शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है

What is the meaning of Volume in the stock market| delivary volume stock
स्टॉक मार्केट में वॉल्यूम का मतलब संख्या से होता है इसका मतलब यह होता है कि कोई कितनी बड़ी संख्या में किसी स्टॉक में खरीदारी कर रहा है.
स्टॉक में जितनी भी बड़ी मात्रा में खरीदारी होगी वॉल्यूम की संख्या उतनी ही ज्यादा बड़ी दिखाई पड़ेगी.
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what is volume Meaning in stock market with example in hindi
स्टॉक मार्केट में एक बहुत ही खास बात ध्यान देने वाली यह होती है कि अगर स्टॉक मार्केट में तेजी चल रही है. तब क्या वॉल्यूम बढ़ जाएगा तब वॉल्यूम बिल्कुल बढ़ेगा लेकिन यहां पर अगर मंदी भी चल रही होगी तब भी वॉल्यूम बढ़ेगा.
दोनों का वॉल्यूम का तरीका अलग होगा तेजी का वॉल्यूम ऊपर की तरफ होगा और मंदी का वॉल्यूम नीचे की तरफ होगा.
इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लेते हैं रितिका एक फार्मा कंपनी का स्टॉक खरीदती है और कुछ दिनों बाद इस स्टॉक में गिरावट शुरू हो जाती है गिरावट काफी बड़ी होती है और यह गिरावट मंदी वाली गिरावट कहलाती है.
इस गिरावट में जो वॉल्यूम बनेगा वह मंदी वाला वॉल्यूम बनेगा यानी कि बेयरिश वॉल्यूम।
ठीक उसी तरह से अगर स्टॉक ऊपर की तरफ बढ़ता है. तब उसमें जो वॉल्यूम बनता है तेजी वाला वॉल्यूम बनता है. Bullish volume
मार्केट में जितने शेयर बेचे जाते हैं उतने ही शेयर खरीदे जाते हैं जैसे इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लिए एक आईटी कंपनी का शेयर में 1 लाख शेयर बेचे गए और 1 लाख शेयर खरीदे गए तो उसमें जो टोटल ट्रेडिंग हुई वह कुल मिलाकर के 1 लाख शेयर की हुई ना की 2 लाख शेयर की.
what is the high volume in stock
किसी भी स्टॉक को एनालिसिस करने के लिए उसके वॉल्यूम को देखना जरूरी होता है. क्योंकि वॉल्यूम से आप स्टॉक में होने वाले बदलाव की भविष्यवाणी कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि यह स्टॉक भविष्य में ऊपर जाएगा या फिर नीचे अगर इसका वॉल्यूम लगातार नीचे की तरफ बढ़ रहा है तब स्टॉक और नीचे गिर सकता है.
हाई वॉल्यूम स्टॉक पता करने के लिए आपको बहुत सारे लिक्विड और वोलेटाइल स्टॉक्स के बारे में जानकारी पता करनी होगी।
लिक्विड स्टॉक्स और वोलेटाइल स्टॉक्स कैसे आपको पैसा आसानी से बना सकते हैं इसके बारे में आप यहां पूरा पढ़ सकते हैं.Read here
क्योंकि लिक्विड स्टॉक्स में ट्रेडिंग काफी ज्यादा होती है और लोग उसमें काफी ज्यादा रुचि लेते हैं ट्रेड करने के लिए और उसके प्राइस का मूवमेंट भी काफी तेज होता है.
इस वजह से आप ऐसे स्टॉक्स में वॉल्यूम का पुराना डाटा निकालकर यह पता लगा सकते हैं कि कहीं इसमें कोई भारी संख्या में खरीदारी तो नहीं हो रही है. लगातार खरीदारी हो रही है तो हो सकता है यह स्टॉक का प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ सकता है.
स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम को आपस में कैसे पहचाने।
लेकिन एक खास बात आपको ध्यान में रखनी होगी जिससे कि आप अंदाजा लगा सकते हैं या कह सकते हैं यह स्ट्रेटेजी है.
Stock market me volume kya kaam karta hai | volume ko kaise dekhte hai
वॉल्यूम से हम किसी भी स्टॉक के ट्रेडर के एक्शन उसके सेंटीमेंट को समझ सकते हैं मतलब ट्रेडर क्या करना चाह रहा है. लेकिन ध्यान देने वाली यह बात है कि बहुत ही छोटा-छोटा अगर वॉल्यूम आपको नजर आएगा तो इससे आप काफी हद तक अंदाजा नहीं लगा सकते।
स्टॉक के वॉल्यूम का अंदाजा लगाने के लिए आपको बड़ा-बड़ा वॉल्यूम नजर आना चाहिए।
शेयर बाजार में जब ज्यादा मात्रा में वॉल्यूम होता है तो प्राइस में उतार-चढ़ाव भी काफी तेजी से होता है.
Volume strategy kya hai option trading
अगर आप वॉल्यूम को देख करके स्ट्रेटेजी बनाना चाहते हैं तो बहुत ही सिंपल एक वॉल्यूम स्ट्रेटेजी है.
आपको कम से कम किसी भी स्टॉक जिसको आप ट्रैक कर रहे हैं लगातार और वह स्टॉक आपके रडार पर होना चाहिए.
आप उस स्टॉक के चार्ट को कम से कम 3 महीने पुराना लेना होगा आपको
आपको यह देखना होगा कि कहां-कहां पर वॉल्यूम ज्यादा बढ़ रहा है
volume and stock price|how to choose stocks by high volume
volume and stock price relation
और कुछ पॉइंट्स को भी दिमाग में रखना होगा यही पॉइंट्स आपके काम के साबित होंगे।
अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है लेकिन स्टॉक की कीमत या प्राइस नहीं बढ़ रही है.
तब स्टॉक में गिरावट आ सकती है
अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है और साथ ही साथ स्टॉक की कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक में बढ़त दिखाई पड़ सकती है.
अगर कीमत बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है तब स्टॉक में गिरावटआ सकती है.
वॉल्यूम बढ़ रहा है और उसके साथ-साथ कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक ऊपर की तरफ जा सकता है.
अगर वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है और कीमत ऊपर की तरफ बढ़ रही है तब स्टॉक में किसी भी दिन अचानक बड़ी गिरावट आ सकती है.
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जब बाजार में FIIS foregin instutional investor बाजार में आते हैं और वह बहुत बड़े-बड़े आर्डर डालते हैं वह लाखों की संख्या में स्टॉक की qty खरीदते हैं तब उनके Volume इतने ज्यादा बड़े हो जाते हैं कि आप चार्ट में उनका डाटा बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं कि यह खरीदारी या बिकवाली FIIS के द्वारा करी गई है.
आप इस डाटा को ध्यान में रखकर भी स्ट्रेटेजी की बना सकते हैं
इसलिए वॉल्यूम को समझना और वॉल्यूम और स्टॉक की प्राइस कीमत को समझना दोनों के बीच में संबंध को समझना काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है चाहे आप
ट्रेडिंग करते हैं या इन्वेस्टिंग करते हैं दोनों के लिए यह काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है वॉल्यूम
हमेशा चार्ट में आप डाटा के रूप में ही देख सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि आपको जो डाटा देखना है वह हाल का ही डाटा होना चाहिए बहुत ही ज्यादा पुराना डाटा किसी काम का नहीं है जैसे कि आप 5 साल या 10 साल पुराना डाटा देखते हैं तब वह आपके काम का नहीं है.
डाटा जितना भी नया होगा उससे उतने ही अच्छे और ठोस नतीजे आप निकाल सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि सिर्फ वॉल्यूम देख कर के ही आप ठोस नतीजे नहीं निकाल सकते हैं वॉल्यूम के साथ-साथ हमें प्राइस और एंट्री और एग्जिट सिग्नल देखना जरूरी हो जाता है.
आप इससे यह पता लगा सकते हैं कि कहां पर हमें एंट्री लेनी है और कहां पर हमें एग्जिट करना है.
इस बात से यह पता लगता है की वॉल्यूम एक ट्रेंड है और ट्रेंड के साथ ही हमें ट्रेड करना होता है अगर आप इस तरह के वॉल्यूम को अच्छे से देख पाते हैं तब यह आपके लिए काफी अच्छा हो जाता है मार्केट में ट्रेड करना
Volume in Share Market: शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है? ट्रेडिंग के लिए यह जरूरी इंडिकेटर क्यों है?
Volume in Share Market: शेयर बाजार में वॉल्यूम बड़े ही काम का इंडिकेटर होता है, यह बाजार के रुझानों को समझने में मदद करता है, लेकिन ज्यादातर ट्रेडर ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। तो आइए यहां जानते है ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? (What is Trading Volume in Hindi)
Volume in Share Market: शेयर मार्केट के वॉल्यूम सबसे जरूरी इंडिकेटर में से एक है। ज्यातदर ट्रेडर अन्य पैरामीटर पर ध्यान तो देते है लेकिन ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। लेकिन यह बहुत ही जरूरी इंडिकेटर है। इसलिए इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या है? (What is Volume in Share Market?)
ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? | What is Trading Volume in Hindi
Volume in Share Market: वॉल्यूम एक इंडिकेटर है जिसका मतलब है कि शेयरों की कुल संख्या जो एक विशिष्ट अवधि में या ट्रेडिंग डे के दौरान खरीदी या बेची गई है। इसमें एक विशेष समय अवधि के दौरान प्रत्येक शेयर शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है की खरीद और बिक्री भी शामिल होगी।
वॉल्यूम कई निवेशकों को शेयर बाजार में रुझानों और पैटर्न का एनालिसिस करने में मदद करता है। चाहे कोई निवेशक पूरे शेयर बाजार की बात कर रहा हो या किसी इंडिविजुअल स्टॉक के शेयरों की, मात्रा की जानकारी कहीं भी मिल सकती है।
वॉल्यूम का मतलब ट्रेडिंग डे के दौरान कार्रवाई में किए गए शेयरों की कुल संख्या भी है, चाहे उनके पास खरीद या बिक्री का आदेश हो।
इस प्रकार अगर शेयर बाजार में सक्रिय रूप से कारोबार किया जाता है, तो वॉल्यूम अधिक होता है, और अगर स्टॉक सक्रिय रूप से कारोबार नहीं करते हैं, तो वॉल्यूम कम होता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम कई प्रकार के वित्तीय साधनों जैसे डेरिवेटिव स्टॉक, बॉन्ड और सभी प्रकार की वस्तुओं के लिए निर्धारित किया जा सकता है।
स्टॉक मार्केट में प्रत्येक ट्रेडिंग सेशन के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा ट्रेडिंग वॉल्यूम प्रकाशित किए जा रहे हैं। वॉल्यूम को स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किए गए सभी शेयरों और इंडिविजुअल शेयरों की कुल मात्रा के रूप में कहा जाता है।
निवेशकों के पास ट्रेडिंग सेशन के दौरान सेंसेक्स या निफ्टी 50 पर कारोबार किए जा रहे शेयरों के वॉल्यूम जानने का भी मौका हो सकता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम कहां खोजें? | Where to Find Trading Volume?
सभी स्टॉक मार्केट एक्सचेंज बाजार में सभी शेयरों का ट्रैक वॉल्यूम रखते हैं। इस प्रकार, यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है जहां निवेशक शेयर बाजार में किसी विशेष शेयर के वॉल्यूम के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम खोजने के कई अन्य तरीके हैं और कोई भी आसानी से समाचार, वेबसाइट या थर्ड पार्टी की वेबसाइटों के माध्यम से देख सकता है जो शेयर बाजार से संबंधित जानकारी अपलोड करते हैं।
निवेशक अपने पर्सनल ब्रोकर के साथ या अपने निवेश प्लेटफॉर्म के माध्यम से जानकारी ले सकते हैं और ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच कर सकते हैं।
कई निवेश प्लेटफॉर्म किसी विशेष समय सीमा के लिए किसी विशेष स्टॉक की मात्रा दिखाने के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते हैं। इस चार्ट में, हरा रंग खरीदारी की मात्रा दिखाता है, और लाल रंग बिक्री की मात्रा दिखाती है।
कई अन्य वॉल्यूम चार्ट हैं जो समय अवधि पर निर्भर करते हैं अर्थात वे प्रति घंटा, दैनिक, मासिक, वॉल्यूम चार्ट दिखाते हैं।
हालांकि, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों के बीच ट्रेडिंग वॉल्यूम पूरी तरह से अलग होगा।
स्टॉक वॉल्यूम क्या दिखाता है? | What Does Stock Volume Shows?
स्टॉक वॉल्यूम से पता चलता है कि एक्टिविटी ने शेयर मार्केट में अपनी स्थिति ले ली है। इस प्रकार, चाहे कोई निवेशक शेयर खरीदता है या बेचता है, सभी एक्टिविटी वॉल्यूम मीट्रिक में दर्ज की जाती है।
अगर किसी विशेष स्टॉक की बड़ी मात्रा है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक के आसपास कई एक्टिविटीज हो रही हैं, या इस स्टॉक का ब्याज बहुत अधिक है। एक्टिविटी का परिणाम पॉजिटिव और नेगेटिव भी हो सकता है, जिसका मतलब है कि स्टॉक के बारे में नेगेटिव बात हो सकती है, जो स्टॉक की मात्रा को उलट सकता है।
हाई वॉल्यूम निवेशकों को शेयर बाजार में एक्सचेंज किए गए टाइमशेयर की संख्या बताती है। इसलिए, शेयर बाजार में मात्रा तरल और मार्केट एक्टिविटी का टेस्ट करती है।
लिक्विडिटी का मतलब है कि सेल ऑर्डर होने पर निवेशक अपना पैसा आसानी से वापस पा सकता है। जब बाजार में हाई वॉल्यूम होता है, तो इसका मतलब है कि बाजार में अधिक विक्रेता और खरीदार हैं।
एक सिंगल ट्रेडिंग सेशन में, सेशन के ओपनिंग और क्लोजिंग के दौरान वॉल्यूम अधिक रहता है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर्स सेशन क्लोज होने से पहले जल्दी में अपनी पोजीशन बुक और बंद कर देते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम को शॉर्ट टर्म इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह टूल उन निवेशकों की मदद करता है जो ट्रेडिंग सेशन में फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।
वॉल्यूम और प्राइस कैसे रिलेट करते है और नहीं?
अगर किसी विशेष स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम जाता है, तो स्टॉक की कीमत पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। हाई वॉल्यूम हमेशा स्टॉक के ऊपर जाने और ऊंची उड़ान भरने का प्राथमिक कारण नहीं होता है, कई अन्य कारण शेयर की कीमत को प्रभावित करते हैं।
कई बार वॉल्यूम निवेशकों को एक प्रवृत्ति के अस्तित्व की पुष्टि करने में मदद करता है, और जब इसे एक साथ देखा जाता है, तो यह एक सहायक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
अगर वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है और अन्य बाजारों के साथ मिश्रित है, तो यह बताता है कि शेयर बाजार लाभदायक और स्वस्थ हैं।
उदाहरण के लिए-
1) अगर किसी विशेष स्टॉक की कीमत स्टॉक वॉल्यूम के साथ गिरती है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में गिरावट का रुझान है।
2) अगर स्टॉक वॉल्यूम बढ़ रहा है और स्टॉक मार्केट भी ऊपर है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है।
शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? । Full details explained in hindi - pourit
0 Team ShortWiki September 06, 2022
वॉल्यूम इन शेयर मार्केट | वॉल्यूम पैटर्न | वॉल्यूम संख्या क्या है | शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब क्या होता है | शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है | वॉल्यूम का फॉर्मूला
शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? । Full details explained in hindi
स्वागत है अपका आज के इस ब्लॉग में जिसमे हम बात करने वाले है ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume) के बारे में। तो ट्रेडिंग वॉल्यूम शेयर मार्केट का एक मुख्य हिस्सा है। ट्रेडिंग वॉल्यूम से हमे काफी चीजे पता चलती है जैसे कि विशेष समय पर कितना ट्रेडिंग हो रहा है जैसे अन्य चीजे पता चलती है।
इसलिए अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते है तो आपके लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम या वॉल्यूम की जानकारी होना जरूरी हो जाता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम (Volume hindi) के वजह से कोई भी ट्रेडर पता लगा सकता है कि शेयर की कीमत ऊपर जाएगी या नीचे। और ट्रेडर अच्छा खासा मुनाफा कमाते है वॉल्यूम की जानकारी होने के कारण। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम विस्तार से Trading Volume kya hota hai के बारे में बात करेंगे।
शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब क्या होता है (volume meaning in share market)
शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब होता है, किसी शेयर या स्टॉक में होने वाले खरीदारी और बिक्री की मात्रा।
अगर ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या ज्यादा होगी तो वॉल्यूम भी ज्यादा होगी। यानी कि अगर शेयर ज्यादा मात्रा में खरीदा और बेचा जाएगा तो वॉल्यूम की मात्रा भी ज्यादा होगी।
वही अगर मार्केट में मंदी हो या फिर तेजी ऐसे दोनो मामले में शेयर की वॉल्यूम बढ़ती हुई दिखती है। मंदी में वॉल्यूम बढ़ने का यह कारण होता है कि उस समय ज्यादा से ज्यादा लोग स्टॉक को बेचना चाहते है। और तेजी में वॉल्यूम बढ़ने का कारण यह होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्टॉक को खरीदना चाहते है।
शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है (share market me volume kya hota hai)
अगर कोई भी शेयर का ट्रेड होता है तो वॉल्यूम का निर्माण होता है। शेयर मार्केट में वॉल्यूम हमे यह बताती है कि किसी कंपनी का शेयर निश्चित समय में कितना बेचा और खरीदा गया है यानी कि जितने शेयर की संख्या का ट्रेड होता है उसे वॉल्यूम खहते है।
जैसे की मान लीजिए कोई XYZ कंपनी के 5000 शेयर को बेचना चाहता है और कुछ लोग XYZ कंपनी के 5000 शेयर को खरीदना चाहता है तो वहां पर 5000 Volume का निर्माण होता है। क्योंकि यहां पर 5000 शेयर की लेन देन हुई है।
अगर आपको लगता है कि 5000 शेयर बेचा गया और 5000 शेयर खरीदा गया तो वॉल्यूम 10,000 की बनेगी जोकि गलत है। अगर ट्रेड 1000 का हो रहा है तो वॉल्यूम भी 1000 का ही होगा।
वॉल्यूम का फॉर्मूला (Volume ka formula)
1st Trade - मान लीजिए कोई एक व्यक्ति 500 शेयर बेचना चाहता है और एक व्यक्ति वही शेयर के 500 मात्रा को खरीदा चाहता है है तो यह हमारा एक ट्रेड हुआ। और इस ट्रेड में को वॉल्यूम होगा, वो 500 का होगा शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है क्योंकि 500 क्वांटिटी का ट्रेड हुआ है।
2nd Trade - अब कोई व्यक्ति 200 शेयर खरीदना चाहता है और वही शेयर के 200 मात्रा कोई sell करना चाहता है तो यहां पर 200 का वॉल्यूम बनेगा।
यानी कि हमारा दोनो मामले में हमारा कुल वॉल्यूम हुआ 500+200=700 का। तो हमारा ट्रेड वॉल्यूम हो जाएगा 700 का क्योंकि यहां पर "Total Number of Share" 700 का ट्रेड हुआ है। और यह प्रक्रिया चलता रहता है मार्केट खुलने से लेकर मार्केट बंद होने तक।
यहां पर हमने आपको 2 ट्रेड का उदहारण लेकर समझाने की कोसिस किया हु। मगर एक शेयर में सिर्फ 2 ट्रेड नही होता क्योंकि एक शेयर को खरीदने वाले भी बहुत है और बेचने वाले भी बहुत है।
इसलिए किसी कंपनी की वॉल्यूम किसी निश्चित समय की देखी जाती है। यानी कि किसी कंपनी में 5 मिनिट में कितना ट्रेड हुआ है फिर 30 मिनिट, 1 दिन, 1 महीने, या फिर 1 साल का ट्रेड वॉल्यूम देखा जाता है।
वॉल्यूम का क्या काम है
वॉल्यूम का काम मार्केट के लिक्विडिटी (Liquidity) को बताने का होता है। मार्केट की लिक्विडिटी ज्यादा तभी होती है जब शेयर की वॉल्यूम ज्यादा हो।
अब बात आती है कि लिक्विडिटी ज्यादा होना का क्या फायदा है। फायदा यही है कि किसी भी शेयर को आप बेचना चाहते है या फिर खरीदना चाहते है तो आपको आसानी होगी।
अगर किसी शेयर की लिक्विडिटी हाई (High) है तो इसका मतलब यह होता है कि उसकी वॉल्यूम ज्यादा होगी। और अगर वॉल्यूम ज्यादा है तो साधारण सी बात है कि उस विशेष शेयर के खरीदार और विक्रेता ज्यादा है। तो आपको उस स्टॉक में ट्रेड करने में आसानी होगी।
Charts में volume कहां पर दिखता है
यहां पर आपको Red और Green रंग की कैंडल दिखाई गई है जोकि वॉल्यूम है। Green candle स्ट्रॉन्ग buying वॉल्यूम दिखाता है Red candle selling वॉल्यूम दिखाता है।
हमारे द्वारा 1 minute Time - period candle दिखाई गई है। अलग - अलग Time - period में अलग-अलग वॉल्यूम बनते है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आज हमने जाना शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है। अगर आपको कुछ और इनफॉर्मेशन चाहिए तो आप कॉमेंट कर के पूछ सकते है। और अगर आपको कुछ लगता है की पोस्ट में और भी कुछ इनफॉर्मेशन डालनी चाहिए तो आप कॉमेंट कर के बता सकते है।
प्रश्न. ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने पर इसका क्या मतलब है?
उत्तर - ट्रेडिंग का वॉल्यूम ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या बताता है वही ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने का मतलब यह हो सकता है कि उस विशेष स्टॉक में लोगों की रुचि न होना। जिसके वजह से स्टॉक्स में अगर डाउंट्रेड का वॉल्यूम कम है तो शेयर "Bullish" का संकेत देता है और अगर अपट्रेड का वॉल्यूम कम होता है तो यह "Bearish" का संकेत देता है।
प्रश्न. स्टॉक मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम कैसे बनता है?
उत्तर - स्टॉक मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम शेयर के ट्रेड होने से बनता है। अगर असान भासा में समझे तो जितने भी buy और sell किसी विशेष शेयर में होती है तो स्टॉक का वॉल्यूम बनता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? [2022] | What is Trading Volume in Stock Market in Hindi?
क्या आप शेयर मार्किट में नए हैं और यह जानना चाहते हैं की शेयर मार्किट में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? तो यह ब्लॉग पोस्ट सिर्फ आपके लिए है इसे पूरा ध्यान से पढ़ें – What is Trading Volume in Stock Market in Hindi?
Table of Contents
शेयर मार्किट में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? – What is Trading Volume in Stock Market in Hindi?
शेयर बाजार में वॉल्यूम का मतलब एक निश्चित समय सीमा में कारोबार किए गए शेयरों की शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है कुल संख्या है। इसमें वह हर शेयर शामिल होगा जो समीक्षाधीन अवधि के दौरान खरीदा और बेचा जाता है। मान लीजिए, किसी कंपनी के 100 स्टॉक एक ही ट्रेडिंग दिन में खरीदे और बेचे गए, तो उस स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम 200 होगा, भले ही वही 100 स्टॉक बाजार में कारोबार कर रहे हों।
इसलिए, वॉल्यूम उन शेयरों की कुल संख्या है जो कार्रवाई में थे। यह एक खरीद आदेश या बिक्री आदेश हो सकता है। जब स्टॉक सक्रिय रूप से कारोबार करते हैं तो वॉल्यूम अधिक होता है। इसी तरह, अगर शेयरों में सक्रिय रूप से कारोबार नहीं किया जाता है तो वॉल्यूम कम होता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume) को किसी भी प्रकार के वित्तीय साधन के लिए मापा जा सकता है: स्टॉक, बॉन्ड, डेरिवेटिव (शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है वायदा और विकल्प अनुबंध), सोना और ज्यादातर सभी प्रकार की वस्तुएं।
स्टॉक एक्सचेंज प्रत्येक ट्रेडिंग सत्र के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम प्रकाशित करते हैं। व्यक्तिगत स्टॉक के लिए वॉल्यूम और एक्सचेंज पर कारोबार किए गए सभी शेयरों की कुल मात्रा की सूचना दी जाती है। सूचकांकों के लिए भी वॉल्यूम की सूचना दी जा सकती है। जैसे, किसी विशेष ट्रेडिंग सत्र या किसी अन्य समय सीमा के लिए निफ्टी 50 या सेंसेक्स पर कारोबार किए गए शेयरों की मात्रा जानना हमारे लिए संभव हो सकता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम कहां देख सकते है?
सभी स्टॉक मार्केट एक्सचेंज स्टॉक की मात्रा को ट्रैक करते हैं। इसलिए, किसी विशेष शेयर के शेयर बाजार में मात्रा की जानकारी आसानी से उपलब्ध है। कोई भी एक्सचेंजों, समाचार वेबसाइटों, तीसरे पक्ष की वेबसाइटों को देख सकता है जिनके पास शेयर बाजार की जानकारी है। निवेशक ब्रोकरों और निवेश प्लेटफार्मों के साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच भी कर सकते हैं।
प्लेटफ़ॉर्म किसी विशेष समय सीमा के लिए वॉल्यूम दिखाने के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का भी उपयोग शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है करते हैं। हरे रंग की पट्टी खरीदारी की मात्रा दिखाती है और लाल पट्टी बिक्री की मात्रा दिखाती है।
उस समयावधि के आधार पर वॉल्यूम चार्ट भी होते हैं जिन्हें कोई ध्यान में रखना चाहता है। प्रति घंटा वॉल्यूम चार्ट, दैनिक, मासिक, 200-दिवसीय वॉल्यूम चार्ट आदि हो सकते हैं।
अक्सर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में किसी विशेष स्टॉक की ट्रेडिंग वॉल्यूम अलग-अलग होगी। यह भी एक कारण है कि एक स्टॉक के लिए सेंसेक्स और निफ्टी 50 के बीच थोड़ा सा अंतर हो सकता है। तार्किक रूप से, ऐसा होने के लिए स्टॉक को दोनों एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होना चाहिए।
ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या बताता है?
स्टॉक वॉल्यूम उस क्रिया को दर्शाता है जो किसी विशेष स्टॉक में हुई है। सभी गतिविधि, चाहे वह बिक्री हो या खरीदारी, वॉल्यूम मीट्रिक में दर्ज हो जाती है। यदि स्टॉक बहुत अधिक मात्रा दिखा रहा है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक के आसपास बहुत अधिक रुचि या गतिविधि हो रही है। यह नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है। एक नकारात्मक समाचार विकास हो सकता है जो अधिक बिक्री को बढ़ावा दे सकता था।
उच्च मात्रा इंगित करती है कि शेयरों ने कितनी बार हाथ बदले हैं।
इसलिए, हम कह सकते हैं कि शेयर बाजार में मात्रा बाजार की गतिविधि और तरलता को मापती है। शेयरों में तरलता का मतलब है कि आसानी से एक निवेशक को निवेश से पैसा वापस मिल सकता है जब बिक्री का आदेश होता है या आसानी से एक निवेशक कर सकता है। अधिक मात्रा में बाजार में अधिक खरीदारों और विक्रेताओं का संकेत मिलता है।
एक ही ट्रेडिंग सत्र के भीतर, बाजार के खुलने और बंद होने के दौरान वॉल्यूम अधिक हो जाता है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर्स दिन के लिए अपनी पोजीशन बुक करने और बंद करने की जल्दी में होते हैं। जबकि निवेशक और व्यापारी वॉल्यूम को मीट्रिक के रूप में उपयोग कर सकते हैं, ट्रेडिंग वॉल्यूम विश्लेषण शॉर्ट टर्म इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद है।
मात्रा और मूल्य: वे कैसे संबंधित या असंबंधित हैं?
स्टॉक के ट्रेडिंग वॉल्यूम में तेजी से स्टॉक की कीमत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, उच्च मात्रा हमेशा स्टॉक की कीमत बढ़ने का कारण नहीं होती है। कई कारण शेयर की कीमत को प्रभावित करते हैं। हालांकि, कई बार, वॉल्यूम हमें किसी विशेष प्रवृत्ति के अस्तित्व की पुष्टि करने में मदद करते हैं।
जब मूल्य वृद्धि या बाजार में वृद्धि के साथ देखा जाता है, तो यह एक सहायक संकेतक हो सकता है। यदि वॉल्यूम वास्तव में अधिक है और इसके साथ-साथ बाजार भी ऊपर हैं, तो यह संकेत दे सकता है कि शेयर बाजार काफी मजबूत और स्वस्थ हो रहा है। इसलिए, कभी-कभी, अन्य संकेतकों के साथ विश्लेषण करने पर वॉल्यूम बाजार की ताकत का एक उपाय हो सकता है।
आइए इसे उदाहरणों में बेहतर ढंग से समझते हैं:
जब स्टॉक की मात्रा बढ़ने के साथ कीमतें गिरती हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि रुझान नीचे की ओर जा रहा है
यदि बाजार ऊपर जा रहे हैं और मात्रा भी बढ़ रही है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि प्रवृत्ति ऊपर की ओर जा रही है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम विश्लेषण, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, व्यापारियों और निवेशकों के लिए फायदेमंद है। कई लंबी अवधि के निवेशक, उदाहरण के लिए, म्यूचुअल फंड जैसे संस्थागत निवेशक अधिक मात्रा वाले शेयरों को पसंद करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडर्स, जिन्हें अपेक्षाकृत कम समय में अपनी स्थिति को स्क्वायर-ऑफ करना होता है, उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों की तलाश करते हैं। जबकि वॉल्यूम महत्वपूर्ण हैं, किसी को स्टॉक में निवेश करने से पहले अन्य कारकों को भी देखना चाहिए। सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए एक समग्र निर्णय निवेशकों को धन सृजन के साथ एक लंबा सफर तय करने में मदद करता है।
मौलिक विश्लेषण का उपयोग करने वाले निवेशकों के लिए भी ट्रेडिंग वॉल्यूम एक सहायक उपकरण है। यह निवेशकों को लंबी समय सीमा में स्टॉक में किसी भी महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव को प्रमाणित करने में मदद कर सकता है।
हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट पढ़ने के बाद आपके सवाल स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? (Trading Volume in Stock Market in Hindi) इसका जवाब आपको आसान भाषा में मिल गया होगा।
विकास तिवारी इस ब्लॉग के मुख्य लेखक हैं. इन्होनें कम्प्यूटर साइंस से Engineering किया है और इन्हें Technology, Computer और Mobile के बारे में Knowledge शेयर करना काफी अच्छा लगता है.