भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया

ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव

ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव
हालांकि इससे ऐपल की आलोचना भी होती रही है. आलोचना, इसलिए क्योंकि कंपनी प्राइवेसी को लेकर बड़े दावे करती है. ऐसे में डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर गूगल ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव को रखने से प्राइवेसी पर आंच तो आती ही है.

Share Market: सेंसेक्स में बड़ी गिरावट, इस एक कंपनी ने दर्ज की उछाल

Share Market: सेंसेक्स में बड़ी गिरावट, इस एक कंपनी ने दर्ज की उछाल

भारतीय शेयर बाजार (Share Market) के इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) 24 सितंबर को भी पिछले ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव पांच दिनों की तरह ही गिरावट के साथ बंद हुए. गुरुवार को बाजार में स्थिरता की उम्मीदों के बीच बेयर्स (Bears) का बाजार पर कब्जा पूरी तरह स्पष्ट दिखा और दोनों ही सूचकांको में करीब 3% की भारी गिरावट देखने को मिली. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हालात ऐसे ही दिखे और ज्यादातर देशों के बाजार निवेशकों के लिए अच्छा मुनाफा नहीं बना सके. बाजार बंद होते समय निफ्टी के 50 में 49 तो सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयर ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव रेड जोन में ट्रेड कर रहे थे. जानिए इस गिरावट की वजह और आगे बाजार पर इसका असर.

बाजार की चाल-

निफ्टी

  • खुला - 11011.00
  • पीक - 11015.30
  • बंद हुआ- 11805.55
  • कुल गिरावट- (-2.93%)

सेंसेक्स

  • खुला - 37282.18
  • पीक- 37304.26
  • बंद हुआ- 36553.60
  • कुल गिरावट- (-2.96%)

क्या रहा इसका कारण?

सेंसेक्स में करीब 1115 और निफ्टी में लगभग 326 अंको के आज की गिरावट का बड़ा कारण आर्थिक उबार के लिए ठोस संकेतो का आभाव रहा. विश्व भर के बाजार कोरोना की चिंताओं के बीच करेक्शन देख रहे है. यूएस फेड एवं अन्य सरकारों की तरफ से फिस्कल सपोर्ट में कमी के बीच आर्थिक सुधारों में देरी हो सकती है. भारत में भी कोरोना के मामलों में कोई खासी कमी नहीं दिख रही.

आज हालांकि सितंबर महीने के फ्यूचर एवं ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी का ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव दिन होने के कारण भी बाजार में वोलटॅलिटी ज्यादा दिखी. लगातार बढ़ते सेलिंग प्रेशर के बीच बाजार ने आखिरी समय में अपना आज का न्यूनतम स्तर छुआ. ट्रेंड के अनुरूप मिडकैप और स्मॉलकैप, दोनों ही इंडेक्स ने काफी नेगेटिव में रहें. ध्यान रहे कि कल निफ्टी, सेंसेक्स में गिरावट के बाद भी स्मॉलकैप इंडेक्स स्थिर रहा था. निफ्टी स्मॉल-कैप 100 में 2.57% का नकारात्मक बदलाव देखा गया जबकि निफ्टी मिड-कैप ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव 100 ने 2.51% की अच्छी कमी दर्ज की.

Stock Market

SEBI: Inclusion of Equity Exchange Traded Funds as list of eligible securities under Margin Trading Facility. अब आप Margin Trading with ETF कर सकते हैं।

सेबी ने 30 नवंबर 2022 को सर्कुलर जारी किया जिसके अनुसार वे इक्विटी ETF (Exchange Traded Fund) जोकि ‘Group I security’ में वर्गीकृत हैं उनको Margin Trading Facilty (MTF) के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सुविधा का लाभ आप 31 दिसंबर 2022 से उठा पाएंगे। सेबी की ‘Group I security’ की परिभाषा के अनुसार, उस सिक्योरिटी में पिछले 6 महीने में 80% दिनों में ट्रेड हुआ हो और उनमें Impact Cost (1 लाख का buy/sell का ट्रेड करने में क़ीमत पर पड़ने वाला फर्क) 1% से कम हो।

Margin Trading with ETF

Rules of MFT

MFT के लिए दिए गए ETF पर कम से कम 7.5% haircut के रुप में रखा जायेगा। जो ETF आप मार्जिन फंडिंग के लिए देंगे, उस ETF को और जो शेयर या ETF आप इस ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव फंडिंग अमाउंट से खरीदेंगे उन दोनों को अलग रखा जाएगा। अगर आपके द्वारा दिए गए ETF की कीमत बढ़ती है, तो आपको उतनी अतिरिक्त फंडिंग अमाउंट मिल जाएगी। किन्तु आपके द्वारा फंडिंग अमाउंट से खरीदे हुए शेयर या ETF की कीमत बढ़ने पर आपको अतिरिक्त फंडिंग नहीं मिलेगी।

उदाहरण के लिए आपने 1 लाख रूपये का ETF ब्रोकर के पास जमा करवाया। हेअरकट के बाद उसकी कीमत 92.5 हजार रूपये होगी। आपने 92.5 हजार रूपये का ETF और खरीद लिया। मान लीजिए की इस ETF की कीमत 20% की बढ़ोतरी हो जाती है, यानि 1.2 लाख रूपये हो गई। आपको अतिरिक्त 20 हजार रूपये में से 1500 रूपये हेअरकट कम करके 18500 रूपये की अतिरिक्त फंडिंग मिल जाएगी। ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव आपके द्वारा खरीदे गए MFT वाले 92.5 हजार रूपये के ETF की कीमत भी बढ़ गई है किन्तु आपको MFT में खरीदे गए ETF पर अतिरिक्त फंडिंग नहीं मिलेगी।

Be Careful While Using MFT

Margin Trading with ETF, करते समय ध्यान दें कि आपके द्वारा MFT के लिए दिए गए ETF या स्टॉक की कीमत अगर कम हो जाती है तो आपको उतना अतिरिक्त अमाउंट ब्रोकर के पास जमा करवाना पड़ेगा।

उदाहरण के लिए आपने जो 1 लाख रूपये का ETF ब्रोकर के पास जमा करवाया। हेअरकट के बाद उसकी कीमत 92.5 हजार रूपये है। आपने 92.5 हजार रूपये का ETF और खरीद लिया। मान लीजिए की इस ETF की कीमत 20% कम हो जाती है यानि 80 हजार रूपये रह गई। आपको अतिरिक्त 20 हजार रूपये जमा करवाने होंगे।

List of ETFs for MFT

यह जानना भी जरूरी है कि कौन से ETF हैं, जो ‘Group I security’ की परिभाषा में आते हैं। दुर्भाग्यवश सिर्फ एक ETF है, जिस पर की Margin Trading with ETF संभव है। उस ETF का नाम है, Nippon India ETF Nifty 50 BeES (NIFTYBEES). इसके अतिरिक्त, कोई भी ETF इस श्रेणी में शामिल नहीं है। भविष्य में, हो सकता है कि कुछ और ETF इस श्रेणी में शामिल हों, जिन पर आप Margin Trading कर पाएं।

Margin trading with ETF से संबंधित अगर कोई अन्य जानकारी चाहिए तो कमेंट करके हमें बताएं।

गूगल सर्च को ऐपल डिवाइसेज में रखने के लिए गूगल ऐपल को देगा 15 बिलियन डॉलर

Photo for representation

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2021,
  • (अपडेटेड 27 अगस्त 2021, 1:50 PM IST)
  • गूगल हर साल ऐपल को अरबों रुपये देता है.
  • ऐपल डिवाइसेज में गूगल सर्च को डिफॉल्ट रखने के लिए पैसे देती है कंपनी

क्या आपको पता है कि गूगल ऐपल को अपने डिवाइस में गूगल सर्च को डिफॉल्ट रखने के लिए करोड़ों देता है? हर साल कॉन्ट्रैक्ट के तहत गूगल ऐपल को पैसे देती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही ही.

बर्नस्टीन के अनालिस्ट के हवाले से खबर है कि गूगल 2021 के लिए ऐपल को 15 बिलियन डॉलर दे सकता है. आपको बता दें कि पिछले साल यानी 2020 में ये 10 बिलियन डॉलर था. यानी अब 5 बिलियन डॉलर चार्ज बढ़ा दिए हैं.

रेटिंग: 4.18
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 363
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *