एक मुद्रा कैरी ट्रेड की मूल बातें

वित्तीय साधनों के प्रकार

वित्तीय साधनों के प्रकार

आज से भारत के हाथों में जी-20 की अध्यक्षता

भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा। आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।

जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे।

अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या जी-20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव लाने की पहल कर सकते हैं?

मेरा विश्वास है कि हां, हम ऐसा कर सकते हैं। हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान मानवता का जो स्वरूप होना चाहिए था, उसमें एक प्रकार की कमी दिखी। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच, टकराव और प्रतिस्पर्धा को ही जैसे आदर्श मान बैठे।

दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग की मानसिकता में अटके हुए हैं। हम इसे तब देखते हैं, जब विभिन्न देश, क्षेत्र या संसाधनों के लिए आपस में लड़ते हैं। हम इसे तब देखते हैं, जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है। हम इसे तब देखते हैं, जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही अरबों लोग बीमारियों से असुरक्षित हों।

कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानवीय स्वभाव है। मैं इससे असहमत हूं। अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है, तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली इतनी सारी आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए?

भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी एक समान ही पांच मूल तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व से बना हुआ मानती है। इन तत्वों का सामंजस्य - हमारे भीतर और हमारे बीच भी- हमारे भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है।

भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम - 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' है। ये सिर्फ एक नारा नहीं है। ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं।

आज हमारे पास दुनिया के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं। आज, हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है - हमारे युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं है। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए! आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।

सौभाग्य से, आज की जो तकनीक है, वह हमें मानवता के व्यापक पैमाने पर समस्याओं का समाधान करने का साधन भी प्रदान करती है। आज हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, उससे हमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों की व्यापकता का भी पता चलता है।

भारत इस सकल विश्व का सूक्ष्म जगत है, जहां विश्व की आबादी का छठा हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वासों की विशाल विविधता है। सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी आदेश से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुरीले स्वर में मिला कर बनाई गई है।

आज, भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए, हमारा नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिए पर खड़े लोगों का भी ख्याल रखता है। हमने राष्ट्रीय विकास को ऊपर से नीचे की ओर के शासन की कवायद नहीं, बल्कि एक नागरिक-नेतृत्व वाला 'जन आंदोलन' बनाने की कोशिश की है।

हमने ऐसी डिजिटल जन उपयोगिताएं निर्मित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है जो खुली, समावेशी और अंतर-संचालनीय हैं। इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है। इन सभी कारणों से भारत के अनुभव संभावित वैश्विक समाधानों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं। जी-20 अध्यक्षता के दौरान, हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूप में प्रस्तुत करेंगे।

हमारी जी-20 प्राथमिकताओं को, न केवल हमारे जी-20 भागीदारों, बल्कि दुनिया के दक्षिणी हिस्से में हमारे साथ चलने वित्तीय साधनों के प्रकार वित्तीय साधनों के प्रकार वाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती है, के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा। हमारी प्राथमिकताएं हमारी 'एक पृथ्वी' को संरक्षित करने, हमारे 'एक परिवार' में सद्भाव पैदा करने और हमारे 'एक भविष्य' को आशान्वित करने पर केंद्रित होंगी। अपने प्लेनेट को पोषित करने के लिए, हम भारत की प्रकृति की देख-भाल करने की परंपरा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करेंगे।

मानव परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, हम खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बनें। जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी वित्तीय साधनों के प्रकार जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए।

हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने के लिए, हम बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाले जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे।भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा। आइए, हम भारत की जी-20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों। आइए, हम मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरूप देने के लिए साथ मिलकर काम करें।

क़र्ज़ के जाल से बचने के लिए वित्तीय विशेषज्ञों की सलाह | Advice For Escaping The Debt Trap

नमस्कार दोस्तों wealtheric.com ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम इस ब्लॉग पोस्ट पर Debt Trap के बारे में जानकारी देंगे। आज, विभिन्न प्रकार के Loan और उधारदाताओं के साथ अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना संभव है। हालाँकि, इन Loan को उचित रूप से वापस किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने में विफल रहने पर Loan का कभी न खत्म होने वाला चक्र या यहां तक कि जेल भी हो सकती है। debt trap Loan का एक अंतहीन चक्र है जिसमें आप प्रभावी रूप से पुराने Loan का भुगतान करने के लिए नए Loan लेते रहते हैं।

आपकी संपत्ति या जीवन बचत अंततः इसके द्वारा नष्ट हो सकती है, और तब भी यह आपके Loan का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। इसलिए एक कुशल योजना बनाना महत्वपूर्ण है यदि आप जल्द से जल्द debt के जाल से बचना चाहते हैं। debt के जाल से बचने के लिए हमारे पास आपके लिए कुछ चतुर सलाह है।

The Debt Trap

Table of Contents

Debt Trap से कैसे निकले

debt के जाल में फंसने से बचने के लिए कुछ बुनियादी कदम उठाए जा सकते हैं। निम्नलिखित सूची में इनमें से कुछ क्रियाएं शामिल हैं।

देय कुल राशि का सटीक अनुमान प्राप्त करें

भुगतान की जाने वाली राशि की सटीक धारणा प्राप्त करना किसी भी Loan को निपटाने में पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। यह आपका पहला कदम होना चाहिए यदि आप बहुत अधिक Loan में फंस गए हैं जिनके बारे में आप अनिश्चित हैं। पूरी बकाया राशि जानने से आपको उस राशि के भुगतान के लिए अधिक प्रभावी ढंग से तैयार होने और समस्या की गंभीरता की सराहना करने में मदद मिल सकती है।

प्राथमिकता दें और debt का समय पर भुगतान सुनिश्चित करें

अपने Loan के निपटान को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में निर्धारित करना एक और महत्वपूर्ण कदम है। पहले अधिक लागत (interest लागत) के साथ देनदारियों का भुगतान करने के लिए सावधान रहें। उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत Loan या credit card भुगतान की interest दरें अधिक होती हैं। यह न केवल Loan की कुल राशि को कम करने में सहायता करेगा, बल्कि यह interest के खर्च को कम करने में भी सहायता करेगा।

समय पर अपने बिलों का भुगतान करने का एक और फायदा एक ठोस credit score बनाए रखना है। यदि आपका credit score अच्छा है तो आप समय पर credit देकर अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से अपने credit score की जांच करना बुद्धिमानी है कि कोई अशुद्धि नहीं है और यह कि आपके सभी Loan निपटान credit rating companie के लिए ठीक से दर्ज किए गए हैं।

ऋण समेकित करें (Consolidate loans)

अलग-अलग कार्यकाल और interest भुगतान वाले विभिन्न Loan पर नज़र रखना और समय पर भुगतान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। Loan समेकन द्वारा उच्च लागत वाले Loan पर interest दर को कम या मध्यम लागत वाले Loan में घटाया जा सकता है। अपने Loan को समेकित करने में सहायता के लिए lender की तलाश करना उचित है क्योंकि ऐसा करने से आप अपने सभी Loan को एक बड़े Loan में संयोजित कर सकेंगे। लेकिन ध्यान रखें कि भले ही आपके वर्तमान Loan का भुगतान किया जाएगा, नए Loan की interest दर के आधार पर आपका मासिक भुगतान बढ़ सकता है।

खर्च कम करें और income avenues बढ़ाएं

यदि आय के वर्तमान स्तर को देखते हुए देय राशि का भुगतान करना असंभव है तो मासिक budget में ऐसे खर्चों के लिए प्रावधान करना ही एकमात्र विकल्प है। यह नए आय स्रोतों की स्थापना करके प्राप्त किया जा सकता है जो अंततः पर्याप्त मात्रा में नकदी का उत्पादन कर सकते हैं, साथ ही जब भी संभव हो मासिक खर्चों को कम करने के तरीके खोज सकते हैं। budget बनाना और उसका पालन करना बहुत फायदेमंद रहेगा।

Loan चुकाने के लिए संपत्ति का परिसमापन करें

debt हाथ से निकल जाना दिमाग पर काफी तनावपूर्ण हो सकता है। इन परिस्थितियों में, Loan चुकाने के लिए आवश्यक किसी भी साधन का उपयोग करना सराहनीय होगा। आप अपने Loan का भुगतान करने के लिए जो भी संपत्तियां हैं उन्हें बेचने का विकल्प चुन सकते हैं। हालाँकि, आप परिस्थितियों और Loan का गहन विश्लेषण करने के बाद ही इसे आज़माना चाह सकते हैं।

Unforeseen परिस्थितियों से सुरक्षा प्राप्त करें

प्रतिकूल घटनाओं से खुद को बचाने का एक महत्वपूर्ण साधन insurance है। यह एक प्राकृतिक आपदा या कोई अन्य घटना हो सकती है, जैसे कि आपका काम छूट जाना या किसी दुर्घटना के कारण अक्षम हो जाना। insurance ऐसी परिस्थितियों में आपकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में आपकी सहायता करेगा और आपको debt में डूबने से रोकेगा।

कर्ज के settlement से बचें

जब कोई debt लेने वाला बार-बार समय पर अपनी EMI का भुगतान करने में असमर्थ होता है या पीछे पड़ जाता है, तो Bank उनके debt को निपटाने की पेशकश करते हैं। यह समझौता पूरी बकाया राशि से कम के लिए है। हालांकि यह एक अद्भुत कीमत की तरह लग सकता है, आपको इस विकल्प को केवल अंतिम उपाय के रूप में चुनना चाहिए।

Loan निपटान से Loan का बोझ कम होगा लेकिन Loan पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कम credit score के दीर्घकालिक परिणामों में भविष्य में credit card या Loan प्राप्त करने में borrower की संभावित अक्षमता शामिल है।\

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निष्कर्ष – Conclusion

debt के जाल में फंसना सबसे भयानक स्थितियों में से एक है जो आपके मन की शांति को हमेशा के लिए छीन सकती है। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए Loan लेते समय अपनी सारी जीवन बचत खर्च करने के लिए बेहतर है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आपको केवल उतने ही Loan लेने चाहिए जितने आप वापस कर सकते हैं। इन दोनों में असंतुलन होने पर आप हमेशा खुद को debt के जाल में फंसा हुआ पाएंगे और इससे बाहर निकलना काफी मुश्किल होगा।

आज का राशिफल, जानें कैसा रहेगा आपका दिन

आर्थिक लाभ होगा। सुख साधनों पर धन खर्च होगा। कुछ जातक के यात्रा के प्रबल योग हैं। व्यापारिक नई योजना शुरू हो सकती है। शारीरिक, कठिनाइयां देखने को मिल सकती है। बातचीत में सावधानी रखें। रोमांस के लिए बढ़ाए गए कदम आज असर कम दिखाएंगे। धार्मिक कार्यों में रूचि और बढ़ेगी। विचारों की शुद्धता निखरती जाएगी। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। रिश्तेदारों से मिलन होगा।

वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वु, वे, वो)

मनचाहा जीवनसाथी मिलने से प्रसन्न रहेंगे। पुराने वादे पूरे करने का समय है। निजी जिन्दगी में दूसरों को दखल नहीं दें। निवेश फायदेमंद रहेगा। समृद्धि लेकर आएगा। मानसिक परेशानियों में कुछ कमी आ सकती है। प्रसन्न रहेंगें। विरोधियों का प्रभाव कम होगा। अटके कार्य पूर्ण हो सकते हैं। व्यवसायिक लाभ के भी योग बन रहे हैं।

मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

अधिकारियों से संबंध मजबूत होंगे। भावुकता में कोई भी फैसला लेने से बचें। सुख साधनों पर धन खर्च होगा। व्यापारिक नई योजना शुरू हो सकती है। बहनों से विवाद हो सकता है। सूझबूझ से मामला निपटा लें। संबंध टूट सकते हैं। कामकाज में व्यस्तता के चलते रोमांस को दरकिनार होना पड़ेगा।

कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

कोई अप्रत्याशित खुशखबरी मिलेगी। यह आपके करियर या निजी जीवन से जुड़ी हो सकती है। इससे वित्तीय लाभ भी होंगे। इससे भविष्य में भी इसी प्रकार के लाभ उठाने का रास्ता दिखाई देगा। दिन सुगम रह सकता है। व्यस्तता के बावजूद प्रसन्न रहेंगे। पार्टनर से नोंकझोंक संभव है।

सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

प्रेम के नजरिए से दिन खुशियों से वित्तीय साधनों के प्रकार भरा रहेगा। अपने व्यवहार से परिजनों का दिल जीत लेंगे। परिवार में तनाव की स्थिति निर्मित हो सकती है। कार्यक्षेत्र में उन्नति कुछ बाधाओं के चलते अटक सकती है। किसी सामाजिक समारोह में जाने की सोच रहे हैं, तो अवश्य जाएं। इसका फायदा अपने आप को खुश रखने में उठाएं।

कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

बड़े निर्णय सोच-समझकर लें। स्वास्थ्य में सुधार होगा। व्यवसाय में हानि होने की संभावना है। इसलिए सतर्क रहें। अपना नजरिया आस-पास के ऐसे लोगों को बताएं, जो महत्वपूर्ण निर्णय लेते हों तो आपको लाभ होगा। काम के प्रति अपने समर्पण और निष्ठा के लिए शाबाशी भी मिलने की संभावना है।

तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

दिन अनुकूल रहेगा। प्रशासनिक अधिकारी सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। विवाह कार्यों में शामिल होंगे। समय रहते अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करें। स्वार्थी स्वभाव देखने को मिलेगा। अटके हुए कार्य बन सकते हैं। वित्तीय स्थिति में सुधार भी संभव है। निजी संबंध सहायक रह सकते हैं। दिन प्रसन्नता पूर्वक बीतेगा।

वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

दिन विशेष रूप से अच्छा वित्तीय साधनों के प्रकार है। कीर्ति यश में वृद्धि होगी। नए मित्र बनेंगे। मौज मस्ती में समय व्यतीत होगा। अपना कुछ नया शुरू कर सकते हैं। काफी समय लेने वाला अपना कोई अधूरा काम पूरा कर सकते हैं। यात्रा के योग हैं। अगर कोई नया कार्य शुरू करना चाहते हैं। दिन बहुत अच्छा है। कार्य में उन्नति होगी।

धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

दिन अच्छा रहेगा। व्यवसाय में लाभ हो सकता है। नौकरी वित्तीय साधनों के प्रकार वित्तीय साधनों के प्रकार में उन्नति भी संभव है। व्यापार में मंदी से परेशान रहेंगे। पुराने पैसों का लेनदेन लंबित रहेगा। अपना ही विश्वासघात कर सकता है। जिन क्षेत्रों में प्रयास करेंगे, उसमें पूर्ण सफलता मिल सकती है। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिल सकती है।

मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

किसी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। धन लाभ के योग बन रहे हैं। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। रोजगार के अवसर विकसित होंगे। साझेदारी में लाभ होगा। मेहमानों आएंगे। दिन कुछ अनिश्चित सा है। संवेदनशील लोगों से बात करते हुए अधिक सावधान रहना होगा। खर्च पर नियंत्रण रखें। सामाजिक कार्यों में सहभागिता हो सकती है।

कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

राजनैतिक क्षेत्र में प्रभाव बढ़ सकता है। कार्यक्षेत्र में अनुकूलता बनी रहेगी। अधिकारी पक्ष से सहयोग मिल सकता है। दूसरों के निजी मामलों में दखल न दें। क्रोध पर अंकुश रखें। पिछले समय में से किसी पुराने व्यक्ति से मिलने की सम्भावना है। यह व्यक्ति आपके भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

किसी खास व्यक्ति से मिल सकते हैं। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। बहुत से अच्छे मौके इन्तजार कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए पूरे तौर पर समर्पित कोशिशें करनी होंगी। यह इस समय कुछ मुश्किल लग रहा है। सहकर्मियों से बातों में नर्मी लाएं। दिन प्रगतिशील रह सकता है।

दिव्यांग होना अभिशाप नहीं

जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते या उसे देखते और सुनते हैं जो किसी शारीरिक या मानसिक कमी से पीड़ित है तो दया दिखाते हैं या चिढ़ जाते हैं। उसके लिए सहानुभूति प्रकट करते हैं या उसे दूर हटने के लिए कहने से लेकर फटकार तक लगा देते हैं।

मनुष्य की इन्हीं हरकतों को देखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 30 वर्ष पहले प्रति वर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग दिवस मनाने की शुरूआत की ताकि सभी प्रकार से ठीक-ठाक लोग ऐसे व्यक्तियों का अनादर न करें और उन्हें अपने जैसा ही सामान्य जीवन जीने देने में सहायक बनें। आज दुनिया भर में लगभग 50 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार से दिव्यांग होने के कारण जिंदगी को जैसे-तैसे ढोने के लिए बाध्य हैं।

भारत में यह संख्या 3 करोड़ के आसपास है जिनमें से ज्यादातर गांव-देहात में रहते हैं और बाकी छोटे-बडे़ शहरों में किसी तरह अपना जीवन चला रहे हैं। हकीकत यह है और एक अपने आप में बहुत बड़ा सवाल भी है कि शारीरिक हो या मानसिक, दिव्यांग व्यक्तियों को परिवार और समाज अपने ऊपर बोझ समझने की मानसिकता से ग्रस्त रहता है। उसके बाद ऐसे लोग समाज की हिकारत का शिकार बनते जाते हैं और इस तरह देश के लिए भी निकम्मे बन जाते हैं।

दूसरे दर्जे के नागरिक : क्योंकि सरकार को इन लोगों को लेकर समाज में अपनी अच्छी छवि बनानी होती है तो वह इनकी देखभाल, स्वास्थ्य, रोजगार को लेकर जब-तब योजनाएं बनाती रहती है। इनके पीछे यह उद्देश्य बहुत कम रहता है कि उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा मिले बल्कि यह रहता है कि वे दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर सरकार की मेहरबानी से किसी तरह जीवित रहें। मिसाल के तौर पर उन्हें केवल चटाई बनाने, टोकरी बुनने और थोड़े बहुत दूसरे काम जो उनके लिए हाथ की कारीगरी से हो सकते हों, के योग्य ही समझा जाता है।

हालांकि सरकार ने शिक्षा और नौकरी में उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की हुई है लेकिन वित्तीय साधनों के प्रकार उनके लिए पढ़ाई-लिखाई के विशेष साधन न होने से वे अनपढ़ ही रह जाते हैं और जब पढ़ेंगे नहीं तो नौकरी के लिए जरूरी शैक्षिक योग्यता को कैसे पूरा करेंगे, इसलिए उनके लिए आरक्षित पद खाली पड़े रहते हैं। आंकड़े बताते हैं कि उनकी आधी आबादी को अक्षर ज्ञान तक नहीं होता और बाकी ज्यादा से ज्यादा चौथी कक्षा तक ही पढ़ पाते हैं। ऐसी हालत में उनकी किस्मत में बस कोई छोटा-मोटा काम या फिर भीख मांगकर गुजारा करना लिखा होता है।

जहां तक किसी अन्य रूप से दिव्यांग व्यक्तियों जैसे कि सुनने, बोलने, किसी अंग के न होने या वित्तीय प्रबंध न होने का प्रश्न है तो उनके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है कि वे सामान्य विद्यार्थी की तरह शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसी के साथ उनकी मदद करने के लिए बनाए जाने वाले उपकरण भी इतने महंगे और साधारण क्वालिटी के होते हैं वित्तीय साधनों के प्रकार कि वे कुछ ही समय में इस्तेमाल करने लायक नहीं रहते। हमारे देश में अभी तक आने-जाने के साधनों तक में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए जरूरी साधनों और उपकरणों का अभाव है।

हमारे देश में ऐसी निजी संस्थाएं, वित्तीय साधनों के प्रकार एन.जी.ओ. हैं जिन्होंनेे बिना सरकारी या गैर-सरकारी सहायता से अपने जीवन को सुखी और खुशहाल बनाया है। जो एक उदाहरण है। एन.टी.पी.सी., टांडा के लिए फिल्म बनाते समय एक ऐसी क्रिकेट टीम से मुलाकात हुई जिसमें सभी खिलाड़ी नेत्रहीन थे, यहां तक कि उनके प्रशिक्षक भी। उन्होंने एक ऐसी गेंद बनाई जिसमें उसे फैंकने पर आवाज होती थी और बल्लेबाज उसे सुनकर बैटिंग करता था। इसी प्रकार फील्डर भी आवाज से ही उसे मैदान में पकडऩे के लिए भागता था। क्रिकेट खेलने के लिए सभी नियम जिनका पालन आसानी से संभव हो सके, वे सब इस टीम ने सीख लिए थे और वे मजे से वित्तीय साधनों के प्रकार खेल का आनंद ले रहे थे।

दिव्यांग होने से बचाव : अब हम इस बात पर आते हैं कि क्या दिव्यांग होने से बचा जा सकता है? जहां तक जन्म के समय होने वाली विकृतियों का संबंध है तो केवल थोड़ी-सी सावधानी बरतने से इनसे बचा जा सकता है। गर्भवती महिला को प्रसव होने तक गर्भ में पल रहे शिशु और अपनी सेहत का ज्ञान और ध्यान रखने से यह बहुत आसान है। अल्ट्रासाऊंड एक ऐसी तकनीक है जो गर्भ में हो रही किसी भी विकृति का पता लगा सकती है। यदि इस बात की जरा भी संभावना हो कि गर्भ में कोई भी विकार है तो गर्भपात करवा लेना वित्तीय साधनों के प्रकार ही समझदारी है क्योंकि विकलांग शिशु का पालन बहुत चुनौतीपूर्ण और कष्टदायक होता है। कानून भी इसकी इजाजत देता है।

ऐसी दिव्यांगता जो सामान्य जीवन के दौरान हुई हो जैसे कि किसी दुर्घटना का शिकार हुए हों, युद्ध में हताहत होने से कोई अंग खो बैठे हों या फिर किसी अन्य परिस्थिति के कारण अक्षम हो जाएं तो यह न समझते हुए कि जिंदगी समाप्त हो गई है, इसे सहज भाव से स्वीकार कर लें और उसके अनुरूप जीवन जीने की बात मानने के लिए अपने मन और शरीर को तैयार करें तो लगेगा ही नहीं कि दिव्यांग हैं। दिव्यांग होने की सबसे कड़ी और कठिन परिस्थिति तब होती है जब शरीर से अधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति किसी तरह अपना जीवन जीने की कोशिश करता है। अक्सर वह इसमें हार जाता है और अकेलेपन की भावना को अपने मन पर हावी होने देने के बाद आत्महत्या करने में ही अपना भला समझने लगता है।

दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं है, इसलिए यह कतई सही नहीं है कि यदि कोई इस श्रेणी में है तो वह अपने आपको दीन-हीन समझे, दूसरों की दया या सहानुभूति की उम्मीद पर जिए, डरता रहे या फिर इसे अपना अपराध समझे। सत्य यह है कि जब वह स्वयं अपनी कमान संभालेगा तो वह किसी भी क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम हो पाएगा।-पूरन चंद सरीन

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