प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार

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Gayatri Pariwar
मनुष्य एक उन्नत, अधिक विकसित एवं परिष्कृत पशु है। अपने संघर्ष एवं संयम के बल पर वह निरन्तर ऊँचा उठा है और अब भी उठता जा रहा है। इस उन्नति का मूल कारण निम्न प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों को दबा कर या तो उन्हें बिल्कुल ही विनष्ट कर देना है अथवा उनके प्रकट होने का नवीन उत्पादक मार्ग प्रदान कर देना है।
मनुष्य और पशु में सामान्यतः चार आदिम प्रवृत्तियाँ बहुत बलवान हैं। सर्वप्रथम काम है। काम का मूल अभिप्राय आत्म-प्रभुत्व, अहं का विस्तार और अपने आपको दूसरे में उड़ेल कर अमर रखने की भावना है। काम की प्रवृत्ति अत्यन्त शक्तिशाली है किन्तु यदि ठीक देखभाल न की आप तो यह मनुष्य को उन्मत्त कर देती है। उसे भले बुरे, उचित अनुचित का विवेक नहीं रहता। इच्छा शक्ति क्षीण हो जाती है यदि यह प्रवृत्ति वासना के रूप में प्रकट होने लगे तो मनुष्य व्यभिचार की ओर अग्रसर हो जाता है। अर्थ, धर्म समाज का आदर, इज्जत सब कुछ खो बैठता है, कहीं का नहीं रहता। अनेक मानसिक तथा शारीरिक रोगों का शिकार प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार होकर वह मृत्यु को प्राप्त होता है। मृत्यु का कारण काम वासना की मौजूदगी नहीं है, नाश का कारण तो उसका दुरुपयोग है। अच्छी चीज का भी ठीक तरह उपयोग न किया जाय, तो वह विष बन जाती है। इसी प्रकार काम वासना अनुचित उपयोग दीन धर्म, इज्जत -आबरू स्वास्थ्य सब को नष्ट करने वाला है।
दूसरी है युद्ध प्रवृत्ति। मनुष्य तथा पशु किसी से दबना नहीं चाहते, वरन् वे उन्नति के लिए संघर्ष युद्ध करना चाहते हैं। वे उत्तरोत्तर प्रभुत्व प्राप्त करना चाहते है। दूसरों के सामने नीचा नहीं झुकना चाहते। “महानत्व” की प्रवृत्ति में रहना चाहते हैं अपने आपको दूसरे से ऊंचा, विकसित, श्रेष्ठ, मजबूत, श्रेष्ठतर सिद्ध करना हम सबका स्वभाव है प्रत्येक पशु में यह प्रवृत्ति प्रस्तुत है। मनुष्य अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए अनेक प्रकार के प्रपंच करता है, षड़यंत्रों में सम्मिलित होता है और अन्त में लड़ मरता है।
तृतीय प्रवृत्ति भूख प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार या क्षुधा है। क्षुधा निवारण के लिए हम हर प्रकार का कार्य करने को तैयार हो जाते हैं। रुपया पैसा कमाते हैं, व्यापार करते हैं, नौकरी के चक्र में फंसते हैं। किसी कवि की उक्ति है-”अरे यह पेट पापी जो न होता, तो लम्बी तान कर मैं खूब सोता।” मानव तथा पशु में भूख की निवृत्ति के लिए युग युग में नाना प्रकार के कार्य किये गये।
चौथी प्रवृत्ति है भय। पशु तथा मनुष्य भयभीत होकर शीघ्र ही आत्म रक्षा के उपाय करता है। आत्म रक्षा के लिए उसने नाना प्रकार के हथियार औजार हिंसात्मक चीजों की सृष्टि की है। जितने व्यक्ति व्याधि से मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उनसे कहीं अधिक केवल भय की प्रवृत्ति, डर की कल्पना, रोगों की भावना से मरते हैं। भय का विश्वास मन में आते ही मनुष्य थर थर काँपने लगता है, मृत्यु की बातें उसके मन में डेरा जमाने लगती हैं। मृत्यु के कारणों की यदि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से जाँच पड़ताल की जाय तो विदित होगा कि अधिकाँश व्यक्ति डर के भ्रम से काल के ग्रास बनते हैं।
इन चारों प्रवृत्तियों से लड़ते लड़ते मनुष्य को हजारों वर्ष व्यतीत हो गये हैं। इन वर्षों को हम सभ्यता का इतिहास कहते हैं। इन वर्षों में मनुष्य को पशु श्रेणी से उन्नत होने में बड़ी साधना और संयम से काम लेना पड़ा है। अनेक अवसरों प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार पर उसे प्रलोभन से बचकर भविष्य के लिए अपनी शक्तियाँ संग्रहीत करनी पड़ी हैं। तुरन्त के थोड़े से लाभ को टालकर भविष्य के बड़े लाभ की चिंता करनी पड़ी है। यदि मनुष्य निरन्तर इन प्रलोभनों, आकर्षक विषयों, काम वासनाओं के हेतुओं को उच्च दिशा में विकसित न करता, तो कदापि वह सर्वश्रेष्ठ पशु न बन पाता।
मनुष्य ने काम, युद्ध, क्षुधा, और भय-इन चारों मूल प्रवृत्तियों के खिलाफ युद्ध किया और दीर्घकाल तक किया। इस लम्बे युद्ध के पश्चात उसे नई प्रवृत्तियाँ मिलीं, शील, गुण विकसित हुए, वह अनेक सिद्धियों से सम्पन्न परमेश्वर का श्रेष्ठतम पुत्र-राजकुमार बना। आदर्शवाद की नकारात्मक शब्दावलि में इन चारों प्रवृत्तियों का उसने निष्काम, निःशस्त्र, निरन्न, नैरात्मा प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार के नए नाम दिये। इनके विकास को गुण माना गया। मनुष्य के चरित्र में इनका प्रभुत्व विशेष आदर का पात्र हुआ। जिस अनुपात में इनकी उन्नति हुई, उसी अनुपात में मानव संस्कृति की उन्नति हुई।
महात्मा गाँधी जी ने इन चारों प्रवृत्तियों को राजनीति में प्रविष्ट कराया। काम से उन्होंने “अनासक्ति”, “युद्ध प्रवृत्ति से अहिंसा”, क्षुधा से “उपवास”, भय से “असहयोग” को जन्म दिया। अनासक्ति, अहिंसा, उपवास, असहयोग उन्होंने मानव जीवन के दूरस्थ लाभ के लिए आवश्यक तत्व समझे। इन चारों तत्वों की साधना से मनुष्य पशुत्व से ऊँचा उठकर देवत्व की श्रेणी में जा बैठता है। इन्हीं के अभ्यास से उसका व्यक्तित्व स्थूल से सूक्ष्म, भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है।
कामवृत्ति का परिष्कार करने के लिए ललित कलाओं का अभ्यास करना चाहिए। संगीत, कविता, चित्रकला, स्थायित्व, मूर्तिकला, नृत्य इत्यादि ऊँचे स्वरूपों से काम प्रवृत्तियाँ परिष्कृत होकर निकलती हैं। उसे भजन, पूजन, ईश्वराधना, धर्म ग्रन्थों का अध्ययन करना चाहिए। भक्त तथा संत कवियों की वाग्धारा में ऐसा मधुर साहित्य भरा पड़ा है, जिसमें अवगाहन करने से अमित शान्ति प्राप्त होती है।
युद्ध प्रवृत्ति के परिष्कार के लिए मनुष्य को अपनी गन्दी बातों से संघर्ष करना सीखना चाहिये। अपनी कठिनाइयों, दुर्बलताओं, परिस्थितियों से युद्ध करने के पर हम बहुत ऊँचे उठ सकते हैं। युद्ध करने लिए हमारे पास अनेक शत्रु हैं यदि हम श्रेष्ठता का भाव दूसरों में जाग्रत करना चाहते हैं, तो हमें अपने सीख, गुण, ज्ञान अध्ययन द्वारा करना चाहिए। अपने ‘‘अहं’’ का विस्तार करना चाहिए। उसमें पशु, पक्षी, दीन हीन व्यक्तियों को सम्मिलित करना चाहिए। हम जितना संभव हो दूसरों को प्यार करें उनके लिए यथा संभव प्रयत्न करें। उनका शुभ चाहें। दूसरों से हम जितना प्रेम करेंगे, जितना त्याग करेंगे उतना ही इस प्रवृत्ति का परिष्कार होगा।
क्षुधा कई प्रकार की होती है-भोजन, काम, प्रसिद्धि, यश, कीर्ति इत्यादि इन सभी की प्राप्ति के लिए मनुष्य विविध उद्योग करते हैं। पेट की भूख मिटाने के लिए समस्त जगत कुछ न कुछ करता है। प्रसिद्धि की भूख के लिए वह नीति अनीति तक का विवेक नहीं करता, कामवासना की शान्ति के लिए वह उन्मत्त हो जाता है। क्षुधा पर संयम पाने कि लिए हमें उपवास का अभ्यास करना चाहिए। उपवास आत्म-विकास, आत्मशुद्धि की एक आध्यात्मिक प्रतिक्रिया है। इसी प्रकार काम वासना के संयम के लिए ब्रह्मचर्य का अभ्यास आवश्यक है। उपवास के समय प्रार्थना, स्वाध्याय, भजन, ध्यान, इत्यादि करना चाहिए।
भय को दूर करने के लिए साहस, शौर्य, पुरुषार्थ, शक्ति का विकास करना चाहिए। निराशा और चिंता, उद्वेग और आन्तरिक संघर्ष इसी विकार प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार के अगणित परमाणु हैं। भय की स्थिति के निवारण के लिए मनुष्य को आन्तरिक साहस का उद्रेक करना चाहिए। आत्मा सदैव निर्भय है। वह परमेश्वर का अक्षय अंश है। उसे न कोई मार सकता है, न डरा सकता है। उसी का ध्यान करने से साइंस का संचार होता है। भय को मार भगाने के लिए आत्मश्रद्धा की आवश्यकता है, एक मात्र आत्मश्रद्धा की। अपनी आत्मा को प्रतिपादन करो अपने अन्दर उसका सच्चा स्वरूप अनुभव करो तो मन से अनात्म विपत्तियों का आवरण हट जायगा। निर्भयता की निम्न भावना पर मन को एकाग्र कीजिए।
“मैं किसी से नहीं डरता, भूलकर भी डर के जंजाल में नहीं फंसता। मैं स्वतन्त्र और मुक्त आत्मा हूँ। मेरी आत्मा सदा सर्वदा निर्भय है। मैं भीतर बाहर सब जगह आत्मदेव को देखता हूँ। घातक भय के भाव मेरे मन मंदिर में उदय हो ही नहीं सकते। मैं आत्मा का पूर्ण विश्वास करता हूँ मुझे अपने आप में असीम श्रद्धा है। मैं निर्भय रहने का व्रत लेता हूँ।”
उपरोक्त चारों विकारों से मुक्ति प्राप्त कीजिये। स्वच्छन्द जीवन ही वास्तविक जीवन है। आत्म संयम द्वारा ही वह प्राप्त हो सकता है।
भारत के नए FDI नियमों से बौखलाया चीन, WTO के सिद्धांतों का दिया हवाला
भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगाई है, जिसके बाद चीन बौखला गया है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा है कि कुछ खास देशों से प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।
अधिकारी ने कहा कि भारत की अतिरिक्त बाधाओं को लागू करने वाली नई नीति G20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के भी खिलाफ है।
चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान में कहा, 'भारतीय पक्ष द्वारा विशिष्ट देशों से निवेश के लिए लगाई गई अतिरिक्त बाधाएं डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं, और उदारीकरण तथा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।'
FDI के लिए सरकारी मंजूरी जरूरी
मालूम हो कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच अनुकूल मौका देखते हुए घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण की किसी भी कोशिश पर रोक लगाने के लिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिये सरकारी मंजूरी को शनिवार को अनिवार्य बना दिया। इस कदम से चीन सहित विभिन्न पड़ोसी देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में अवरोध खड़ा होगा।भारत के साथ जमीनी सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान शामिल हैं।
डीपीआईआईटी ने बताया, भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं। भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, तो ऐसे निवेश के लिए भी सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
विदेशी निवेश पर पड़ेगा प्रभाव
सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगाई है, जिसके बाद चीन बौखला गया है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा है कि कुछ खास देशों से प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।
अधिकारी ने कहा कि भारत की अतिरिक्त बाधाओं को लागू करने वाली नई नीति G20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के भी खिलाफ है।
चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान में कहा, 'भारतीय पक्ष द्वारा प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार विशिष्ट देशों से निवेश के लिए लगाई गई अतिरिक्त बाधाएं डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं, और उदारीकरण तथा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।'
FDI के लिए सरकारी मंजूरी जरूरी
मालूम हो कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच अनुकूल मौका देखते हुए घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण की किसी भी कोशिश पर रोक लगाने के लिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिये सरकारी मंजूरी को शनिवार को अनिवार्य बना दिया। इस कदम से चीन सहित विभिन्न पड़ोसी देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में अवरोध खड़ा होगा।भारत के साथ जमीनी सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान शामिल हैं।
डीपीआईआईटी ने बताया, भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं। भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, तो ऐसे निवेश के लिए भी सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
विदेशी निवेश पर पड़ेगा प्रभाव
सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
मेरठः 30 सितंबर को नगरायुक्त का घेराव करेगा व्यापार मंडल
प्रतिबंधित पॉलिथीन की आड़ में पैकिंग मैटिरियल का भी चालान कर हो रहे व्यापारी उत्पीड़न के खिलाफ व्यापार मंडल 30 सितंबर को नगरायुक्त का घेराव किया.
प्रतिबंधित पॉलिथीन की आड़ में पैकिंग मैटिरियल का भी चालान कर हो रहे व्यापारी उत्पीड़न के खिलाफ व्यापार मंडल 30 सितंबर को नगरायुक्त का घेराव किया जायेगा।
व्यापार मंडल की व्यापार मंडल कार्यालय मीनाक्षी पुरम में आयोजित मासिक बैठक में व्यापारियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में सरकार द्वारा जबरदस्ती डीजल के जनरेटर पर प्रतिबंध लगाकर गैस आधारित जेनरेटर व्यवस्था को लागू करने को कहा गया है। अभी तक किसी भी क्षेत्र में गैस आपूर्ति नहीं है।
बैठक में व्यापारियों ने समस्या उठाई की प्रतिबंधित पॉलिथीन की आड़ में पैकिंग मैटेरियल वाले सामान का भी नगर निगम के कर्मचारी चालान कर रहे हैं। नगर निगम के कर्मचारी भारतीय सेना का लोगो लगाकर भय का वातावरण उत्पन्न कर रहे हैं। इससे व्यापारी का उत्पीड़न ही हो रहा है।
व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल ने व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी स्तर पर व्यापारी का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा इसके लिए सड़कों पर उतर कर यदि जंग भी करनी पड़ेगी तो व्यापार इसके लिए तैयार रहें।
बैठक में जीएसटी, इनकम टैक्स, फूड विभाग, लेबर विभाग, माप तोल विभाग आदि से जुड़ी समस्याओं पर विचार विमर्श कर आगामी आंदोलन की रणनीति बनाई गई। बैठक में जिला अध्यक्ष राजकुमार त्यागी महामंत्री, इसरार सिद्धकी महानगर प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार महामंत्री ,राम अवतार बंसल जिला उपाध्यक्ष, अश्वनी विश्नोई फलावदा, कैंट क्षेत्र प्रभारी दुर्गेश मित्तल, उद्योग मंच के प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र गुप्त, प्रदेश महामंत्री अतुल्य गुप्ता, शोभित भारद्वाज, सतीश प्रजापति आदि रहे।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कौन-सा देश 1915 में ब्रिटेन के खिलाफ केंद्रीय बलों में शामिल हुआ?
Key Points
- युद्ध की शुरुआत में केंद्रीय शक्तियों में जर्मन साम्राज्य और ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य शामिल थे।
- तुर्क साम्राज्य बाद में 1914 में शामिल हुआ, उसके बाद 1915 में बुल्गारिया राज्य आया।
- अक्टूबर 1915 में, बुल्गारिया केंद्रीय शक्तियों में शामिल हो गया।
- जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के पूर्व-युद्ध सहयोगी इटली ने 1915 में एंटेंटे के पक्ष से युद्ध में प्रवेश किया।
- 1918 तक, कई अन्य देश शामिल हो गए थे, जिनमें एंटेंटे के पक्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान शामिल थे।
Additional Information
- प्रथम विश्व युद्ध
- प्रथम विश्व युद्ध, जिसे महायुद्ध या वैश्विक युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, यूरोप में हुआ एक घातक वैश्विक संघर्ष था, जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था।
- यह इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक है।
- मूल्य प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार प्रभाव:
- बाजार में किसी उत्पाद या सेवा के लिए उपभोक्ता की मांग पर मूल्य में बदलाव का प्रभाव।
- 1914 के बाद के छह वर्षों में औद्योगिक कीमतें लगभग दोगुनी हो गईं और कीमतों में तेजी से भारतीय उद्योग को लाभ हुआ।
- कृषि कीमतों में भी वृद्धि हुई, लेकिन औद्योगिक कीमतों की तुलना में धीमी गति से।
- व्यापार की आंतरिक शर्तें कृषि के खिलाफ चली गईं।
- यह प्रवृत्ति अगले कुछ दशकों में जारी रही, विशेष रूप से महामंदी के दौरान वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के दौरान।
- औद्योगिक कीमतों में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ भारतीय उद्योग के लिए व्यापार की आंतरिक शर्तों में सुधार से औद्योगिक उद्यमों को लाभ हुआ।
- प्रथम विश्व युद्ध ने संयुक्त राज्य अमेरिका को मंदी से बाहर निकालकर 44 महीने के आर्थिक उछाल में ले लिया।
- जर्मनी में अति मुद्रास्फीति और बेरोजगारी चौंका देने वाली थी।
Important Points
- यह व्यापक रूप से माना जाता है कि सर्बिया की यात्रा के दौरान आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या वह चिंगारी है, जिसने प्रथम विश्व युद्ध के संघर्ष को प्रज्वलित किया।
- यूरोपीय शक्तियां को 2 समूहों में विभाजित हो गई थी:
- सहयोगी शक्तियाँ और केंद्रीय शक्तियाँ।
- फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, रूस और जापान।
- जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और तुर्क साम्राज्य।
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Last updated on Sep 22, 2022
Bihar Police Sub-Ordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for Bihar Police SI exam, must check their results before 4th September 2022. For प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार Bihar Police vacancy 2020, the BPSSC had released as many as 1998 vacancies for the post of sub-inspector and 215 vacancies for the post of sergeant. Those who could not make it to the final merit list, should not lose their heart as the notification for 2022 is expected to be out very soon.
ExpertOption पर इनसाइड बार पैटर्न की पहचान और व्यापार कैसे करें
मूल्य एक्शन ट्रेडिंग चार्ट पर मूल्य के आंदोलनों पर निर्भर करता है। कैंडलस्टिक्स अक्सर पैटर्न बनाते हैं जो खुद को दोहराते हैं और इस प्रकार, भविष्य की कीमत दिशा का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। अंदर की पट्टी पैटर्न इस तरह का एक उदाहरण है और मैं आज आपके लिए इसका वर्णन करूंगा।
अंदर बार पैटर्न में दो मूल्य बार हैं। मुख्य नियम यह है कि दूसरा वाला पहले वाले के अंदर है, यानी यह कम झूठ है और यह पहली पट्टी की तुलना में बहुत कम है। इसे बीच में, सबसे नीचे या सबसे ऊपर स्थित किया जा सकता है।
अधिकांश व्यापारियों द्वारा उपरोक्त को सही माना जाता है। कुछ, हालांकि, इस संभावना को अनुमति देते हैं कि दो मोमबत्तियों के चढ़ाव या ऊँचाई बराबर हैं।
पैटर्न में बार को अक्सर मदर बार या एमबी और इनसाइड बार (आईबी) कहा जाता है।
अंदर की पट्टी मूल्य समेकन के क्षण का प्रतिनिधित्व करती है। इस तरह का ठहराव अक्सर एक मजबूत आंदोलन के बाद होता है। फिर, पिछली दिशा की शुरुआत की जाती है। कभी-कभी, अंदर के बार पैटर्न के साथ ट्रेंड रिवर्सल का व्यापार करना संभव है। आपको इन अवसरों पर समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के साथ संयोजन करना चाहिए।
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