आदर्श रणनीति

फाइनेंस का महत्त्व

फाइनेंस का महत्त्व
स्वास्थ्य बीमा के फायदे

The Importance of Health Insurance | स्वास्थ्य बीमा का महत्व

Needs and Importance of Health Insurance| हेल्थ इन्शुरन्स के फायदे: बीमारी कभी भी बता कर नहीं आती और जब हमें या फैमिली में किसी मेंबर को कोई बीमारी होती है तो हमारी सबसे पहले यही कोशिश होती है की हमें अच्छे से अच्छा ट्रीटमेंट मिले, पर कई बार बीमारियों पर होने वाला खर्च इतना अधिक होता है। की हमें फ़ाइनेंशियल प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है और इलाज भी ठीक से नहीं हो पाता।

इन सब परेशानियों से बचने और जरुरत पढने पर बेस्ट ट्रीटमेंट लेने के लिए ज़रुरी है की स्वास्थ्य बीमा का सहारा लिया जाए। क्या क्यों कैसे के इस आर्टिकल में हम जानेंगे हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी बेनिफिट्स इन हिंदी। जाने स्वस्थ और सेहतमंद रहने का राज

Health Insurance Kya Hai | स्वास्थ्य बीमा क्या है

हेल्थ इन्शुरन्स एक स्वास्थ्य बीमा(Importance of Health Insurance) होता है जो आप की बीमारियों के ट्रीटमेंट पर होने वाले खर्चे को कवर करता है, जिसमे आप हर साल कुछ पैसे इन्शुरन्स कंपनी को देते है जिसे प्रीमियम कहते है।

स्वास्थ्य बीमा २ पारकर का होता है, पहला इंडिविजुअल जिसमे हर व्यक्ति का बीमा अलग से होता है और दूसरे है फॅमिली का जिसमे परिवार के सभी मेंबर्स का बीमा एक साथ होता है।

स्वास्थ्य बीमा के फायदे | Benefits of Health Insurance

सवास्थ्य बीमा क्यों करना चहिये| आइये उदाहरण के साथ समझते फाइनेंस का महत्त्व है की स्वास्थ्य बीमा के फायदे या Benefits of Health Insurance के क्या क्या फायदे है|

Benefits of Health Insurance

स्वास्थ्य बीमा के फायदे

  1. आज के समय में बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च बहुत बढ़ गया है और कुछ बीमारिया तो ऐसी होती है जिसका ट्रीटमेंट करवाने हमारी पहुँच से बहार हो जाता है। ऐसे में आपको हेल्थ इन्शुरन्स(Importance of Health Insurance) मदद कर सकता है। अगर आपके पास हेल्थ इन्सुरनेन्स पालिसी है तो आपकी बीमारी के इलाज पर होने वाला खर्चा इन्शुरन्स कंपनी उठाती है। कंपनी कितना खर्चा करेगी ये आपके हेल्थ प्लान और पालिसी की कंडिशंस पर निर्भर करता है।
  2. हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी का प्रीमियम इतना ज्यादा नहीं होता की आप इसे न करवा सको। उदहारण के लिए अगर आपकी उम्र ३० साल से कम है और आपके परिवार में आपकी वाइफ और एक छोटा बच्चा है। ऐसे में अगर आप ३ लाख का इन्शुरन्स करना चाहते है तो आप को एक साल का ६००० से ७००० के लगभग का प्रीमियम भरना होगा मतलब महीने का ५०० से ६०० रुपये। अगर अगले ३ या ४ साल में कोई बीमार भी पड़ता है तब भी हॉस्पिटल का बिल आपके दवारा भरे हुए प्रीमियम से अधिक होगा।
  3. बाइक और कार के इन्शुरन्स हर कोई करवा लेता है पर कुछ लोग स्वास्थय बीमा पर पैसे लगना जरुरी नहीं समझते। अपने परिवार को फाइनैंशल और हेल्थ सिक्योरिटी देने के लिए हर किसी की हेल्थ इन्शुरन्स(Importance of Health Insurance) और टर्म प्लान लेना चहिये। हेल्थ इन्शुरन्स लेने पर आपको इनकम टैक्स में भी लाभ मिलता है।

How to Get Health Insurance | स्वास्थ्य बीमा कैसे प्राप्त करें

हमारे देश में ज्यादातर लोग हेल्थ इन्शुरन्स(Importance of Health Insurance) नहीं करवाते और जो करवाते है उनमे से भी बहुत से लोगो को स्वास्थय बीमा की ज्यादा जानकारी नहीं होती और इन्शुरन्स एजेंट पर विश्वास कर के पालिसी ले लेते है। बहुत से एजेंट ऐसे होते है जो आपके विश्वास का फायदा उठते है और आपको हेल्थ प्लान की पूरी जानकारी नहीं देते। जिस वजह से आपको बाद में परेशानी होती है। स्वास्थ्य बीमा लेने से पहले कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।

Importance of Health Insurance

Importance of Health Insurance

  1. इन्शुरन्स एजेंट आप को गलत जानकारी दे सकते है इसलिए अपने फॉर्म को खुद भरे और पालिसी से जुडी सभी कंडिशंस को ध्यान से पढ़ ले।
  2. बीमा में कई तरीके के हेल्थ प्लान होते है इसलिए अपनी परिवार की जरुरतो को देखते हुए प्लान का चुनाव करे और पालिसी के फीचर्स के बारे में ऑनलाइन रिसर्च भी करे।
  3. हेल्थ इन्शुरन्स करने वाली कम्पनीज ज्यादा प्रॉफिट बनाने के लिए कॉस्टमेर से पालिसी का प्रीमियम अधिक लेना चाह्ती है। किसी हेल्थ प्लान का प्रीमियम कितना होगा ये आप दवारा बतायी हुई जानकारी पर निर्भर करता है। कम उम्र में प्रीमियम कम होता है और उम्र बढ़ने के साथ साथ प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
  4. आप की पालिसी में कौन कौन सी बीमारिया शामिल नहीं है उसकी जानकारी ले और ये भी जाने कितने समय बाद इन बीमारियो को पालिसी में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि कुछ बीमारिया ऐसी होती है जो पालिसी लेने के पहले २ साल तक पालिसी में शामिल नहीं की जाती इसलिए आपको उन बीमारियो की जानकारी होनी चाहिए।
  5. अगर किसी फॅमिली मेंबर को कोई बीमारी पहले से है तो उसे छुपाये नही। आजकल बीमारियो पर होने वाले खर्च को देखते हुए कम से कम ३ लाख तक का बीमा जरुर करवाए।

Health Insurance Tips | हेल्थ इन्शुरन्स टिप्स

  1. हेल्थ पालिसी लेने पर आप को एक कार्ड बना कर दिया जायेगा। जिससे आप कैश लेस ट्रीटमेंट का बेनिफिट ले सकेंगे, हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़े तो उन्हें अपना पालिसी कार्ड दिखाए।
  2. जिस हॉस्पिटल में एडमिट हुए है अगर वह कैशलेस फैसिलिटी नहीं है तो एडमिट होने के १२ घंटे के अंदर कार्ड पर लिखे हुए नंबर पर कॉल करे और एडमिट होने की जानकारी दे ताकि आपको क्लेम करने में कोई परेशानी न आये।
  3. हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम[Needs of Health Insurance] करते वक़्त सभी रिपोर्ट्स और डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी अपने पास भी रखे। अगर आपको अपना इन्शुरन्स क्लेम करने में कंपनी की तरफ से पेमेंट देने में कोई परेशानी आ रही है तो आप कम्पनी को इसकी कंप्लेंट कर सकते है।
  4. Importance of Health Insurance और इसकी इम्पोर्टेंस तो आप समझ ही गये होंगे। इसलिए आप से यही सलाह है की अपनी जरूरत के हिसाब से सही पालिसी ले और कोई भी पालिसी लेने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी ले ताकि जरुरत के समय आप को कोई परेशानी न हो।

दोस्तो इस लेख(The Importance of Health Insurance या स्वास्थ्य बीमा का महत्व) के दवारा हमारा पर्यास यही है की हम आपको स्वास्थ्य बीमा की अहमियत को समझा सके ताकि आप हॉस्पिटल्स में होने वाले खर्चे की परेशानी से बच सके और आपको जरुरत पड़ने पर अच्छे से अच्छा ट्रीटमेंट मिले। हेल्थ इन्शुरन्स करने के लिए बीमार होने का इन्तजार न करे बल्कि समय रहते ही अपना स्वस्थय बीमा करवाए।

Ghanendra Yadav

I'm Ghanendra Yadav, Self-Starting SEO Specialist with 4+ Years Experience. Skilled at SEO Optimization, Blogging, Programming, Content Marketing, Blogging.

Related Posts

SBI Credit Card Charges in Hindi । SBI Credit Card Charges in 2021

SBI Credit Card Charges in Hindi । SBI Credit Card Charges in 2021

SBI credit card धारक व्यक्ति को SBI credit card charges in hindi की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। SBI Credit Card लेने से पहले जाने …

SBI Account Me Mobile Number Register Kaise Kare हिंदी मैं |

SBI Account Me Mobile Number Register Kaise Kare हिंदी मैं |

सभी बैंको ने अपने ग्राहकों को उनके बैंक अकाउंट से मोबाइल नंबर को जोड़ने की सुविधा बहुत समय पहले ही शुरू कर दी थी …

[5 Tariko Se] Google Pay Se Paise Kaise Kamaye in Hindi

[5 Tariko Se] Google Pay Se Paise Kaise Kamaye in Hindi

Google Pay Se Paise Kaise Kamaye in Hindi: आज के समय में हर इंसान घर बैठे पैसे कमाना चाहता है लेकिन सही तरीका मालूम …

Mobile Se Paise Kaise Kamaye in Hindi | Best 5 तरीकों से

Mobile Se Paise Kaise Kamaye in Hindi | Best 5 तरीकों से

Mobile Se Paise Kaise Kamaye: आजकल लोग मोबाइल से पैसे कमाने फाइनेंस का महत्त्व के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं जिसमें से कुछ तरीके कारगर साबित …

प्रकृति का महत्व पर निबंध | Essay On Importance Of Nature In Hindi

प्रकृति का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Nature In Hindi संसार में वैसे तो सात ग्रह है फिर पृथ्वी पर ही जीवन संभव क्यों? इसी सवाल से हम प्रकृति के महत्व (About Nature In Hindi) को समझ सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रकृति केवल पृथ्वी पर ही मेहरबान है इसका असली एवं सम्पूर्ण स्वरूप केवल धरती पर ही विद्यमान हैं. आज के Nature Importance Essay अर्थात प्रकृति का महत्व पर निबंध में हम यही जानेगे कि प्रकृति क्या है मानव और प्रकृति एक दूसरे के मित्र कैसे तथा ब्यूटी ऑफ नेचर.

प्रकृति का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Nature In Hindi

प्रकृति का महत्व पर निबंध Essay On Importance Of Nature In Hindi

प्रकृति बेहद विस्तृत है. पंचतत्व जल, वायु, अग्नि, आकाश, जल आदि समस्त तत्वों से मिलकर इसका निर्माण होता हैं. मनुष्य इसका मात्र एक छोटा सा अंश भर हैं.

मानव जीवन पूर्ण रूप से प्रकृति पर अधीर है उसे जीवन को सही ढंग से जीने के लिए इन पंचतत्वों के साथ समायोजन करने की आवश्यकता हैं तभी वह सुखी जीवन जी सकेगा.

प्रकृति के महत्व और इसके रहस्य क्या है उसकों समझना बेहद मुश्किल है मगर असम्भव जैसी कोई बात नहीं हैं. यदि जानने की प्रबल इच्छा हो तो प्रकृति के बारे में सब कुछ जाना जा सकता फाइनेंस का महत्त्व हैं. मगर इसके लिए प्रकृति के सानिध्य की आवश्यकता होगी.

उसके रूप सुंदरता आकार स्वरूप को समझना होगा तथा एक नन्हे बालक भी भांति अंगुली पकड़कर प्रकृति की गोद में बैठकर ही हम इसके महत्व तथा रहस्य को भली भांति समझ सकते है इसका ज्ञान अर्जित कर सकते हैं.

Telegram Group Join Now

प्रकृति पर निबंध

यदि हम अपने आस-पास की प्रकृति को देखने की कोशिश करे तो हम पाएगे इसका अलग अलग स्वरूप हमें चारों तरफ से घेरे हुए हैं. कही विशालकाय पर्वत है तो कहीं कल कल बहती नदियाँ तो कही घने जंगल है तो कही सुनसान मरु भूमि.

इसका कुछ भाग बर्फ की परतों से दबा पड़ा है तो कहीं सूरज की तपन से जीव जगत परेशान हैं. कुल मिलाकर हम यह जानने की कोशिश करे कि प्रकृति का है इसका अर्थ परिभाषा क्या हैं. तो हम पाएगे कि यह कोई एक वस्तु न होकर बेहद सारे स्वरूपों का समावेश हैं जिसमें सभी जैविक तथा अजैविक तत्व विद्यमान हैं.

प्रकृति की यह विविधता ही उसकी सुंदरता को नया रूप देती हैं. जल, वायु पेड़ पौधे वन पर्वत वन्य जीव पेड़ पौधे ये समस्त मिलकर ही प्रकृति का निर्माण करते हैं. रंग बिरंगे फूलों से लदी वादियों कल कल करती नदियों तथा झरनों का नजारा किसे नहीं भाता.

ये सभी ही प्रकृति का रूप हैं हम अपने मन मस्तिष्क के तनाव को दूर करने के लिए इसी प्रकृति की गोदी में ही तो आते हैं. जहाँ से स्वस्थ मन और ताजे वातावरण की यादों के साथ लौट जाते हैं.

प्रकृति और मनुष्य पर निबंध

प्रकृति पूर्ण रूप से मनुष्य के लिए वरदान ही हैं. जिसने मानव जीवन के लिए सम्पूर्ण संसाधन बिना किसी शुल्क के उपभोग करने के लिए प्रदान किये हैं.

अपने स्वार्थी मन के वशीभूत मानव ने प्रकृति का उपयोग अपने अधिकाधिक विकास के लिए किया यहाँ तक तो ठीक है मगर अपने निजी हितों के लिए वह कुदरत प्रदत्त संसाधनों का इस कदर इस्त्मोल करने लगा है जिससे प्रकृति का संतुलन भी डगमगा गया हैं. यही वजह है कि हमें प्रकृति का अभिशाप तथा वीभत्स रूप भी देखने को मिलता हैं.

ये सब मनुष्यजनित कारण ही है जिन्होंने आज जल वायु का संतुलन बिगाड़ कर रख दिया है तथा वह विकास की अंधी होड़ में यह भी भूल गया है कि वह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा हैं. आधुनिकता के जमाने ने प्रकृति की सुंदरता को समाप्त कर अपने विकास के राह खोजने आरम्भ कर दिए हैं.

आदिकाल में मानव पूर्ण रूप से प्रकृति पर आश्रित था. वह प्रकृति के साथ खेल खेलने से भयभीत रहता था. कुछ सामाजिक धार्मिक कानूनों की वजह से ही सही प्रकृति को पूज्य माना जाता था इसके विविध स्वरूपों को देवता मानकर उन्हें पूजा जाता था.

बदलते वक्त में मनुष्य ने अपने मानसिक विकास को भी बढाया तथा आज उन्हें लगता है नेचर अर्थात ईश्वर नाम की कोई चीज नहीं हैं. जो कुछ उन्हें दिख रहा है उस पर उन्ही का हक है तथा वह मनचाहे तरीके से इसका उपयोग कर सकता हैं. उसकी यही गलतफहमी उसे अपने पतन की तरफ धकेल रही हैं.

यही वजह है कि आज हम कई जगहों पर प्रकृति का रूठा हुआ स्वरूप देखते है बेमौसम बारिश, सर्दी गर्मी का स्तर खत्म हो चूका है. ऋतुओं का समय तथा अवधि में अंतर् आ जाना.

जहाँ अकाल पड़ा करते थे वहां बाढ़ के हालात पैदा हो जाते है ये सब मनुष्य की बढ़ती लालस और अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति के दोहन का ही परिणाम हैं.

जीवन में प्रकृति का महत्व बहुत बड़ा है सूर्य, जल, पेड़ पौधे हवा, भोजन इत्यादि हमारी प्राथमिक आवश्यकताएं है जो कुदरत के विभिन्न स्रोतों के माध्यम से हमें मिलती है और हमें इसके उपयोग का सर्वाधिकार न होकर अपने हिस्से के उपयोग का हैं.

यदि अपने संतुलित विकास के लिए इनका उपयोग किया जाए तो संभवतः हम प्रकृति की रक्षा भी कर पाएगे तथा एक खुशहाल जीवन जी पाएगे.

प्रकृति के संदेश पर निबंध

एक समय था जब मानव अपने आरम्भिक काल में जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा था. प्रकृति के साथ उनके सामजस्य ने उनके ज्ञान नेत्र खोल दिए वह नया नया ज्ञान पाने लगा.

उसने पेड़ों की छाल व पत्तों का त्याग कर अपने लिए वस्त्रों का निर्माण किया. अन्धकार से जीवन को बाहर निकालने के लिए रोशनी का आविष्कार किया.

पेड़ों को उगाना अनाज फल सब्जियां फिर सवारी के लिए पशुओं का उपयोग धातु का आविष्कार यंत्रों का निर्माण और इस तरह व प्रकृति की छत्रछाया में अपने ज्ञान को फलीभूत करता गया और नयें नयें साधनों के जरिये अपने जीवन के स्तर को बढाता गया.

मनुष्य के द्वारा इन तमाम नई चीजों के आविष्कार की जननी प्रकृति ही थी. वे समस्त साधन उसी के आस-पास मौजूद थे. इसी कारण कहा जाता है कि प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है उनकी गोद में बैठकर जो ज्ञान पाया जा सकता है वो किसी विद्वान् के पास भी नहीं होता हैं.

प्राचीन समय में ऋषि मुनि तथा साधू तपस्या तथा ज्ञानार्जन के लिए वनों में ही अपनी कुटिया बनाकर रहा करते थे. प्रकृति के बीच रहकर ही वे सत्य की प्राप्ति कर पाते थे. शिक्षा के मुख्य स्रोत गुरुकुल भी जंगलों में ही हुआ करते थे. कवियों तथा कथाकारों के ह्रदय ने काव्य का भाव जगाने वाली यही प्रकृति हैं.

जब तक मानव प्रकृति के सानिध्य में रहा वह उनके रहस्यों को जानता गया. मगर आज हमने प्रकृति को अपनी दासी बना दिया है जो हमारी सभी जरूरतों को पूरा करे मगर अपने इस अमर्यादित आचरण के चलते आज कुदरत का अनुशासन भी भंग हो रहा हैं. जिसका नतीजा हम सभी के समक्ष है.

  • प्रकृति और मनुष्य मित्र है
  • प्रकृति का संदेश पर निबंध
  • प्रकृति पर सुविचार अनमोल वचन हिंदी में

आशा करता हूँ दोस्तों यह लेख आपकों अच्छा लगा होगा, यदि आपकों प्रकृति पर निबंध & Essay On Importance Of Nature In Hindi में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

नेटवर्क एवं प्रौद्योगिकी (एनटी) प्रकोष्ठ

Networks &Technologies (NT) Cell

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) को विश्वभर में सरकारों द्वारा सामाजिक-आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण परिचालकों के रूप में स्वीकार किया गया है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियां सर्व-व्यापक हो गई हैं तथा हमारी अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और जीवन को रूपांतरित कर रही हैं। ये प्रौद्योगिकियां, नई सेवाओं और अनुप्रयोगों के प्रति सदैव विस्तृत होती उम्मीदों के साथ गति बनाए रखने के लिए तीव्र गति से प्रगति करती रहती हैं। इनकी गति इतनी तीव्र होती हैं कि प्रौद्योगिकी परिदृश्य प्रत्येक कुछ ही वर्षों में रूपांतरित हो जाता है।

दूरसंचार विभाग का नेटवर्क और प्रौद्योगिकी (एनटी) प्रकोष्ठ,जो 2010 में अस्तित्व में आया है, देश में नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित नीति एवं विनियामक पहलुओं से संबंधित कार्य करता है। दूरसंचार विभाग मुख्यालय स्थित एनटी प्रकोष्ठ के प्रयासों में देश भर में फैली एनटी की फील्ड यूनिटें सहायताकरती हैं। इस समय प्रकोष्ठ के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • नेक्स्ट जेनरेशन इंटरनेट प्रोटोकाल अर्थात् आईपीवी6 में चरणबद्ध और समयबद्ध तरीके से अवस्थांतर हेतु नीति निर्माण तथा उसे सुविधाजनक बनाना।
  • मशीन से मशीन (एम2एम) संचार से जुड़े नीति एवं विनियामक पहलु।
  • नेट-तटस्थता से उद्भूत नीति एवं तकनीकी मुद्दे।
  • एनटीपी-2012 के अनुसार क्लाउड कम्प्यूटिंग के संबंध में नीतिगत पहल।

इसके अतिरिक्त, एनटी प्रकोष्ठ, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, जैसे टीवी व्हाइट स्पेस (टीवीडब्ल्यूएस), लाइट फिडलिटी (एलआईएफआई) आदि जो देश की दूरसंचार ईको-पद्धति के लिए लाभदायक हैं, के क्षेत्र में होने वाले वैश्विक विकास पर निगाह रखता है।

आईपीवी6

आज इंटरनेट विश्वभर में अरबों प्रयोक्ताओं को सेवाएं देने वाला एक वैश्विक नेटवर्क बन गया है और ऐसा इंटरनेट प्रोटोकाल की व्यापक स्वीकार्यता के कारण हुआ है। .

एम2एम

मशीन से मशीन संचार, जिसे प्रायः एम2एम/आईओटी का नाम दिया जाता है, अगली पीढ़ी की इंटरनेट क्रांति बनने वाली है जो अधिकाधिक लोगों को जोड़ने.

नेट-तटस्थता

विगत में, इंटरनेट की पहुंच में भारी वृद्धि, जो एक ओर देश के प्रत्येक कोने तक उपलब्ध कराई गई सर्वव्यापी दूरसंचार अभिगम्यता के माध्यम से संभव हुई है और एक जीवंत कन्टेंट.

क्लाउड कम्प्यूटिंग

राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (एनटीपी)-2012 में सार्थक रूप से डिज़ाइन की गति बढ़ाने तथा सेवाओं के रॉल-ऑउट में क्लाउड सेवाओं के महत्व को मान्यता.

Website Content Managed by Department of Telecommunications, Ministry of Communication, GoI Designed, Developed and फाइनेंस का महत्त्व Hosted by National Informatics Centre( NIC ) Last Updated: 01 Sep 2022

महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन का महत्व : Asahyog andolan

असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 ईस्वी में हुई थी और इसका उद्देश्य अहिंसा के जरिए भारत में ब्रिटिश शासक का विरोध करना था!
इसके अंतर्गत तय किया गया कि विरोध प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के माल को खरीदने से इंकार करेंगे और अस्थाई हस्तशिल्प की वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे तथा शराब की दुकानों के आगे बढ़ने देंगे ऐसा के विचार और गांधी जी के कुशल नेतृत्व मैप करोड़ों नागरिक भारत की स्वाधीनता के आंदोलन में शामिल हो गए!
1919 से 1922 के मध्य अंग्रेज हुकूमत के विरुद्ध दो सशक्ति जन आंदोलन चलाया गए जिसने भारत स्वतंत्रता फाइनेंस का महत्त्व आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत सेना ने किस शर्त पर बेटी राज्य को योगदान दिया था! कि इसके बाद बेटी राज्य भारत की जनता को कुछ राजनीतिक अधिकार सौंप देंगे लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए ब्रिटिश शासकों ने भारत के सहयोग का जवाब रौलट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड ,हंटर रिपोर्ट आदित्य रूप में दिया अंग्रेज द्वारा भाग्य जनमानस की चाकू घुसाने पर गांधी क्षुबोध होकर 1920 में एक और तो कैसरे ए हिंद की उपाधि लौटा दी और साथ ही सत्याग्रह आंदोलन के जरिए असहयोग आंदोलन का सूत्रपात कर दिया!
इस आंदोलन में उन्होंने भारतीय जनता से निम्न प्रकार से सहयोग और ब्रितानी सरकार के प्रति और सहयोग की मांग की

1) सभी सरकारी शिक्षक संस्थाओं का बहिष्कार

2) सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र

3) अंग्रेजी सरकार द्वारा करवाए जाने वाले चुनाव का बहिष्कार

4) सरकारी अदालतों का त्याग

5) विदेशी वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार

6) सरकारी उत्सवों से इनकार

7)भारतीय मजदूरों का मेसोपोटामिया जाने से इनकार

गांधी जी ने कहा था कि यदि असहयोग की गठन ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत के 1 वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेगा गांधीजी के इस आंदोलन ने अंग्रेजी साम्राज्य को हिला कर रख दिया था!

इसे भी जरूर पढ़ें

असहयोग आंदोलन के कुछ प्रस्ताव:

  1. अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना.
  2. सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
  3. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
  4. यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना.

शहरों में आंदोलन:

शहरों में मध्य-वर्ग से आंदोलन में अच्छी भागीदारी हुई।

हजारों छात्रों ने सरकारी स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए, शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया और वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी!

मद्रास को छोड़कर अधिकांश राज्यों में काउंसिल के चुनावों का बहिष्कार किया गया। मद्रास की जस्टिस पार्टी में ऐसे लोग थे जो ब्राह्मण नहीं थे। उनके लिए काउंसिल के चुनाव एक ऐसा माध्यम थे जिससे उनके हाथ में कुछ सत्ता आ जाती; ऐसी सत्ता जिसपर केवल ब्राह्मणों का निय़ंत्रण था।

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार हुआ, शराब की दुकानों का घेराव किया गया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। 1921 से 1922 तक विदेशी कपड़ों का आयात घटकर आधा हो गया। आयात 102 करोड़ रुपए से घटकर 57 करोड़ रह गया। विदेशी कपड़ों के बहिष्कार से भारत में बने कपड़ों की मांग बढ़ गई।

फाइनेंस का महत्त्व

कॉप-26 (COP-26) : भारत की ओर से किए पांच वादे – UPSC

कॉप-26 (COP-26) : भारत की ओर से किए पांच वादे – UPSC

  • Post published: November 9, 2021
  • Post category: Environment
  • Reading time: 1 mins read

इस लेख में आप पढ़ेंगे : कॉप-26 (COP-26) : भारत की ओर से किए पांच वादे – UPSC

स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (कॉप 26) में भारतीय प्रधानमंत्री ने पांच वादे किये है जिन्हे पंचामृत नाम दिया गया है –

  • पहला- भारत, 2030 तक अपनी गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा।
  • दूसरा- भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत अक्षय ऊर्जा से पूरी करेगा।
  • तीसरा- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन (अरब) टन की कमी करेगा।
  • चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता (इन्टेंसिटी) को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।
  • पांचवा- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, भारत केवल पांच प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है। बावजूद इसके भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है।उन्होंने कहा कि यह सच्चाई हम सभी जानते हैं कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर आज तक किए गए वायदे, खोखले ही साबित हुए हैं। जब हम सभी जलवायु कार्रवाई (क्लाइमेट एक्शन) पर अपनी आकांक्षा बढ़ा रहे हैं, तब क्लाइमेट फाइनेंस पर विश्व की आकांक्षा वही नहीं रह सकती जो पेरिस समझौते के समय थी।चूंकि सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन विकसित देश करते हैं, इसलिए उन्हें हर हाल में क्लाइमेट फाइनेंस के अपने वादों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह कार्बन उत्सर्जन को मॉनीटर किया जाता है, ठीक उसी तरह अब क्लाइमेट फाइनेंस को मॉनीटर किया जाएगा, ताकि विकसित देशों पर दबाव बनाया जा सके।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने ‘एक्शन एंड सॉलिडेरिटी-द क्रिटिकल डिकेड’ कार्यक्रम में कहा कि वैश्विक जलवायु वार्ता में अनुकूलन (एडप्शन) को उतना महत्त्व नहीं मिला है जितना न्यूनीकरण (मिटिगेशन) को। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है, जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हैं।उन्होंने कहा कि भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए जलवायु बड़ी चुनौती है – फसल चक्र में बदलाव आ रहा है, बेसमय बारिश और बाढ़, या लगातार आ रहे तूफानों से फसलें तबाह हो रही हैं। पेय जल के स्रोत से ले कर सस्ते घरों तक, सभी को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सक्षम बनाने की जरुरत है।

इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने तीन विचार रखे है-

  • पहला, एडाप्टेशन को हमें अपनी विकास नीतियों और परियोजनाओं का मुख्य अंग बनाना होगा। भारत में नल से जल, स्वच्छ भारत और उज्ज्वला, क्लीन कूकिंग फ्यूल फॉर ऑल जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को एडाप्टेशन बेनेफिट्स तो मिले ही हैं, उनकी क्वालिटी ऑफ़ लाइफ भी सुधरी है।
  • दूसरा, कई ट्रेडिशनल कम्युनिटीज में प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने का ज्ञान है।हमारी एडाप्टेशन नीतियों में इन पारंपरिक अनुभूवों को उचित महत्त्व मिलना चाहिए। ज्ञान का ये प्रवाह, नई पीढ़ी तक भी जाए, इसके लिए स्कूल के सैलेबस में भी इसे जोड़ा फाइनेंस का महत्त्व जाना चाहिए। लोकल कंडीशन के अनुरूप लाइफस्टाइल का संरक्षण भी एडाप्टेशन का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ हो सकता है।
  • तीसरा, एडाप्टेशन के तरीके चाहे लोकल हों, किन्तु पिछड़े देशों को इनके लिए ग्लोबल सपोर्ट मिलना चाहिए। क्लाइमेट के संदर्भ में, वन वर्ल्ड-एक विश्व का मूल आधार देते हुए उन्होंने एल, आई, एफ, ई, यानि लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट पर बल दिया है।

You Might Also Like

भारत में दलहन नीति (Pulse Policy in India) कितनी जरूरी ? – UPSC

भारत में दलहन नीति (Pulse Policy in India) कितनी जरूरी ? – UPSC

कार्बन बजट (Carbon Budget) – UPSC

August 8, 2021

रेटिंग: 4.96
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 776
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *