कॉमर्स का कार्य

E-Commerce
E-commerce (या electronic-commerce) एक ऐसे business को refer करता है जो की पूरी तरह से इन्टरनेट पर कार्य करता है.
उदाहरण के लिए website जैसे की Amazon.com, Flipkart.com, और SnapDeal, ये सभी e-commerce sites के अंतर्गत आते हैं.
E-commerce के मुख्य रूप से दो major forms होते हैं : –
1) Business-to-Consumer (B2C)
2) Business-to-Business (B2B).
जहाँ companies जैसे की Amazon.com कॉमर्स का कार्य मुख्य रूप से business करती है directly consumers के साथ, वहीँ कुछ दुसरे companies ऐसे भी हैं जो की goods और services को exclusively दुसरे businesses को बेचते हैं, उनका consumers के साथ direct कोई connection नहीं होता है.
ये शब्द “e-business” और “e-tailing” को पर्यवार्ची के हिसाब से इस्तमाल किया जाता है e-commerce के साथ. ये सभी शब्दों का एक ही अर्थ होता है, वहीँ इन्हें केवल लोगों को confuse करने के लिए बार बार अलग अलग रूप में इस्तमाल किया जाता है.
जमशेदपुर : चुनाव कार्य के लिए मंडी की गोदाम-दुकान लेने की प्रशासनिक कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
झारखण्ड चैम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से दायर रिट पर अदालत ने सुनाया फैसला.
Jamshedpur ( Sunil Pandey) : कृषि उत्पादन बाजार समिति की कॉमर्स का कार्य दुकानों एवं गोदामों का चुनाव कार्य में इस्तेमाल अगर बेहद जरूरी हुआ तभी हो सकेगा. यदा-कदा चुनाव के नाम पर परिसर का इस्तेमाल किए जाने पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. हाई कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक परिसर के गोदामों में ईवीएम भंडारण करने से व्यावसायिक गतिविधियां टप्प हो जाती है. ऐसे में राज्य सरकार को इस संबंध में स्थायी रुप से अन्यत्र व्यवस्था करनी चाहिए. हाई कोर्ट ने उक्त टिप्पणी झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से दायर रिट याचिका (संख्या W.P.(C) no. 3977 of 2022) की सुनवाई करते हुए कही. उक्त रिट प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा ईवीएम भंडारण के लिये गोदाम के रूप में कृषि बाजार समिति की दुकानों एवं गोदामों का उपयोग करने से रोकने के लिये किया गया है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में दायर एक पीआईएल (W.P.(PIL) 2944/2013) में पारित आदेश का हवाला दिया. जिसमें राज्य सरकार (अधिकारियों) को स्पष्ट आदेश दिया गया था कि चुनाव के लिये अथवा चुनाव के बाद मतपत्रों को रखने के लिये आवश्यक भूमि/स्थान चिन्हित कर इसका आवंटन किया जाना चाहिए. इसके लिये व्यवसायिक स्थानों/बाजारों समिति की दुकानों और गोदामों को अधिक समय तक प्रसाशनिक कब्जे में नहीं रखा जा सकता है.
चुनाव कार्य लिए स्थायी भवन बनाने को कहा था
पीआईएल (W.P.(PIL) 2944/2013) की सुनवाई करते हुई हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में पारित आदेश में कहा था कि चूंकि चुनाव समय-समय पर होते रहते हैं, इसलिये भूमि का चयन और आवंटन के पश्चात् इसपर स्थाई रूप से चुनाव कार्य के लिए भवन का निर्माण किया जाय. जो इसका स्थाई समाधान होगा जिससे व्यवसायिक स्थलों, दुकानों, गोदामों को कब्जे में लेने की आवश्यकता नहीं होगी. उक्त आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य में चुनाव कार्य एवं मतपत्रों को रखने के उद्देश्य से किसी के व्यवसायिक परिसर को कब्जे में लेना वांछनीय नहीं है.
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वर्ष 2018 में भी हाई कोर्ट ने जारी किया था आदेश
इसी तरह के मामले को लेकर वर्ष 2018 में मेसर्स भदानी टेडर्स, रांची बनाम झारखण्ड राज्य और अन्य के खिलाफ एक याचिका (W.P.(C) no. 6137/2018) दायर की गई थी. जिसमें झारखण्ड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कॉमर्स का कार्य था कि इस संबंध में जब वर्ष 2017 में (W.P(PIL) 2944/2013) में कोर्ट की टिप्पणियों के बावजूद प्रतिवादी अधिकारियों ने एक बार फिर कृषि बाजार समिति के व्यवसायियों के चल रहे व्यावसायिक परिसरों पर कब्जा करने की उसी पुरानी प्रथा का सहारा लिया है. अब से केवल असाधारण परिस्थितियों में ही यदि कोई सरकारी परिसर चुनाव कार्यों के लिये उपलब्ध नहीं हो पाता है तभी प्रतिवादी अधिकारी नागरिकों के व्यवसायिक परिसर को प्रशासनिक कब्जे में लें पायेंगे.
हाई कोर्ट के आदेश से डीसी को कराया अवगत
हाल ही में आगामी नगर निकाय चुनाव को लेकर कृषि उत्पादन बाजार समिति (परसूडीह मंडी) की दुकानों एवं गोदामों को पुनः अधिग्रहण करने के जिला प्रशासन के आदेश के बाद सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से पूर्वी सिंहभूम की उपायुक्त को मांग पत्र सौंपकर पुनर्विचार का आग्रह किया गया था. मंगलवार को दूसरी बार चैंबर के उपाध्यक्ष मुकेश मित्तल ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर उनसे आग्रह किया कि वे परसुडीह बाजार समिति की दुकानों और गोदामों को चुनाव कार्य के लिए कब्जे में नहीं लें. मुकेश मित्तल ने मांग पत्र की प्रतिलिपि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को भी भेजी है.
पहल: पार्क के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों ने मंत्री से मुलाकात की
शहर के एनीकट में स्थित इक्को पार्क का निर्माण कार्य फिलहाल अधर में है और वैसे लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है जो यहां प्रतिदिन मॉर्निंग व इवनिंग वाक करने आते हैं। लोगों की समस्या को देखते हुए डेहरी चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष के नेतृत्व में लोगों ने प्रदेश के मंत्री से पटना में मुलाकात किया है। चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बबल कश्यप ने बताया कि मंत्री से आश्वासन मिला है कि उसके निर्माण कार्य को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। बताया कि बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार बबलू से सकारात्मक आश्वासन मिला है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और डेहरी चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ने कहा कि मंत्री ने तीव्र संज्ञान लेते हुए डीएफओ से दूरभाष पर इसकी अद्यतन स्थिति की जानकारी ली है और उन्हें निर्देशित किया कि जल्द इस पार्क के निर्माण का कार्य पूरा किया जाए।श्री कश्यप ने मंत्री से अनुमंडल में अवस्थित वन विभाग की जमीन पर चिड़ियाघर खोलने की भी मांग किया है। बताया कि अभी बिहार में एक और चिड़ियाघर सुपौल जिले में पास हुआ है जिससे उम्मीद डेहरी के लिए भी जगी है।अगर सब कुछ ठीक रहा तो खुल सकता है। कहा कि चिड़ियाघर से शहर के लोगों को रोजगार के साथ-साथ पर्यटन में जबरदस्त इजाफा होगा। दो महीने के अंदर मंत्री ने खुद आकर संभावना देखने की इच्छा व्यक्त किया है। ज्ञापन देने वालों में पवन कुमार, राहुल कुमार, सोनू कुमार, प्रकाश गोस्वामी, रितेश मुखिया, संतोष सिंह, सिद्धनाथ प्रसाद, वेद प्रकाश सहित अन्य शामिल थे।
खत्म होगी ई-कॉमर्स कंपनियों की दादागिरी, सरकार के इस फैसले का देश के कारोबारियों ने किया स्वागत
कैट ( CAIT ) के मुताबिक देश के 8 करोड़ से अधिक छोटे व्यापारी मसौदा नियमों के आसपास किसी भी तरह के गलत प्रचार का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
TV9 Bharatvarsh | कॉमर्स का कार्य Edited By: मनीष रंजन
Updated on: Jul 25, 2021 | 5:19 PM
उपभोक्ता केंद्रित जनादेश के साथ एक मजबूत और गतिशील नियामक ढांचे का आह्वान करते हुए, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे को भविष्य में भारत में संरचित और पारदर्शी ई-कॉमर्स व्यवसाय के लिए एक आदर्श दिशानिर्देश करार दिया है. कैट ने ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर अपने संशोधन प्रस्ताव के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भेजे गए अपने ज्ञापन मे ई-कॉमर्स व्यवसाय के सभी के नियमों के अनुपालन के लिए एक निगरानी तंत्र की मांग की है और उल्लंघन की स्थिति में, उक्त तंत्र को दंडात्मक और अन्य कार्रवाई करने के लिए भी सशक्त किया जाना चाहिए का सुझाव दिया है.
कैट ने कहा कि यह नियम ई कामर्स व्यापार में विदेशी कम्पनियों की दादागिरी को रोकेंगे तथा ईस्ट इंडिया कम्पनी बनने के मंसूबों को ध्वस्त करेंगे. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने मसौदा नियमों का विरोध करने के लिए विदेशी वित्त निवेश वाली ई-टेलर्स और कुछ प्रमुख उद्योग चेम्बर्ज़ को उनके स्टीरियो टाइप रोने पर लताड़ते हुए कहा कि यह मसौदा नियमों को लागू न करने के लिए उद्योग चैबरों द्वारा उनके निहित स्वार्थ वाली कंपनियों का एक भयावह जाल है.
8 करोड़ कारोबारियों को मिलेगी ताकत
देश के 8 करोड़ से अधिक छोटे व्यापारी मसौदा नियमों के आसपास किसी भी तरह के गलत प्रचार का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कैट ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय का समावेशी विकास काफी हद तक 4 मुख्य बुनियादी बातों पर निर्भर करता है जैसे, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के पारदर्शी संचालन, ई-कॉमर्स संस्थाओं मे आसान पहुंच और शिकायत निवारण के पर्याप्त उपाय, मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म की गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच मूल्य-श्रृंखला के सभी हितधारकों के लिए तथा विक्रेताओं और विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बीच हितों के किसी टकराव से बचाव करना है.
नियम पालन किए बिना सामानों की बिक्री नहीं
उन्होंने आगे कहा कि किसी भी इकाई में इक्विटी या आर्थिक हित रखने वाले किसी भी कम्पनी को उक्त बाज़ार पर सामान बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इसे “संबद्ध इकाई” के रूप में माना जाना चाहिए. अपने ज्ञापन में कैट ने तर्क दिया कि किसी भी ई-सिस्टम के माध्यम से व्यवसाय करने वाली ई-कॉमर्स संस्थाओं का अनिवार्य पंजीकरण एक अच्छी तरह से परिभाषित इको-सिस्टम की मज़बूद नींव रखेगा जिसके जरिये पंजीकरण प्रक्रिया के साथ ई-कॉमर्स परिदृश्य की सीमा का आसानी से पता लगाया जा सकता है और उपभोक्ताओं को दुष्ट/धोखाधड़ी वाली ई-कॉमर्स कंपनियों से भी बचाया जा सकेगा। पारदर्शिता किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की पहचान होनी चाहिए और इसलिए प्रत्येक ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस को सभी हितधारकों के संबंध में पारदर्शी तरीके से कार्य करना चाहिए, अर्थात् – ग्राहक, विक्रेता, लॉजिस्टिक्स पार्टनर और भुगतान की सुविधा बीमा किसी रूकावट के समान स्तर पर मिलें.
उत्पादों की मिले सही जानकारी
इसलिए, उक्त प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत प्लेटफॉर्म और विक्रेताओं के बीच सभी प्रकार के समझौते का खुलासा पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए, जिसमें पूर्व-खरीद चरण में उपभोक्ता को विक्रेता और उत्पादों के बारे में सभी जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए. इसके अलावा, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सर्च एल्गोरिथम को उपयोगकर्ताओं