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भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब

भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब

क्या देश में क्रिप्टो अब कानूनी हो गया? 30% टैक्स के बाद अगर आप भी इसे लीगल मान रहे हैं तो जानिए क्या है हकीकत

Cryptocurrency in India: वित्तमंत्री के बजट भाषण के बाद इतना तो साफ हो गया है कि भारत में अब वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. इतना ही नहीं, क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा.

Cryptocurrency: हम जिसे क्रिप्टोकरेंसी मान रहे हैं और वित्तमंत्री ने जिसे Virtual asset कहा उससे होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. बजट 2022 में यही एक प्वाइंट था, जिसने सबका ध्यान खींचा. बजट में ऐलान के बाद क्रिप्टो में निवेश करने वाले निराश हुए होंगे और इसके कारोबार से जुड़े कुछ लोग खुश भी हुए होंगे. खुशी इसलिए क्योंकि, कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी देश में लीगल हो गई है. ये इस बात से भी साफ होता है कि बजट में ऐलान के ठीक बाद भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज WazirX, Coinswitchkuber की तरफ से रिएक्शन आए कि सरकार यह कदम अच्छा है. लेकिन, यहां थोड़ा सा कन्फ्यूजन है. पहले समझते हैं कि वित्तमंत्री ने क्या कहा और उसका इंटरप्रिटेशन करने वाले कहां चूक कर रहे हैं.

डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स

सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.

ट्रांजैक्शन पर TDS भी वसूलेगी सरकार

क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.

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तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?

बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.

क्रिप्टो पर कन्फ्यूजन फैला क्यों?

वर्चुअल एसेट पर 30 परसेंट टैक्स का एलान होते ही कई लोगों ने ये मान लिया कि जो चीज टैक्स के दायरे में आ गई वो तो लीगल हो गई. जबकि ऐसा नहीं है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक आपकी आय कहीं से भी हो, सरकार उस पर टैक्स वसूलती है. इससे आपके आय के लीगल होने की गारंटी नहीं मिल जाती. टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन (Tax Expert Ved Jain) के मुताबिक, इनकम टैक्स प्रोविजन में साफ है कि आपकी कहीं से भी कमाई हुई है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स की देनदारी बनेगी. चाहे इनकम सोर्स वैध हो या फिर अवैध. सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी वक्त पहले स्मगलिंग बिजनेस के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था. इसलिए ऐसी कोई एसेट पर लगने वाले टैक्स को लीगल कहना सही नहीं है.

वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?

आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.

इस टैक्स के पीछे क्या है सरकार की मंशा

सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.

गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.

कब से लगेगा नया टैक्स?

एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.

भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब?

​क्रिप्टो करेंसी पर सरकार का रुख

वैश्विक स्तर पर बिटकॉइन का भाव सातवें आसमान पर है. भारत में सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पेश करने वाली है. क्रिप्टो करेंसी पर सरकार ने साल 2019 में एक समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है.

इसके आधार पर क्रिप्टो करेंसी बिल का मसौदा बना है. हालांकि, इसमें कुछ बदलाव हो सकते हैं. जानिए 2019 में आए इस मसौदे में क्या था खास और क्या होगा आप पर इसका असर:

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cryptocurrency in India: भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे जुड़ा नया विधेयक बजट सत्र में लाया जा सकता है. ऐसे में अब निवेशकों का क्या होगा?

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वैसे क्रिप्टो एक्सचेंज का चयन एक जटिल प्रक्रिया है. यहां की बातें भी टेक्निकल एक्सपर्ट लोगों को ही समझ में आती है. हालांकि CoinSwitch Kuber जैसे कुछ एक्सचेंज हैं, जहां रिटेल निवेशक आसानी से निवेश कर सकते हैं. इतना सबकुछ होने के बाद भी रिटेल निवेशकों से कहा जाता है कि वे इसमें संभल कर निवेश करें. अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहते हैं तो पहले इसके बारे में गहराई से अध्ययन करें. बारीकियों को समझने के बाद ही इसमें निवेश का फैसला लें.

TV9 Hindi | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jan 30, 2021 | 11:59 AM

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि सरकार ऐसा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (digital currency) के लिए फ्रेमवर्क बनाने के लिए कर रही है. अगर आसान शब्दों में कहें तो RBI अपनी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है. आपको बता दें कि क्रिप्टो का मतलब ऐसी चीज जो रियल न हो. क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी करेंसी होती है जो कंप्यूटर के एल्गोरिद्म से बनती है. यह सिर्फ इंटरनेट और कंप्यूटर पर मिलती है. इसका इस्तेमाल ऑनलाइन ही हो सकता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसका कोई मालिक नहीं होता और न ही इसे कोई सेंट्रल बैंक जारी करता है. इसीलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

अब क्या होने वाला है

अगर ये करेंसी बिल पारित हो जाता है, तो क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी लेन-देन और करेंसी के तौर पर इस्तेमाल बंद हो जाएगा. इसके अतिरिक्त, क्रिप्टोकरेंसी को भुगतान सिस्टम से बाहर कर दिया जाएगा.

लोकसभा बुलेटिन के अनुसार आधिकारिक डिजिटल करेंसी नियमन विधेयक 2021 (The Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) को संसद के बजट सत्र में पेश किये जाने की संभावना है.

सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी पर अस्पष्टता समाप्त होने की उम्मीद है जो भारत में न तो प्रतिबंधित है और न ही वैध है. RBI ने बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने पर प्रतिबंध लगा दिया था मार्च मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था.

अगर कोई क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करेगा तो क्या होगा

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार इसके लिए आरबीआई को रेग्युलेटर बनाना चाहती है यानी बैंकों की तरह आरबीआई इसकी भी निगरानी करेगा.

अब क्या है RBI की तैयारी

25 जनवरी को जारी आरबीआई बुकलेट में कहा गया था कि केंद्रीय बैंक रुपये के डिजिटल संस्करण पर विचार कर रहा है. जल्द ही इस पर फैसला लेगा.

कितने तरह की होती है क्रिप्टोकरेंसी

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

क्या होता है बिटकॉइन

बिटकॉइन (Bitcoin) भी क्रिप्टोकरेंसी है. इसे सातोशी नकामोति ने 2008 में बनाया था. हालांकि आजतक यह नहीं पता चल पाया है कि सातोशी नकामोति कौन है.

इसे पहली बार 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था. इसको कोई बैंक या सरकार कंट्रोल नहीं करती है.

भारत में रिजर्व बैंक ने इसे मान्यता नहीं दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाज़त दे दी है. यानी भारत में भी बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त हो सकती है.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफ़ी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.

साल 2009 में जब बिटकॉइन को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू 0 डॉलर थी. 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची. लेकिन आज बिटकॉइन का रेट 30 हजार डॉलर है. अगर भारतीय रुपये में बात करें तो इसकी कीमत 24 लाख रुपये के करीब बैठती है.

अब क्या होगा बिटकॉइन जैसी करेंसी खरीदने वालों का

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी पर क्लियरिटी आएगी. लेकिन निवेशकों को इसे तुरंत भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब बेचना होगा. पिछली बार की तरह इस बार इसे बेचने के लिए वक्त दिया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी बिल को दिया जा रहा है अंतिम रूप, जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा- सरकार

Cryptocurrency Bill: क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार जल्द ही बिल ला सकती है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा यह जानकारी दी.

क्रिप्टोकरेंसी बिल को दिया जा रहा है अंतिम रूप, जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा- सरकार

TV9 Hindi | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Feb 09, 2021 | 3:33 PM

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, सरकार एक क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) को भेजा जाएगा. साल 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) से संबंधित लेनदेन बैंकों को प्रतिबंधित कर दिया था. हालांकि, पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया था. देश में क्रिप्टोकरेंसी के लिए पर्याप्त कानून नहीं है. ऐसे में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर कुछ और कानून बनाने पर विचार कर रही है.

बता दें कि सरकार ने 17वीं लोकसभा के बजट सत्र में एक बिल सूचीबद्ध किया था, जिसमें भारत के सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन (Bitcoin), ईथर (Ether), Ripple को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है.

क्यों लग रही है क्रिप्टोकरेंसी पर रोक?

25 जनवरी को जारी बुकलेट में आरबीआई ने कहा था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी और उसके साथ आने वाले रिस्क को लेकर सावधान है. लेकिन मौजूदा समय में करेंसी के डिजिटलाइजेशन के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है.क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है. इसका मतलब ये पारंपरिक मुद्रा की तरह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा रेगयुलेट नहीं की जाती. इस वजह से आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंकों के लिए यह चिंता का विषय है. आरबीआई की तरह यूरोपियन सेंट्रल बैंक भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब को भी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ चेतावनी जारी की है.

कितने तरह की होती है क्रिप्टोकरेंसी

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता. साल 2009 में जब बिटकॉइन को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू शून्य डॉलर थी. 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची. लेकिन आज बिटकॉइन का रेट 44,000 डॉलर है.

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