आदर्श रणनीति

ETFs के प्रकार

ETFs के प्रकार
    विश्वसनीयता : गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5% शुद्धता या इससे अधिक शुद्धता वाला सोना खरीदना है। भौतिक सोने की खरीद, उसे रखना और निवेश की लागत अपेक्षाकृत कम है।

भारत 22 विनिमय वाणिज्य कोश (ETF) – Exchange Traded Funds

अपने विनिवेश कार्यक्रम के लिए भारत सरकार एंकर तथा गैर-एंकर निवेशकों के लिए भारत 22 विनिमय वाणिज्य कोश (ETF) के “Further Fund Offer 2” (FFO 2) प्रस्ताव को शीघ्र ही खोलने जा रही है.

Exchange Traded Fund (ETF) क्या है?

  • ETF का पूरा नाम Exchange Traded Funds है. ये म्यूच्यूअल फण्ड हैं जो शेयरों की भाँति स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं और इनका क्रय-विक्रय होता है.
  • संस्थागत निवेशक इंडेक्सETFs तैयार करते हैं और इस इंडेक्स में शेयर डालते और निकालते रहते हैं.
  • साधारणतः ETF का कोश निष्क्रिय रहता है और कोश प्रबंधक अपने मन से शेयर का चुनाव नहीं करता है. इसके बदले ETF एक इंडेक्स का अनुसरण करता है और इसके प्रदर्शन को सही ढंग से दिखलाने का प्रयास करता रहता है.
  • ETF के अन्दर कोई व्यक्ति बाजार खुले रहने पर क्षण-प्रतिक्षण की ETFs के प्रकार स्थिति के आधार पर बाजार के दाम पर इकाइयाँ खरीद और बेच सकता है.

ETF के लाभ

  • इसमें लागत कम आती है क्योंकि इसमें बड़े-बड़े कोश प्रबंधकों की सेवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
  • ETF में निवेश के पोर्टफोलियो में बहुत प्रकार के विकल्प रहते हैं इसलिए कोश प्रबंधक के द्वारा गलत शेयर ख़रीदे जाने का जोखिम नहीं रहता है.
  • इंडेक्स प्रदाता सावधानी से इंडेक्स में दिए गये शेयरों का चुनाव करते हैं और समय-समय पर इनका संतुलन बनाए रखते हैं.
  • ETF में लगाये गये निवेश एक्सचेंज के माध्यम से निवेश की राशि कभी भी नकद वापस ली जा सकती है.

Exchange Traded Funds

भारत 22 क्या है?

भारत 22 अनेक ब्लूचिप शेयरों वाला पोर्टफोलियो है जिसके अन्दर CPSE’s, PSB’s और SUUI के 22 शेयर होते हैं. ये शेयर जिन छह प्रक्षेत्रों से सम्बंधित होते हैं, वे हैं – आधारभूत माल, ऊर्जा, वित्त, FMCG, औद्योगिक वस्तुएँ और जन-उपयोग की वस्तुएँ. इन प्रक्षेत्रों से जिन सुप्रतिष्ठित (ब्लू चिप) कंपनियों का शेयर चुना जाता है उनके नाम प्रक्षेत्रवार इस प्रकार हैं –

  1. आधारभूत माल – नेशनल अल्मूनियम
  2. ऊर्जा – ONGC, IOC, BPCL और कोल इंडिया
  3. वित्त – स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा, इंडियन बैंक, PFC और REC.
  4. FMCG – ITC
  5. औद्योगिक वस्तुएँ – L&T, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजिनियर्स इंडिया, NBCC
  6. जन-उपयोग की वस्तुएँ – पॉवर ग्रिड, NTPC, GAIL NHPC, NCL, SJVNL

ETF के लिए ICICI प्रुडेंशियल को प्रबंधक बनाया गया है और इसके लिए इंडेक्स प्रोवाइडर एशिया इंडेक्स प्राइवेट लिमिटेड (JV BSE एवं S& P Global) होगा.

Tags : Exchange Traded Fund (ETF) क्या है? Bharat 22 के बारे में जानें. What are ETFs, benefits and significance in Hindi.

Exchange Traded Fund- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
Exchange Traded Fund: एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) कई लोगों के वित्तीय संसाधनों को इकट्ठा करते हैं और इसका उपयोग शेयरों जैसे विभिन्न ट्रेडेबल मॉनेटरी एसेट, बॉन्ड्स एवं डेरिवेटिव जैसे डेट सिक्योरिटीज की खरीद के लिए करते हैं। अधिकांश ईटीएफ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत होते हैं। स्टॉक मार्केट की सीमित विशेषज्ञता वाले निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) किस प्रकार काम करते हैं ?
ईटीएफ शेयर और म्युचुअल फंड दोनों की विशेषताओं को साझा करते हैं। आम तौर पर वे क्रिएशन ब्लॉक के जरिये प्रॉड्यूस्ड शेयरों के रूप में स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते हैं। ईटीएफ फंड सभी प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होते हैं और उन्हें इक्विटी ट्रेडिंग टाइम के दौरान जरूरत के अनुसार खरीदा और बेचा जा सकता है। ईटीएफ की शेयर कीमत में परिवर्तन रिसोर्सेज के पूल में उपस्थित मूलभूत एसेट की लागतों पर निर्भर करता है। अगर एक या अधिक एसेट की कीमत बढ़ती है तो ईटीएफ की शेयर कीमत भी आनुपातिक रूप से बढ़ती है और कीमत घटने पर घटती है। ईटीएफ के शेयरधारकों द्वारा प्राप्त लाभांश की वैल्यू संबंधित ईटीएफ कंपनी के प्रदर्शन और एसेट प्रबंधन पर निर्भर करती है। कंपनी के नियमों के अनुसार वे सक्रिय या निष्क्रिय रूप से मैनेज होते हैं।

सक्रिय रूप से प्रबंधित ईटीएफ, शेयर बाजार की स्थितियों का सावधानीपूर्वक आकलन करने और उच्च संभावना ETFs के प्रकार वाली कंपनियों में निवेश करने के द्वारा सुनियोजित जोखिम लेने के बाद एक पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा ऑपरेट किया जाता है। दूसरी तरफ, निष्क्रिय रूप से प्रबंधित ईटीएफ विशिष्ट बाजार सूचकांकों के रुझान का अनुसरण करता है और केवल उन्हीं कंपनियों में निवेश करता है जो बढ़ते चार्ट में सूचीबद्ध होती हैं। म्युचुअल फंड या किसी कंपनी के शेयरों में निवेश करने के बजाय किसी ईटीएफ में निवेश करने के कई लाभ होते हैं।

ईटीएफ की सीमाएं
ईटीएफ का ट्रांजेक्शन फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है जो ब्रॉकरेज फीस लेते हैं और डीमैट खाता खोलने की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त, इन्हें बाजार रुझानों के अनुरूप उतार चढ़ाव का भी सामना करना पड़ता है। ईटीएफ संगठन अक्सर बड़ी क्षमता वाली छोटी कंपनियों की अनदेखी करते हैं।

Gold ETF: कम खर्च में निवेश का साधन, भौतिक सोने की तुलना में गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प

भारत में सोना हमेशा किसी न किसी रूप में खरीदने की एक परंपरा रही है। भौतिक सोने की तुलना में गोल्ड ईटीएफ इस समय एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है। हाल के सालों में इस साधन में ज्यादा निवेशक आये हैं। ऐसे में इसमें निवेश का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-

गोल्ड ईटीएफ (सांकेतिक तस्वीर)।

शुभ अवसरों पर सोना खरीदना हमेशा से भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। इस त्योहारी सीजन में भारतीय परिवार एक बार फिर गोल्ड की खरीदारी के लिए बाहर निकला है। एक भारतीय निवेशक के रूप में सोने के खरीदारों के पास कई प्रकार के उत्पाद खरीदकर इसमें निवेश करने के मौके होते हैं। उपलब्ध सभी विकल्पों में से खरीदार को यदि गहनों की आवश्यकता नहीं है, तो जो विकल्प जो सबसे अधिक उम्दा है और जो सबसे बढ़िया निवेश विकल्प के रूप में सामने आता है वह है गोल्ड ईटीएफ।

गोल्ड ईटीएफ भौतिक धातु में निवेश करने जितना ही अच्छा है। लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसा रखा जाता है। यह एक डीमैट खाते में संग्रहीत होते हैं। इसकी यूनिट बहुत उच्च शुद्धता के भौतिक सोने जैसी होती है। हर दूसरे ईटीएफ की तरह, गोल्ड ईटीएफ की स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग और ट्रेडिंग होती है।

कोई भी व्यक्ति किसी भी ETFs के प्रकार समय गोल्ड ईटीएफ को आसानी से खरीद और बेच सकता है। यदि आप निवेश के दृष्टिकोण से सोना खरीदना चाह रहे हैं, तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। पोर्टफोलियो आवंटन के नजरिए से भी यह एक बेहतर स्थिति में है।

गोल्ड ईटीएफ की खूबियां

  • विश्वसनीयता : गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5% शुद्धता या इससे अधिक शुद्धता वाला सोना खरीदना है। भौतिक सोने की खरीद, उसे रखना और निवेश की लागत अपेक्षाकृत कम है।
  • कम खर्च : भौतिक सोने के निवेश की तुलना में ईटीएफ गोल्ड से जुड़े खर्च काफी कम हैं क्योंकि इसमें गहने बनाने जैसे कोई शुल्क नहीं लगते हैं। उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ का खर्च अनुपात 0.5% है जो गोल्ड ईटीएफ में सबसे कम है।
  • तरलता : गोल्ड ईटीएफ को किसी भी समय एक्सचेंज पर रीयल टाइम एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर कारोबारी समय के दौरान किसी की आवश्यकता के अनुसार एक यूनिट से बेचा जा सकता है। नतीजतन, यह आभूषणों, सिक्कों या छड़ों को बेचने की तुलना में अधिक आसान है।
  • कर्ज के लिए गारंटी : कर्ज के लिए ईटीएफ को जमानत या गारंटी के रूप में स्वीकार किए जाते हैं।
  • टैक्स बचाने वाला : गोल्ड ईटीएफ को यदि 3 साल से अधिक समय तक रखा जाता है तो इससे अर्जित आय को लॉंग टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाता है। यह सोना रखने के लिए टैक्स बचाने का एक कुशल तरीका है।
  • छोटी मात्रा में भी कर सकते हैं निवेश : निवेशक गोल्ड ईटीएफ में कम से कम 45 रुपये में निवेश शुरू कर सकते हैं, जो कि (20 अक्टूबर, 2022 तक) आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ की 1 यूनिट की कीमत है। इसलिए, एक निवेशक को सोने में निवेश करने के लिए बड़ी रकम जमा करने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है, जो अक्सर भौतिक सोना खरीदने के मामले में होता है।

सावधानी भी जरूरी
ईटीएफ की कीमतें भौतिक सौने की कीमतों के जैसे बढ़ती या घटती हैं। गोल्ड ईटीएफ को सोने की कीमत से लाभ उठाने के लिए एक साधन के रूप में सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है। यानी निवेशक वास्तविक संपत्ति खरीदे बिना सोने में निवेश के लाभों को हासिल कर सकता है। इसे बेचने पर निवेशक को नकद प्राप्त होता है न कि सोना। गोल्ड ईटीएफ से किसी निवेशक को सस्ती कीमत पर और सुरक्षित संभव तरीके से गोल्ड के संपर्क में आने का आश्वासन दिया जा सकता है। जब ईटीएफ के माध्यम से निवेश किया जाता है, तो किसी की आवश्यकता के अनुसार छोटे लॉट में यूनिट्स को जमा करने या बेचने की सुविधा होती है।

निवेश पोर्टफोलियो में बढ़ाएं चमक
सिस्टैमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश करने या एकमुश्त निवेश का विकल्प चुनने का विकल्प होता है। इसे खरीदने वाले को इसकी शुद्धता, रखने की परेशानी आदि के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर पोर्टफोलियो में चमक बढ़ाने का काम करें। -चिंतन हरिया, प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रमुख, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल

विस्तार

शुभ अवसरों पर सोना खरीदना हमेशा से भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। इस त्योहारी सीजन में भारतीय परिवार एक बार फिर गोल्ड की खरीदारी के लिए बाहर निकला है। एक भारतीय निवेशक के रूप में सोने के खरीदारों के पास कई प्रकार के उत्पाद खरीदकर इसमें निवेश करने के मौके होते हैं। उपलब्ध सभी विकल्पों में से खरीदार को यदि गहनों की आवश्यकता नहीं है, तो जो विकल्प जो सबसे अधिक उम्दा है और जो सबसे बढ़िया निवेश विकल्प के रूप में सामने आता है वह है गोल्ड ईटीएफ।

गोल्ड ईटीएफ भौतिक धातु में निवेश करने जितना ही अच्छा है। लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसा रखा जाता है। यह एक डीमैट खाते में संग्रहीत होते हैं। इसकी यूनिट बहुत उच्च शुद्धता के भौतिक सोने जैसी होती है। हर दूसरे ईटीएफ की तरह, गोल्ड ईटीएफ की स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग और ट्रेडिंग होती है।

कोई भी व्यक्ति किसी भी समय गोल्ड ईटीएफ को आसानी से खरीद और बेच सकता है। यदि आप निवेश के दृष्टिकोण से सोना खरीदना चाह रहे हैं, तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। पोर्टफोलियो आवंटन के नजरिए से भी यह एक बेहतर स्थिति में है।

गोल्ड ईटीएफ की खूबियां

    विश्वसनीयता : गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5% शुद्धता या इससे अधिक शुद्धता वाला सोना खरीदना है। भौतिक सोने की खरीद, उसे रखना और निवेश की लागत अपेक्षाकृत कम है।

ETFs के प्रकार
सावधानी भी जरूरी
ईटीएफ की कीमतें भौतिक सौने की कीमतों के जैसे बढ़ती या घटती हैं। गोल्ड ईटीएफ को सोने की कीमत से लाभ उठाने के लिए एक साधन के रूप में सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है। यानी निवेशक वास्तविक संपत्ति खरीदे बिना सोने में निवेश के लाभों को हासिल कर सकता है। इसे बेचने पर निवेशक को नकद प्राप्त होता है न कि सोना। गोल्ड ईटीएफ से किसी निवेशक को सस्ती कीमत पर और सुरक्षित संभव तरीके से गोल्ड के संपर्क में आने का आश्वासन दिया जा सकता है। जब ईटीएफ के माध्यम से निवेश किया जाता है, तो किसी की आवश्यकता के अनुसार छोटे लॉट में यूनिट्स को जमा करने या बेचने की सुविधा होती है।

निवेश पोर्टफोलियो में बढ़ाएं चमक
सिस्टैमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश करने या एकमुश्त निवेश का विकल्प चुनने का विकल्प होता है। इसे खरीदने वाले को इसकी शुद्धता, रखने की परेशानी आदि के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर पोर्टफोलियो में चमक बढ़ाने का काम करें। -चिंतन हरिया, प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रमुख, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल

ETFs के प्रकार

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कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान

जिस तरह किसी स्टॉक में निवेश ETFs के प्रकार से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.

कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान

भारत समेत दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है.

मौजूदा दौर में निवेशकों के सामने निवेश के कई विकल्प हैं. इनमें से एक विकल्प एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) का है जो निवेशकों की पूंजी को कई शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. इसमें पारंपरिक स्टॉक्स और बांड्स से लेकर करेंसीज और कमोडिटीज जैसी मॉडर्न सिक्योरिटीज भी शामिल हैं. कोई भी निवेशक ब्रोकर के जरिए ईटीएफ के अपने शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकता है. इसका कारोबार शेयर बाजार में ETFs के प्रकार किया जाता है.

कम एक्पेंस रेशियो (0.06 फीसदी तक कम), एक्टिव फंड्स की तुलना में बेहतर टैक्स एफिशिएंसी, डाइवर्सिफिकेशन बेनेफिट्स और इंडेक्स लिंक्ड रिटर्न के चलते ईटीएफ तेजी से पॉपुलर हो रहा है. हालांकि रिलायंस सिक्योरिटीज के सीईओ लव चतुर्वेदी के मुताबिक जैसे किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.

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निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को

  • ईटीएफ में सिर्फ इक्विटीज की बजाय सभी एसेट क्लासेज शामिल होने चाहिए.
  • ईटीएफ को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए- लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट ETFs के प्रकार कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
  • ईटीएफ की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी. लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ईटीएफ की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए.
  • आमतौर पर ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह ओवरऑल रिटर्न को प्रभावित करता है.
  • इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है. लिक्विडिटी अधिक होने पर इंपैक्ट कॉस्ट कम होता है और इस प्रकार निवेशकों को इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा.
  • किसी भी ईटीएफ को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0-2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
  • किसी ईटीएफ का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.

भारत में तेजी से बढ़ा है ETF के प्रति निवेशकों का रूझान

दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दस वर्षों में दुनिया भर में ईटीएफ एयूएम 19 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है. 2020 में यह 7.7 लाख करोड़ डॉलर (562 लाख करोड़ रुपये) का लेवल पार कर दिया है. भारत की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में ईटीएफ एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2016 में कुल एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में ईटीएफ की हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 10 फीसदी हो गई. दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ईटीएफ में 90 फीसदी निवेश इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (मुख्य रूप से ईपीएफओ) का है.

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