और उतनी ही तेजी से नकदी में बेच दिया गया। उदाहरण -: रमेश ने एक कंपनी के हजार शेयर ₹200 में खरीदे और उसे ₹220 में बेच दिए।

इस तरह कहा जा सकता है लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है कि शेयर की लिक्विडिटी अधिक है। ‌

वोलेटाइल क्या है?

वोलेटाइल वह कीमत है जिस पर किसी भी दिए गए सेट की प्रतिभूतियों की कीमत बढ़ जाती है या घट जाती है। यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है तो वह अत्याधिक अस्थिर वोलेटाइल कहलायेगा।

इसी तरह यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में धीरे-धीरे उतार-चढ़ाव हो रहा है तो वह कम वोलेटाइल कहलाएगा। उदाहरण -: रमेश शेयर बाजार में सूचीबद्ध एक कंपनी में अक्सर ट्रेडिंग करता रहता है और एक दिन उस कंपनी के शेयर की कीमत 100 से बढ़कर 120 हो गई। यहां इस बढ़ती हुई कीमत को हम अस्थिर वोलेटाइल मानेंगे।

शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल का क्या महत्व है?

अब हम आपको शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल की महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी देंगे।

शेयर बाजार में लिक्विडिटी की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वह इस बात पर प्रकाश डालती लिक्विडिटी जोखिम का क्या मतलब है है कि किसी भी स्टॉक में निवेशक कितनी जल्दी उसे खरीद सकता है तथा उसे बेचकर बंद कर सकता है। लिक्विडिटी में जोखिम कम होता है क्योंकि यहां पर एक अन्य निवेशक हमेशा दूसरे पक्ष की तरफ से तैयार रहता है। जिस बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति अत्याधिक होती है वहां पर सट्टेबाजों और निवेशकों का आकर्षण होना सामान्य है। एक लिक्विडिटी शेयर में निम्न विधि होती है जबकि पूरे बाजार में लिक्विडिटी की परिस्थिति अधिक होती है।

वोलेटाइल

वोलेटाइल से निवेशकों को किसी विशेष शेयर्स की ओर ट्रेड करने के लिए आकर्षित किया जाता है। किसी शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होने का मतलब है अधिक वोलेटाइल तथा किसी शेयर की कीमत में घटोती का मतलब वोलेटाइल।

यदि आप liquidity and volatility का प्रयोग करना चाहते हैं तो आप शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म ट्रेडज को अंजाम दे क्योंकि शॉर्ट टर्म ट्रेड्स धीमी गति से कार्य करते हैं तथा कम समय में लाभ प्रदान करते हैं।‌

इस आर्टिकल में हमने आपको लिक्विडिटी और वोलेटाइल के बारे में जानकारी प्रदान की है। जो लोग शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं परंतु liquidity and volatility से अंजान है तो उनके साथ हमारा यह आर्टिकल साझा करें। उम्मीद करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा।

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