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क्या बिटकॉइन भारत में वैध है?

क्या बिटकॉइन भारत में वैध है?

भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है? [2021] | Future of Bitcoin in India Hindi

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 31 मई को बैंकों से कहा कि वे अपने 2018 के आदेश का हवाला न दें, जो क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाले ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं से इनकार करने का कारण है. RBI ने कहा कि उसके 2018 के आदेश को मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और बैंकों के लिए अब इस आदेश का हवाला देना अनुचित होगा – Future of Bitcoin in India Hindi.

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा कि वे एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की रोकथाम से जुड़े नियमों के तहत क्रिप्टोकुरेंसी व्यापारियों पर अन्य उचित परिश्रम प्रक्रियाओं को जारी रखें.

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भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है? – Future of Bitcoin in India Hindi

मुझे लगता है की अगर दुनिया के बड़े बड़े देश इसे अपनाएंगे तो अंततः भारत को भी बिटकॉइन को अपनाना होगा क्यूंकि भारत भी दुनिया के साथ नयी टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहेगा लेकिन भारत सरकार इसपर नए कानून जरूर लागू करेगा – Future of Bitcoin in India Hindi.

RBI के 2018 के सर्कुलर में क्या कहा गया है?

अप्रैल 2018 में, RBI ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाले ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच की अनुमति नहीं है. निजी पार्टियों द्वारा जारी आभासी मुद्राओं की वैधता के बारे में आरबीआई के अधिकारियों के बीच संदेह के वर्षों के बाद सर्कुलर आया.

केंद्रीय बैंक ने बार-बार उन जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है जो इन अनियमित निजी मुद्राओं से निवेशकों और वित्तीय प्रणाली (financial system) को प्रभावित करते हैं. बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन की सुविधा से रोककर, आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी महत्वपूर्ण रुपये के निवेश पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया.

SC ने RBI के 2018 के आदेश को बैंकों को क्यों उलट दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम आरबीआई पर अपने फैसले में आरबीआई के 2018 के सर्कुलर को पलट दिया. SC ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की खरीद या बिक्री पर RBI इन मुद्राओं के व्यापार पर अधिक प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. अदालत ने महसूस किया कि इस तरह के प्रतिबंध नागरिकों के किसी भी व्यापार को करने के मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप करेंगे जिसे कानून के तहत वैध माना जाता है.

क्या यह RBI और सुप्रीम कोर्ट से क्रिप्टोकरेंसी के लिए मंजूरी की मुहर है?

नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने RBI के आदेश को पलटते हुए बस इतना कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर भारी प्रतिबंध लगाने के लिए फिलहाल कोई कानूनी आधार नहीं है. एक बार संसद में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित होने के बाद, अदालत भविष्य में इस विचार को नहीं रख सकती है. दूसरी ओर, आरबीआई को मौजूदा स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि कुछ बैंकों ने हाल ही में ग्राहकों को क्रिप्टोकुरेंसी में काम करने से रोकने के लिए 2018 के परिपत्र (जो अब शून्य है) का हवाला दिया है.

वैधता को लेकर अनिश्चितता के कारण बैंक अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी में सौदा करने देने से हिचक रहे हैं. इस बीच, केंद्र क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.

भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है?

क्रिप्टोक्यूरेंसी संशयवादियों का कहना है कि दुनिया भर की सरकारें अंततः सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा देंगी. उनका तर्क है कि सरकारें और उनके केंद्रीय बैंक पैसे पर अपनी एकाधिकार शक्ति को कमजोर नहीं होने देंगे.

भारत सरकार इस मामले पर परस्पर विरोधी संकेत देती रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च में कहा था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं होगा. लेकिन केंद्र जल्द ही आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन (Law) को पेश करने की योजना बना रहा है, जिसमें कहा गया है कि सभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाले प्रावधान हैं. इस प्रकार, भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य अभी भी अधर में है – Future of Bitcoin in India Hindi.

विकास तिवारी इस ब्लॉग के मुख्य लेखक हैं. इन्होनें कम्प्यूटर साइंस से Engineering किया है और इन्हें Technology, Computer और Mobile के बारे में Knowledge शेयर करना काफी अच्छा लगता है.

नियामकीय कसौटियों पर कसें तो सपने बेच रहीं क्रिप्टो परिसंपत्तियां

नौ वर्ष पहले मैंने लिखा था कि इलेक्ट्रॉनिक मुद्राएं जल्दी ही सरकार और मौद्रिक प्राधिकार के लिए चिंता का विषय होंगी। मैंने पूछा था कि कर प्रशासन बिटकॉइन लेनदेन का पता कैसे लगाएगा? क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने वाली छिपी पूंजी का इस्तेमाल रोकने के लिए विदेशी एक्सचेंजों तथा अन्य नियमन में किस प्रकार बदलाव करने होंगे? क्या बिटकॉइन से करवंचना आसान हो जाएगी और सरकार की राजकोषीय नीतियां प्रभावित होंगी? बाद के वर्षों में क्रिप्टो परिसंपत्तियों ने स्वयं को हमारे वित्तीय माहौल के साथ समायोजित किया लेकिन बतौर मुद्रा अपनी संभावनाओं के साथ नहीं। संभवत: बदलाव का अहम क्षण तब आया जब चीन ने 2017 में पूंजी के बहिर्गमन के बाद स्थानीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के खिलाफ सफलतापूर्वक कार्रवाई की। 2016 में 725 अरब डॉलर की राशि चीन से बाहर गई और नियामकों ने ध्यान दिया कि क्रिप्टोकरेंसी की व्यापक उपलब्धता पूंजी नियंत्रण के प्रयास बाधित करेगी। जिन देशों में क्रिप्टोकरेंसी को वैध माना जाता है वहां भी वास्तव में वे मुद्रा नहीं हैं। क्या बिटकॉइन भारत में वैध है? आप उनके जरिये खरीद बिक्री नहीं कर सकते। क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और नियमित वित्तीय व्यवस्था को जोडऩे के उपाय प्रभावी नहीं रहे। अमेरिका में बड़े एक्सचेंजों पर आपकी क्रिप्टो परिसंपत्ति से डेबिट कार्ड जुड़ सकते हैं लेकिन उनसे लेनदेन में विफलता ज्यादा हाथ लगती है और उन पर शुल्क भी अधिक लगता है। बिटकॉइन में लेनदेन दरअसल 2017 से कम हो रहा है।

मुद्रा के तीन इस्तेमाल हैं: विनिमय का माध्यम, मूल्य संधारण और लेखा इकाई। क्रिप्टोकरेंसी विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोगी नहीं हैं लेकिन लेखा इकाई के रूप में तो उनकी स्थिति और खराब है। उनके मूल्य में बहुत तेज उतार-चढ़ाव होता है। मूल्य संधारण के कारण ही क्रिप्टोकरेंसी का अस्तित्व अब क्या बिटकॉइन भारत में वैध है? तक बना हुआ है। उदाहरण के लिए गोल्डमैन सैक्स ने जनवरी में कहा था कि बिटकॉइन अब मूल्य के मामले में सोने से होड़ कर रही है और मूल्य के मामले में 20 फीसदी बाजार पर उसका कब्जा है। परंतु अस्थिरता की समस्या बरकरार है। सर्वाधिक स्थिर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन भी सोने की कीमत की तुलना में क्या बिटकॉइन भारत में वैध है? पांच गुना अस्थिर है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषक मानते हैं कि यदि बिटकॉइन भी सोने के समान अस्थिर होती तो एक बिटकॉइन की कीमत डॉलर की तुलना में उसके मौजूदा मूल्य का साढ़े तीन गुना होती।

हालांकि तब से अब तक हम लंबा सफर तय कर चुके हैं। जेपी मॉर्गन निजी बैंकिंग के निवेश नीति के चेयरमैन माइकल सेंबालेस्ट ने इस माह एक रिपोर्ट जारी की जिसने मूल्य संधारण की दलील में कई खामियां उजागर कीं। पहली बात तो यह कि हमारे पास बॉन्ड, जिंस, इक्विटी या अचल संपत्ति की तरह क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई मूल्य निर्धारण मॉडल तक नहीं है। अभी तक क्रिप्टो से जुड़ी हर बात विशुद्ध अटकलबाजी है और उनकी कीमतों के पीछे कोई ठोस तर्क नहीं है। आश्चर्य नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े अहम नियामकीय प्रश्न सामने हैं। पहला, व्यापक वित्तीय बाजारों को ऐसी सटोरिया गतिविधियों से जुड़े जोखिम से कैसे बचाया जाएगा, दूसरा, खुदरा उपभोक्ताओं को पूरी तरह सटोरिया गतिविधि पर आधारित बाजार से कैसे बचाया जाएगा और तीसरा, ऐसी गतिविधियों से कुछ लोगों को होने वाले लाभ से कैसे निपटा जाएगा? हमें भारत में हालिया घटनाक्रम को वैश्विक संदर्भों में देखना होगा। उदाहरण के लिए क्रिप्टो से जुड़े विज्ञापनों को लेकर चिंता जाहिर की है। एक वर्ष से ये विज्ञापन देश में छाये हुए हैं। सिंगापुर और स्पेन तक ऐसे विज्ञापनों के नियमन पर विचार कर रहे हैं ताकि धोखाधड़ी और खुदरा निवेशकों का जोखिम कम किया जा सके।

इसके बाद वृहद स्थिरता का मसला है। गत अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि क्रिप्टोकरेंसी की व्यापक और तेज स्वीकार्यता से अर्थव्यवस्थाओं को तब दिक्कत शुरू हो सकती है जब नागरिक स्थानीय मुद्रा के बजाय क्रिप्टो परिसंपत्तियों का इस्तेमाल शुरू कर देंगे। इससे वित्तीय स्थिरता को भी जोखिम पैदा हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भले इन दिक्कतों के बारे में न सोचा हो लेकिन अन्य उभरते देशों के बैंक ऐसा कर रहे हैं।

अंत में, करों का प्रश्न आता है। हालिया बजट में आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों को पूंजीगत लाभ मानते हुए कर लगाने की बात कही गई है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी से अर्जित आय शामिल है। सिलिकन वैली के कई प्रमुख लोगों समेत विभिन्न जानकारों ने कहा कि ऐसा करके भारत बिटकॉइन को वैधानिक बना रहा है। अन्य लोगों ने कहा कि यह क्रिप्टो व्यवस्था के लिए एक जीत है। ऐसा कुछ नहीं है। अधिकांश जगहों पर अभी भी अवैध उपक्रमों से अर्जित आय पर कर लगता है। अमेरिकी आंतरिक राजस्व सेवा का पब्लिकेशन 17 करदाताओं को याद दिलाता है कि अगर वे कोई संपत्ति चुराते हैं तो भी उन्हें चोरी के वर्ष की आय में उसका उचित बाजार मूल्य दर्शाना होगा। यह भी लिखा गया है कि अवैध मादक पदार्थों की सौदेबाजी से हुई आय आदि को भी दर्शाना होगा। आंतरिक राजस्व सेवा करदाताओं को ऐसी आय घोषित करने को कहकर इन गतिविधियों को वैधानिक नहीं बनाता। प्रधानमंत्री ने हाल ही में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए कहा था कि क्रिप्टो नियमन का वैश्विक हल निकालना होगा। संभवत: यह सही उत्तर है, खासकर वैश्विक वित्तीय स्थिरता, कर आधार को नुकसान तथा पूंजी के बहिर्गमन पर इसके असर को देखते हुए। यह कहना मुश्किल है कि दुनिया के नेता इस विषय को कब और कैसे हल करेंगे। इस बीच क्रिप्टो तंत्र को अपने पक्ष में दलील देनी होगी। ब्लॉकचेन आधारित तकनीक बिना क्रिप्टो के सार्वजनिक कारोबार के आगे बढ़ सकती है। ऐसे में क्रिप्टो की आगे बढऩे की दलील क्या है? यह किफायत, वृद्धि या वित्तीय समावेशन को कैसे आगे बढ़ाएगा? ऐसा इसलिए कि इस प्रश्न के बहुत कम आश्वस्त करने वाले उत्तर हैं और यही कारण है कि क्रिप्टो को घोटाला और सटोरिया कारोबार मानने वाले आज तर्क के क्षेत्र में जीत रहे हैं।

इस खास मुद्रा में 1 हज़ार रुपये का निवेश आपको बना सकता था करोड़ों का मालिक, इसमें बड़े-बड़े सितारों ने भी लगाया है पैसा

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बिटकॉइन ने सामने आते ही अपनी कीमत के चलते सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। जब बिटकॉइन की कीमतों में बड़ी तेजी के साथ उछाल देखा गया, तो हर कोई इसमें निवेश करना चाहता था। बिटकॉइन में निवेश करने वालों में उद्योगपतियों से लेकर फिल्मों से जुड़ी हस्तियों के नाम भी शामिल हैं।

हालांकि ऐसे आरोप भी लगते रहे हैं कि बिटकॉइन का उपयोग बड़े पैमाने पर गैर-कानूनी कामों में भी किया जाता है, लेकिन बावजूद इसके अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने बिटकॉइन की तारीफ करते हुए भविष्य को लेकर काफी संभावनाएं जताई हैं।

बिटकॉइन क्या है?

बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी (वर्चुअल करेंसी) है, जिसे उपयोगकर्ता बिचौलिये के बिना एक पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर भेज सकता है। साल 2008 में सातोषी नाकामोतो नाम के एक व्यक्ति/समूह ने बिटकॉइन ईजाद की। बिटकॉइन को कंप्यूटर आधारित तकनीक द्वारा जनरेट किया जाता है। बिटकॉइन सबके सामने पहली बार साल 2009 में आई। इसे शुरुआत में ‘माइनिंग’ के रिवार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। बिटकॉइन की सप्लाई लिमिट को 21 मिलियन यानी 2 करोड़ 10 लाख रखा गया है, यानी इसके बाद और अधिक बिटकॉइन का उत्पादन नहीं किया जाएगा।

बिटकॉइन की कीमत

साल 2009 क्या बिटकॉइन भारत में वैध है? में जब बिटकॉइन को लोगों के सामने लाया गया तो एक बिटकॉइन की कीमत महज 0.0009 डॉलर यानी लगभग 6 पैसे थी, हालांकि यह कीमत आधिकारिक नहीं थी। बिटकॉइन की कीमत में बदलाव ट्रैंज़ैक्शन पर निर्भर करती है। अब तक बिटकॉइन की सर्वाधिक कीमत 19 हज़ार 783 डॉलर (करीब14 लाख 82 हज़ार रुपये) तक जा चुकी है। वर्तमान में इसकी कीमत करीब 6,230 डॉलर (करीब 4 लाख 66 हज़ार) रुपये है। अगर आपने अक्टूबर 2010 में बिटकॉइन में 937 रुपये का निवेश किया होता, तो आज के रेट के हिसाब से आपका वह निवेश करीब 4 करोड़ 68 लाख रुपये का हो गया होता, हालांकि यह रेट सर्वाधिक नहीं है। बीते साल बिटकॉइन के रेट में बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है।

भारत सरकार बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर क्यों प्रतिबंध लगाना चाहती है ?

अगर सरकार के नए क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन बिल को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री भारत में गैरकानूनी हो जाएगी. सरकार के इस प्रस्ताव के बाद क्रिप्टोकरेंसी औंधे मुंह गिर रही है.

हैदराबाद : 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. इस सत्र में सरकार 26 नए विधेयकों को विचार के लिए संसद में पेश करेगी. इन नए विधेयकों में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' भी शामिल है. अभी इस बिल का मसौदा सार्वजनिक नहीं किया गया है, मगर यह माना जा रहा है कि इस बिल को संसद से मंजूरी मिल जाती है, तो भारत में क्रिप्टो करेंसी की खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लग सकता है. इसके बाद इथेरियम और बिटकॉइन जैसी करेंसी में निवेश करना गैर-कानूनी हो जाएगा.

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लोकसभा बुलेटिन के 10वें नंबर पर 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' शामिल है.

सरकार के फैसले से लुढ़क गई क्रिप्टो करेंसी : लोकसभा की बुलेटिन में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' की लिस्टिंग होने की खबर से क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी की बिकवाली शुरू हो गई. बाद डॉगकॉइन, शीबा इनू, इथेरियम और बिटकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी के रेट में जबर्दस्त गिरावट हुई. Bitcoin की कीमत 9 नवंबर को 68,327.99 डॉलर थी. बुधवार को इसकी वैल्यू वजीरएक्स पर 25.51 प्रतिशत घटकर 46,601 डॉलर (लगभग 34 लाख रुपये) हो गई. दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी आज 22.86 फीसदी गिर गई थी. इसके अलावा अन्य क्रिप्टोकरेंसी रिप्पल, डोगेक्वाइन, कारडानो और शीबा इनू में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट आई है.

अब सरकार ने यह फैसला क्यों किया ? : सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक समिति गठित की थी. समिति ने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने के बाद सरकार को जुलाई 2021 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल थे. समिति ने निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य क्या बिटकॉइन भारत में वैध है? में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. साथ ही देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया था.

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भारत सरकार लाएगी अपनी वर्चुअल करेंसी ? : आरबीआई (RBI) चरणबद्ध तरीके से भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करेगा. यह करेंसी रिटेल और होलसेल दो तरीके से उपलब्ध होगी. रिटेल डिजिटल करेंसी का उपयोग आम जनता और कंपनियां करेंगी जबकि होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाएगा. भारत सरकार और रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर लगाम लगाने जा रहा है ताकि डिजिटल करेंसी को सही तरीके से लॉन्च किया जा सके और बाजार में इसकी प्रमाणिकता बनी रहे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में 70 लाख भारतीयों के पास करीब एक अरब डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी है. पिछले साल 2020 के मुकाबले इसमें सात गुना उछाल आया है.

इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की लेनदेन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को यह पाबंदी हटा दी थी.

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किन देशों में क्रिप्टो करेंसी को मान्यता मिली है : अभी मध्‍य अमेरिका के देश अल सल्‍वाडोर बिटकॉइन को लेकर सुर्खियों में हैं. अल सल्वाडोर ने दुनिया की पहली 'बिटकॉइन सिटी' बनाने की घोषणा की है. राष्ट्रपति नायब बुकेले ने कहा कि इस शहर के निवासियों को कोई आय, संपत्ति, पूंजीगत लाभ या पेरोल कर भी नहीं देना होगा. वहां की सरकार 'बिटकॉइन सिटी' के लिए 1 बिलियन डॉलर के बिटकॉइन बॉन्ड जारी करेगी. हालांकि अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बिटक्‍वाइन से जुड़े जोखिमों को देखते हुए अल सल्‍वाडोर को बिटकॉइन को वैध मुद्रा के तौर पर इस्‍तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.

इससे पहले कनाडा ने फरवरी 2021 में बिटकॉइन-ट्रेडेड फंड को मंजूरी दी थी. ब्रिटेन में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति का दर्जा प्राप्थ है और निवेशक क्रिप्टो मुनाफे पर इनकम टैक्स भरते हैं. अधिकतर यूरोपीय संघ (ईयू) देशों में क्रिप्टोकरेंसी भी कानूनी है. नेपाल में बिटकॉइन पर बैन है. वियतनाम में इसकी खरीद-बिक्री पर भारी जुर्माना लगता है. चीन में भी क्रिप्टोकरेंसी की लेन-देन पर प्रतिबंध लगाया गया है.

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क्रिप्टोकरेंसी के प्रति टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की दीवानगी अक्सर दिखती है. कुछ दिन पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि टेस्ला को बिटकॉइन के माध्यम से भी खरीद सकते हैंं.

क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन कैसे बनता है : क्रिप्टो करेंसी का वर्चुअल सिक्का माइनिंग के जरिये बनता है. इसके लिए माइनर को जटिल क्रिप्टोग्राफिक मैथमेटिकल पहेली सुलझानी होती है. बिटकॉइन ऑनलाइन माइनिंग पूल का मेंबर को मैथ्स से जुड़े समीकरण सुलझाने की इजाजत दी जाती है. क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर वाले कम्प्यूटर की जरूरत होती है. जब माइनर एक इक्वेशन सुलझा लेता है, तो एक क्रिप्टोकरेंसी का जारी किया जाता है. बदले में माइनर को क्रिप्टोकरेंसी ही दी जाती है. बिटकॉइन के डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की अनुमति है.

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