घोटाले के दलालों से बचना

दलाल मराठी में
उस बात पर चिन्ता बढ़ रही है जिसका वर्णन एक यूरोपीय पत्रिका “‘उच्च अधिकारी भ्रष्टाचार’—एक अभ्यास जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, नेतागण और प्रायः राष्ट्र-प्रमुख, किसी बड़ी ख़रीदारी या परियोजना की मंज़ूरी देने से पहले घूस और दलाली की माँग करते हैं,”—के तौर पर करती है।
एक युरोपियन नियतकालिक वर्णन करते त्याप्रमाणे, “‘उच्च भ्रष्टाचार’ म्हणजे, मोठमोठी खरेदी व प्रकल्प मान्य करण्याआधी वरिष्ठ अधिकारी, सरकारी मंत्री आणि बहुधा राज्याचे प्रमुख यांना लाच देण्याची पद्धत याची वाढती चिंता आहे.”
घूस, दलाली, और भुगतान के गुप्त स्वरूप के कारण, उच्च-स्तरीय भ्रष्टाचार की पोल खोलना अकसर मुश्किल होता है।
लाचलुचपत, मूठ दाबणे आणि हिशेब चुकता करणे या गोष्टींच्या चोरट्या स्वरूपामुळे, उच्च प्रतीच्या भ्रष्टाचाराला उघड करणे बहुधा कठीण जाते.
ब्रोकर्स विक्रेत्याचे किंवा खरेदीकर्त्याचे प्रतिनिधित्व करू शकतात, पण एकाच वेळी दोघांचे प्रतिनिधित्व करू शकत नाहीत.
कुछ खिताब, जैसे कि रियल एस्टेट दलाल, अक्सर इस शब्द का उपयोग करने के लिए सख्त राज्य आवश्यकताओं रखते हैं, जबकि अन्य, जैसे कि विमान दलाल को, आमतौर पर औपचारिक लाइसेंसिंग या प्रशिक्षण आवश्यकताएं नहीं हैं।
काही शीर्षक, जसे रियल इस्टेट ब्रोकर्स, ज्यांच्यासाठी ते शीर्षक वापरण्यासाठी काटेकोर अशा गरजा असतात, तर इतरांसाठी, जसे एअरक्राफ्ट ब्रोकर्ससाठी कोणत्याही औपचारिक लायसन्सिंग किंवा प्रशिक्षणाची आवश्यकता नसते.
या बालिकांना एडस् चुकवणे म्हणजे त्यांना दास करून ठेवणाऱ्या वेश्या दलालांना चुकवण्याइतकेच कठीण असू शकते.
येथे, ग्रीक लोक व सध्याच्या युक्रेन व दक्षिण रशिया येथील धान्य उत्पादक यांच्यामध्ये मध्यस्थी करून त्यांनी बरेच धन मिळवले.
पैसे बदलून देताना प्रत्येक नगामागे एक ठराविक किंमत घेतली जात असे; अशारितीने या दुकानदारांचा बेसुमार धंदा चालायचा.
इतनी दूर तक जानवर लाने के बाद उसके ठुकराए जाने के खतरे से बचने के लिए, अनेक लोग मंदिर में उन भ्रष्ट दलालों से लेवीय स्तरों के अनुसार “स्वीकृत” जानवर लेते थे।
इतक्या दुरून आपल्यासोबत जनावर आणल्यावर ते अयोग्य ठरवले जाण्याचा धोका होता; तो टाळण्यासाठी अनेकजण मंदिरातल्याच एखाद्या पैसेखाऊ दुकानदाराकडून याजकांनी आधीच “योग्य ठरवलेले” जनावर विकत घेत असत.
दलाल का उपयोग करने का एक और लाभ है लागत - वे छोटे बाजारों में, छोटे खातों के साथ, या उत्पादों की सीमित लाइन के साथ सस्ते हो सकते हैं।
एक ब्रोकर वापरण्याचा दुसरा फायदा म्हणजे खर्च असतो- लहान बाजारपेठांमध्ये, लहान खात्यांसह किंवा उत्पादनांच्या सीमित श्रेणीसह ते अतिशय किफायतशीर असू शकतात.
भारत के एक ३८-वर्षीय शेयर दलाल को १६० करोड़ के लेन-देन और शेयर बाज़ार घोटाले में उसकी आरोपित अंतर्ग्रस्तता के कारण गिरफ़्तार करके उसका ठाठदार मकान और २९ कारों को छीन लिया गया।
भारतात, थाटामाटाचा बंगला आणि २९ मोटार गाड्यांचा मालक असलेला ३८ वर्षांचा एक रोखे दलाल, १.६ महापद्म डॉलर्रचा बँक व्यवसाय आणि शेअर बाजार लोकापवादात अभिकथित गोवल्यामुळे, त्याला अटक करण्यात आली.
"दलाल" शब्द, अनिश्चित उत्पत्ति का पुरानी फ्रांसीसी घोटाले के दलालों से बचना ब्रोसेर "छोटे व्यापारी", से व्युत्पन्न है, लेकिन संभवतः पुराने फ्रांसीसी ब्रोशर से "वाइन रिटेलर" का अर्थ है, जो क्रिया ब्रोशियर से आता है, या "टू ब्रोच (एक केग)"।
"ब्रोकर” हा शब्द जुना फ्रेंच शब्द ब्रोकियरवरून आला आहे ज्याचा अर्थ “लहान व्यापारी”, काहीशा अनिश्चित घोटाले के दलालों से बचना मुळावरून आला आहे, पण ही पण शक्यता आहे की तो, जुना फ्रेंच शब्द ब्रोकियोर म्हणजे “वाईनचा किरकोळ विक्रेता”वरून आला आहे, जे ब्रोकियर किंवा “विषय काढणे (केज)” या क्रियापदावरून आले आहे.
इतिहासकार एडवन यामाऊची का कहना है कि ऐसा लगता है कि “ये आपस में करार करनेवाले दो पक्षों के लोगों, दलालों, गवाहों, कर वसूलनेवालों और शाही दरबार में काम करनेवाले अफसरों” के नाम हैं।
ती नावे, “करार करणाऱ्यांची, दलालांची, साक्षीदारांची, कर गोळा करणाऱ्यांची व राज दरबारात सेवा करणाऱ्यांची वाटतात,” असे इतिहासकार एडवीन यामाऊची म्हणतात.
जन हित का कार्य करने की शपथ लेनेवाले अनेक लोगों का ख़ुद का हित साधनेवालों के रूप में पर्दाफ़ाश किया जा रहा है, जो घूस और दलाली लेते हैं।
लोकांच्या हितासाठी कार्य करू अशी शपथ घेणारे पुष्कळ लोक, स्वतःचा फायदा करून घेण्यासाठी लाच घेणारे व मूठ दाबणारे म्हणून उघडकीस येतात.
“उसके बाद, किसी दलाल के ज़रिए मछलियाँ बेचने के बजाय तुम अपनी मछलियाँ सीधे मत्स्य उद्योग में बेच सकते हो या फिर खुद ही मछली का बड़ा व्यापार कर सकते हो।
“मग, कोणा दलालाच्या मदतीने मासे विकण्याऐवजी तू कंपनीसोबत थेट व्यवहार करू शकतोस नाहीतर तू स्वतःचीच एक कंपनी काढू शकतोस.
ऐसी अनेक सेवाएँ जो अभी व्यवसायिक लेन-देन के लिए कर्मचारियों का इस्तेमाल करती हैं, जैसे यात्रा और शेयर-दलाली सेवाएँ, आगे चलकर संभवतः प्रभावित होंगी, क्योंकि इंटरनॆट यूज़रों को अपने कुछ या सभी प्रबंध ख़ुद करने का अधिकार मिल रहा है।
पुष्कळशा कंपन्या प्रवास आणि स्टॉक-दलाली यांसंबंधात औद्योगिक व्यवहार करण्यासाठी अद्यापही अशाप्रकारच्या कंपन्यांच्या कर्मचारी वर्गावर अवलंबून असतात; पण जसजसे इंटरनेट वापरणाऱ्यांना त्यांच्या काही किंवा सर्व व्यवस्था हाताळणे शक्य होईल तसतसा याबाबतीतही बदल घडून येण्याची शक्यता आहे.
वह HIV से संक्रमित हो गयी, और जीवन के अंतिम समय में, जब वह एड्स की अंतिम अवस्था में थी, वह वेश्यावृति नहीं कर सकती थी, अतः उसने चार साल की प्रणिता को एक दलाल को बेच दिया.
ती एचआयव्ही बाधित झाली, आणि तिच्या आयुष्याच्या शेवटी, जेव्हा ती एड्स च्या घोटाले के दलालों से बचना अंतिम टप्प्यात होती, (जेव्हा) ती वेश्याव्यवसाय करू शकत नव्हती, म्हणून तिने चार वर्षाच्या प्रणिताला एका दलालाला विकले.
इसमें भी आश्चर्य नहीं कि जो पत्रिकाएँ दुल्हन की नयी पोशाकों का विज्ञापन देती हैं वे दुल्हन की पुरानी पोशाकों के विज्ञापन स्वीकार नहीं करतीं या जो अखबार भू-संपत्ति दलालों की सूची देते हैं वे यह नहीं बताते कि दलाल के बिना मकान कैसे खरीदा जाए।
त्याचप्रमाणे, नवीन वेडिंग गाऊन्सची जाहिरात करणारी नियतकालिके वापरलेल्या वेडिंग गाऊन्सची जाहिरात देत नाहीत किंवा स्थावर संपत्तीच्या दलालांची नावे देणारी वृत्तपत्रे त्यांच्या मदतीविना घर कसे खरेदी करावे घोटाले के दलालों से बचना याची माहिती देत नाहीत हे देखील आश्चर्याचे नाही.
दक्षिण एशिया में और दूसरे स्थानों में भी माता-पिता थोड़े-से कर्ज़ के बदले में अकसर अपने आठ-नौ साल के बच्चों को फैक्ट्री मालिकों या उनके दलालों के पास गिरवी रख देते हैं।
दक्षिण आशिया त्याचप्रमाणे इतर भागांमध्येही, आईवडिल आपल्या आठ-नऊ वर्षांच्या मुलांना डोक्यावरचे लहान कर्ज फेडेपर्यंत कारखान्यातल्या मालकांकडे किंवा त्यांच्या एजंटकडे मजुरी करायला पाठवतात.
स्थावर संपत्तीचे एजंट, दिवसातून वेगवेगळ्या वेळी नवीन घरी येऊन आवाजाचा काही त्रास आहे का ते पाहायला सुचवतात.
७ एक भाई ने, जो भूसंपत्ति दलाल है, घर दिखाने के लिए अपनी समय-सारणी में इस तरह समायोजन किया कि वह पायनियर सेवा के लिए समय दे सका।
७ जमीनजुमला व मिळकतींची विक्री करणाऱ्या एका बंधूने घरे दाखविण्याच्या आपल्या कार्यक्रमात, पायनियर कार्यासाठी वेळ मिळावा म्हणून बदल केला.
बाइक बोट घोटाले में छापा, 45 बाइक बरामद
नोएडा घोटाले के दलालों से बचना के बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले में प्रदेश पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को मेरठ में कई स्थानों पर छापा मारकर 45 मोटर साइकिलें बरामद.
प्रमुख संवाददाता-राज्य मुख्यालय नोएडा के बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले में प्रदेश पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को मेरठ में कई स्थानों पर छापा मारकर 45 मोटर साइकिलें बरामद कीं। ईओडब्ल्यू मेरठ सेक्टर के एएसपी राम सुरेश यादव के नेतृत्व में गठित टीमों ने अलग-अलग थाना प्रभारियों के साथ मुखबिरों द्वारा बताए गए स्थानों पर छापे मारे। छापे में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम पंजीकृत मोटरसाइकिलें मिलीं। यह सभी गाड़ियां बजाज कंपनी की हैं और उन पर कंपनी से ही बाइक बोट का स्टीकर व लोगो लगा हुआ आया है। इसमें कुछ गाड़ियां ऐसी हैं जो कंपनी से नियुक्त एजेंटों द्वारा इस्तेमाल की जा रही थी। कुछ गाड़ियां ऐसी भी हैं जो बिल्कुल नई हैं। इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद कंपनी द्वारा नियुक्त एजेंटों ने बाइक बोट की इन गाड़ियों को चलाना बंद कर दिया, क्योंकि आम जनता के बीच कंपनी घोटाले के दलालों से बचना की धोखाधड़ी की बात फैल गई थी। इससे इन एजेंटों को काम नहीं मिल रहा था। साथ ही जनता के उग्र और आक्रोशित होने की वजह से जान-माल का खतरा बना हुआ था। ईओडब्ल्यू की टीमों ने मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र स्थित अछरोड़ा ग्राम निवासी बाइक बोट संचालनकर्ता करनेश शर्मा पुत्र हरिनंदन शर्मा के कब्जे से 21 और मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र स्थित नंगलाताशी ग्राम निवासी सनी पुत्र सतेन्द्र जाट के कब्जे से 24 बाइक बरामद किया। निवेशकों का धन हड़प कर फरार हो गए निदेशकशासन घोटाले के दलालों से बचना ने बाइक बोट घोटाले की विवेचना 14 फरवरी 2020 को ईओडब्ल्यू को सौंप दी थी। इससे पहले मुकदमों की विवेचना गौतमबुद्धनगर (नोएडा) पुलिस के द्वारा की जा रही थी। घोटाले में नोएडा के दादरी थाने में कुल 57 मुकदमे दर्ज किए गए थे। ईओडब्ल्यू को विवेचना पता चला कि गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के संचालन संजय भाटी एवं 19 अन्य व्यक्तियों द्वारा कंपनी की अलग-अलग जिलों में फ्रेंचाइजी बनाकर स्कीम लांच की गई। इसके तहत लोगों को स्कीम में एक बाइक के लगभग 62200 रुपये लगाने और 9765 रुपये प्रतिमाह 12 महीने तक प्राप्त करने का प्रलोभन दिया गया था। इस स्कीम से प्रेरित होकर बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने कंपनी में निवेश किया। कंपनी के संचालकों ने जनता से प्राप्त धनराशि को नियमानुसार बाइक बोट में न लगाकर अपनी व्यक्तिगत प्रापर्टी बनाने में खर्च कर दिया। बाद में वे जनता द्वारा जमा की गई करोड़ों की धनराशि को वायदे के अनुसार वापस करने के बजाए उसे हड़प कर फरार हो गए। निवेशकों ने ही कंपनी द्वारा धन हड़प लिए जाने के संबंध में अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए गए।
जांच की आंच घर तक पहुंची
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले की आंच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर तक पहुंच चुकी है. उनकी पत्नी और रिश्तेदारों पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं.
लेमुअल लाल
- मध्य प्रदेश,
- 07 जुलाई 2014,
- (अपडेटेड 08 जुलाई 2014, 5:08 PM IST)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 जून को कहा, ''मैं ईमानदार था. ईमानदार हूं और आगे भी मैं ईमानदार रहूंगा. '' तनावग्रस्त चौहान ने खजुराहो में बीजेपी विधायकों के प्रशिक्षण सत्र के दौरान यह टिप्पणी की. चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह करोड़ों रु. के मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले पर आलोचनाओं के घेरे में हैं.
इसके एक दिन बाद चौहान ने ट्वीट कर अपनी पत्नी का आक्रामक तरीके से घोटाले के दलालों से बचना समर्थन किया: क्या मेरी पत्नी के 17 रिश्तेदारों का परिवहन आरक्षक परीक्षा में चयन हुआ है? एक का भी नहीं. यहां तक कि पूरे महाराष्ट्र से किसी का नहीं.
इन दिनों व्यापम घोटाले को लेकर अपने और अपनी पत्नी के बारे में चौहान को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है.
खुद उनकी पार्टी की नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इसे बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा घोटाला बताया है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने इस सवाल पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि इस घोटाले में कितनी घूसखोरी हुई है. उन्होंने कहा कि अभी मामले की जांच चल रही है.
चौहान के करीबी, राज्य के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित 400 से ज्यादा लोगों को इस घोटाले में हाथ होने के चलते गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें फर्जी तरीके से एमबीबीएस कोर्स में दाखिला पाने वाले छात्र-छात्राओं और पुलिस सहित विभिन्न विभागों में नौकरी पाने वाले काफी लोग शामिल हैं. इस घोटाले में 4,000 से ज्यादा लोग शामिल हैं, जिसमें अरबों रु. का लेन-देन हुआ बताते हैं.
कई राजनेता, व्यापम के अधिकारी और दलालों ने मेडिकल कोर्सेज में दाखिला दिलाकर छात्रों से खूब पैसा कमाया. कई बेरोजगार नौजवानों ने फर्जी तरीके से पुलिस विभाग में कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर बनने के लिए भारी रकम चुकाई. चौहान ने विधानसभा में पिछले महीने स्वीकार किया था कि 1,000 से ज्यादा छात्रों को प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में फर्जी तरीके से दाखिला दिलाया गया. चौहान ने सीबीआइ जांच से बचने के लिए इस मामले की जांच मध्य प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंप दी.
घोटाले की जांच की आंच मुख्यमंत्री चौहान के दरवाजे तक पहुंच चुकी है. काफी टालमटोल के बाद एसटीएफ ने उनके पूर्व निजी सचिव (पीएस) प्रेम चंद प्रसाद और उनकी बेटी अनीता को 26 जून को पूछताछ के लिए समन जारी किया. अनीता को कथित रूप से गलत तरीके से एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिला. हालांकि, इन दोनों ने अदालत से अग्रिम जमानत हासिल कर ली है.
सूत्रों के मुताबिक, प्रेम ने व्यापम के पूर्व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा और व्यापम के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी (दोनों जेल में) को मुख्यमंत्री आवास से फोन कर अनीता को 2012 में प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) पास करने में मदद करने को कहा था. घोटाले में नाम आते ही चौहान ने प्रेम को मुख्यमंत्री आवास से निकाल बाहर किया.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्र ने दावा किया है कि विभिन्न परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए व्यापम के शीर्ष अधिकारियों को मुख्यमंत्री आवास से 139 से ज्यादा फोन किए गए. उनका आरोप है कि एसटीएफ की जांच से ये कॉल डिटेल गायब कर दिए गए.
मिश्र का दावा है कि महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की रहने वाली साधना सिंह के 19 रिश्तेदारों का चयन परिवहन विभाग में हुआ है. चौहान और बीजेपी इन आरोपों को आधारहीन बता रहे हैं. प्रदेश सरकार ने मिश्र के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया है.
कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी के ही चौहान विरोधी लोग, जैसे कि पार्टी उपाध्यक्ष प्रभात झा, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और गौर भी गुपचुप तरीके से इस मौके का और चौहान की कमजोर स्थिति का फायदा उठाकर खुद को मजबूत करना चाहते हैं.
सच यह भी है कि एसटीएफ की जांच ने तभी रफ्तार पकड़ी जब आरएसएस के मध्य भारत प्रांत के संघचालक और प्रभात झा के करीबीमंत हे मुक्तिबोध आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिले. भागवत 25 मई को दो दिवसीय दौरे पर भोपाल आए थे.
मुक्तिबोध ने भागवत से कहा बताते हैं कि इस घोटाले में आरएसएस का नाम घसीटा जा रहा है. उन्होंने चौहान को निशाना बनाते हुए कहा कि वे राज्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं. इस पर भागवत ने चौहान को घोटाले पर सख्त रुख दिखाने का निर्देश दिया. इसके बाद जांच आगे बढ़ी. 15 जून को लक्ष्मीकांत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया.
इधर, मुक्तिबोध कहते हैं कि वे भागवत से मिले जरूर थे लेकिन उनसे व्यापम घोटाले के बारे में कोई बात नहीं की थी. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, ''आरएसएस का और मेरा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. फरवरी में एसटीएफ की जांच से यह पता चला कि आरएसएस के पूर्व प्रमुख दिवंगत के.एस. सुदर्शन के सहायक मेहर कुमार को शर्मा की घोटाले के दलालों से बचना सिफारिश पर ही राज्य के माप-तौल विभाग में अधिकारी बनाया गया.
इसके बाद से आरएसएस का क्षेत्रीय नेतृत्व असहज है. व्यापम ने माप-तौल विभाग में आपूर्ति अधिकारियों की भर्ती के लिए 7 अक्तूबर, 2012 को भर्ती परीक्षा आयोजित की थी जिसमें कथित तौर पर मेहर सहित 18 अभ्यर्थियों का फर्जी तरीके से चयन किया गया. प्रदेश की सत्ता में संघ के ताकतवर व्यक्ïित के रूप में उभरे मुक्तितबोध ने उपयुक्त समय पर सहजता से कदम उठाया है. राजनैतिक हलकों में कई लोगों का मानना है कि यह कदम झा के इशारे पर उठाया गया है.
उमा भारती के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद घोटाले पर कार्रवाई के लिए चौहान पर दबाव और बढ़ गया. उन्होंने घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग की यह भी जोड़ा कि अब चूंकि एसटीएफ जांच कर रही है, ऐसे में उसे समय दिया जाना चाहिए. उधर गृह मंत्री गौर भी चौहान के जले पर नमक छिड़क रहे हैं. उन्होंने एसटीएफ से इस मामले में कठोर कार्रवाई करने और किसी को भी नहीं बख्शने को कहा है.
प्रदेश हाइकोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है. मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य गौर के चौहान से ताल्लुकात अच्छे नहीं हैं. प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए चौहान और उनके कई मंत्री तो विमान से दिल्ली गए थे जबकि वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद गौर ट्रेन से दिल्ली आए-गए. रिश्तों में खटास का यह सार्वजनिक प्रदर्र्शन था.
वैसे अब जब अपनों ने भी शिवराज को घेरने का मन बना लिया है तो ऐसे में उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ सकती हैं.
क्या बिटकॉइन एक घोटाला है? जानिए बिटकॉइन ट्रेडिंग बॉट के बारे में पूरी सच्चाई
ट्रेडिंग क्रिप्टोकरेंसी b हैig व्यापार। और जहां पैसा है, आप हमेशा घोटाले करने वाले कलाकारों को ढूंढने की उम्मीद कर सकते हैं और अनिश्चित निवेशकों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
नवीनतम क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग घोटाला बिटकॉइन धन है। यह एक स्वचालित द्विआधारी विकल्प ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के रूप में विपणन किया जा रहा है जो आपको प्रति दिन हजारों मुनाफे में लाएगा।
सितंबर के अंत में इसकी शुरुआत के बाद से, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसे बहुत अधिक ब्याज मिला है। लेकिन हर सावधान व्यापारी एक सवाल पूछ रहा है। क्या बिटकॉइन धन एक घोटाला है? यह बिटकॉइन धन घोटाला समीक्षा उन सभी विवरणों को उजागर करेगी जो इस प्रणाली को बनाते हैं जिन्हें आपको पूरी तरह से बचना चाहिए।
इसके "मुक्त" बहुत कम विकल्प व्यापारियों को पैसा बनाने के लिए एक मुक्त अवसर की अनदेखी कर सकते हैं। बिटकॉइन धन को सिस्टम में शामिल होने के लिए एक स्वतंत्र के रूप में विपणन किया जाता है।
हालांकि, यह एक कीमत पर आता है। आपसे अपेक्षा की जाएगी कि आप इस प्रणाली के साथ आने वाले लाभों का आनंद लेने के लिए अपने द्वारा प्रदत्त ब्रोकर के साथ कम से कम $ 250 जमा करें। और यह मुझे अगले लाल झंडे की ओर ले जाता है बिटकॉइन धन केवल अनियमित दलालों से लिंक घोटाले के दलालों से बचना करेगा।
इसका मतलब है कि आपका पैसा एक व्यवसाय के पास होगा जो गायब होने का फैसला कर सकता है और जिसके पास जवाब देने वाला कोई नहीं है। जब यह घोटाला आखिरकार उजागर हो जाता है और इसके तहत कोई भी जाता है, तो जिसने भी नकद निवेश किया है, वह इसे खो देगा।
दो दलालों इस सॉफ्टवेयर के साथ जुड़े हुए हैं ArgusFX और शुद्ध बाजार। सॉफ्टवेयर को एक विनियमित ब्रोकर खाते से जोड़ने की कोशिश करना बस विफल हो जाएगा।
किए गए दावे अवास्तविक हैं
प्रोमो वीडियो एक साहसिक दावा करता है कि आप ऑटोपायलट पर प्रति दिन न्यूनतम 0.3 बिटकॉइन कमा सकते हैं। वर्तमान बिटकॉइन मूल्य के आधार पर गणना, वह प्रति दिन कम से कम $ 1000 है।
यह दावा सॉफ्टवेयर की प्रोग्रामिंग पर आधारित है। इसके निर्माता के अनुसार, यह कृत्रिम बुद्धि एल्गोरिदम का उपयोग करता है जो एक व्यापार पर खोना लगभग असंभव बना देता है।
भले ही किसी भी विकल्प ट्रेडिंग बॉट को प्रोग्राम किया गया हो, ट्रेडों पर खोने की संभावना हमेशा रहती है।
आप यह नहीं देख सकते कि यह सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है
एक अनियमित ब्रोकर के साथ कई सौ डॉलर बाहर करने के बाद, आप ऑटोपायलट पर प्रति दिन हजारों डॉलर कमाने की उम्मीद कर सकते हैं। बिना यह जाने कि यह सॉफ्टवेयर कैसे करता है।
जब मैं इस तरह से पैसा कमाने का मन नहीं बनाऊंगा, मुझे विश्वास नहीं होता कि बिटकॉइन धन ऐप ऐसा करने का तरीका है। इसमें बहुत अधिक जोखिम शामिल है और यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि किसी भी ट्रेड में आईटीएम या ओटीएम समाप्त हो गया है या नहीं।
नकली मालिक और प्रशंसापत्र
बिटकॉइन धन घोटाले को मैक्स कार्नी द्वारा जानबूझकर बनाया गया था। कुछ शोध करने के बाद, मैंने उसी व्यक्ति को क्रिप्टो वेल्थ नामक एक समान क्रिप्टोक्यूरेंसी स्कैम सिस्टम का निर्माता पाया। दोनों सिस्टम के रचनाकारों के समान नाम होने के अलावा, वे डिजाइन में काफी समान हैं।
सिस्टम के विपणन में वीडियो प्रशंसापत्र का उपयोग शामिल है। उनमें से कोई भी आश्वस्त नहीं है। वास्तव में, मुझे संदेह है कि ये भुगतान किए गए अभिनेता हैं जो स्क्रिप्ट को पढ़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि इस घोटाले के बारे में एक गुलाबी तस्वीर चित्रित करना।
वह सब कुछ नहीं हैं। प्रोमो वीडियो में इस्तेमाल की गई कमाई का खुलासा यह बताता है कि सभी संदेश यह प्रदर्शित करने के लिए हैं कि ऐप क्या कर सकता है। आपको वास्तव में ट्रेडों को रखने या किसी उपयोगकर्ता को कुछ पैसे कमाने वाले सॉफ़्टवेयर की एक क्लिप नहीं मिलेगी।
अंतिम फैसले
इसमें कोई संदेह नहीं है कि बिटकॉइन धन एक घोटाला है। यह सिस्टम में शामिल होने के लिए एक मुफ्त के रूप में पैक किया जा रहा द्वारा व्यापारियों को अनसुना करने का लालच दिया गया है। एक बार जब आप अपने पैसे को उनके अनियमित दलालों में से किसी एक के साथ निवेश करते हैं, तो आपसे एक बॉट पर भरोसा करने की उम्मीद की जाएगी जिसका काम आप प्रत्येक दिन हजारों डॉलर बनाने के लिए नहीं समझ सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि व्यापार करने के लिए बहुत पैसा है cryptocurrencies। हालांकि, बिटकॉइन धन घोटाले के साथ अपना समय या पैसा लगाने के लिए इसके लायक नहीं है।
चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस घोटाले की जांच करने वाले ईडी अधिकारी के खिलाफ बेनामी के माध्यम से एक साजिशी याचिका दायर की!
सुप्रीम कोर्ट के 2 जी बेंच के सप्ताहों बाद, एयरसेल-मैक्सिस घोटाले को छह महीनों में खत्म करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कठोर निर्देश दिए गए [1], पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम अपनी चाल पर हैं। शायद यह देखकर कि सावधानी से निर्मित कवच नष्ट हो रहे हैं, चिदंबरम जांच अधिकारियों को बदनाम करने के लिए बेनामी बेवकूफ याचिकाओं के साथ बाहर आ गए हैं।
चिदंबरम ने एक कुख्यात फिक्सर उपेंद्र राय की सेवाओं का इस्तेमाल किया है, जो एक पूर्व पत्रकार हैं, जिन्होंने सहारा और तेहेल्का के साथ काम किया है ताकि ईडी के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज की जा सके।
2011 में, चिदंबरम और गिरोह ने उपेंद्र राय की सेवाओं का इस्तेमाल किया था और उन्हें (राय) को सुप्रीम कोर्ट से अवमानना शुल्क का सामना करना पड़ा था। इस अनौपचारिक गिरोह ने अक्टूबर 2010 में विवादास्पद लॉबीस्ट नीरा राडिया को समन भेजे जाने के बाद सिंह को लक्ष्य बनाना शुरू कर दिया था। उपेंद्र राय सहारा समूह के साथ उस समय मुख्य संपादक के रूप में काम कर रहे थे और उन्होंने और सहारा के मालिक सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट से अवमानना शुल्क का सामना करना पड़ा और स्वयं को बचाने के लिए सुब्रत राय ने समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए थे कि उनका एवं उनके समूह का उपेंद्र राय और उनके भाई के साथ कोई संबंध नहीं था।
चिदंबरम ईडी के गैर-व्यवहार्य और ईमानदार अधिकारी राजेश्वर सिंह को हटाने के लिए अपने स्तर का सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे थे और मुख्य याचिकाकर्ता और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के बार-बार हस्तक्षेप के कारण चिदम्बरम और उनके सहयोगी इस चाल में विफल रहे। चिदंबरम और सहयोगी पिछले सात सालों से राजेंद्र सिंह के पदोन्नति को उपेंद्र राय के ब्लैकमेलर गिरोह द्वारा दायर की गई शिकायतें या गुमशुदा शिकायतों का इस्तेमाल करके अवरुद्ध कर रही हैं।
एयरसेल-मैक्सिस घोटाले के सिलसिले में बेटे कार्ति की फर्मों में दिसंबर 2015 में राजेश्वर सिंह की अगुवाई में छापे के बाद चिदंबरम का सावधानीपूर्वक निर्मित मुखौटा ढह गया और अवैध सौदों के खजाने के ढेर का पता चला। चेन्नई की आयकर इकाई के साथ इस संयुक्त अभियान ने चिदंबरम परिवार की अवैध संपत्ति 14 देशों में और 21 अघोषित विदेशी बैंक खातों में उजागर की है[2]। इस छापे ने आईएनएक्स मीडिया घोटाले का खुलासा किया [3]। चिदंबरम लंबे समय से राजेश्वर सिंह के खून के प्यासे हैं।
1200 करोड़ रुपये के साथ, किसे सरकारी नोकरी की जरूरत?
इस बार, एक सप्ताह बाद, 23 मार्च को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई और ईडी को छह महीने के भीतर एयरसेल-मैक्सिस घोटाले के खिलाफ जांच पूरी करने का आदेश दिया, अचानक अपेंद्र राय ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की कि राजेश्वर सिंह एक भ्रष्ट अधिकारी हैं और आरोप लगाते हुए कहा कि वह और उनके परिवार के पास 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है! यह 2011 में उपेंद्र राय और गिरोह द्वारा दायर की गई एक समान शिकायत के कट और पेस्ट की तरह दिखाई दिया और शीर्ष अदालत ने निंदा की। आशा है कि इस बार सर्वोच्च न्यायालय इस निराशाजनक याचिका का गंभीर ध्यान रखेगा और एजेंसियां इस बेनामी याचिकाकर्ता के बारे में गंभीर कदम लेंगी।
उपेंद्र राय कौन है?
1982 में पैदा होने का दावा करने वाले उपेंद्र राय सहारा समूह और तहलका पत्रिका में संपादक थे। हालांकि वह किसी भी मान्यता प्राप्त मीडिया संगठन का हिस्सा नहीं है, फिर भी वह सभी प्रमुख सरकारी कार्यालयों में प्रवेश करने के लिए अपने प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) मान्यता कार्ड दिखा रहे हैं। वह सभी हवाई अड्डों में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) द्वारा जारी अत्यधिक संवेदनशील हवाईअड्डा प्रवेश पास (एईपी) भी दिखा रहा है। खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि वह इस संवेदनशील हवाईअड्डा प्रवेश कार्ड को प्राप्त करने के लिए चार्टर फ्लाइट कंपनी निदेशक बनने का दावा कर रहे हैं। यह एक रहस्य है कि उन्होंने केवल एक पत्रकार होते हुए पीआईबी कार्ड कैसे प्राप्त किया! यह दिखाता है कि उपेंद्र राय कैसे सिस्टम में बैठे भ्रष्ट लोगों से आपराधिक रिश्तों का आनंद ले रहे हैं।
उपेंद्र राय एक स्थायी जोड़ है, जिसे अक्सर उत्तर ब्लॉक और दक्षिण ब्लॉक में देखा जाता है।
कई सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, पिछले दो सालों से उपेंद्र राय का नाम एजेंसी द्वारा तैयार किए गए अवांछित संपर्क पुरुषों (यूसीएम) की सूची में है। इस सूची में नामित व्यक्तियों के संपर्कों से बचने के लिए सरकारी अधिकारियों के लिए एक सावधानी चेतावनी है। आम तौर पर इस सूची में बिचौलियों और दलालों का नाम दिया जाता है। यह फिर से सवाल उठता है कि यूसीएम सूची में नामित एक व्यक्ति ने पीआईबी पत्रकार कार्ड और हवाईअड्डा एंट्री कार्ड कैसे प्राप्त किया।
2011 में सहारा समूह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवमानना शुल्क का थप्पड़ घोटाले के दलालों से बचना मारने के बावजूद, एजेंसियों ने पाया है कि समूह ने 2017-18 के दौरान उपेंद्र राय को 6.1 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। लेकिन सुब्रत राय ने सर्वोच्च न्यायालय में दावा किया कि उनके पास पैसा नहीं है!
यह कुख्यात फिक्सर, जो अब चिदंबरम के प्यादे के रूप में काम कर रहा है, दक्षिण दिल्ली (सी -24, ग्रेटर कैलाश -1, नई दिल्ली) में 30 करोड़ रुपये के बंगला में रह रहा है। उपेंद्र राय पहले से ही कई एजेंसियों के रडार पर हैं जो उनके द्वारा संचालित किए गए हवाला चैनलों और शैल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉंडरिंग के लिए हैं, जिन्हें एक ही उद्देश्य के लिए शामिल किया गया है। ऐसा एक शानदार उदाहरण है मैसर्स डेस्कजेट कम्प्यूटेक सॉल्यूशंस, दिल्ली, जिसने मार्च 2016 में मैसर्स उपेंद्र राय और एसोसिएट्स को 3.8 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। क्या इस कंपनी ने अपनी नकदी को चेक में बदल दिया? क्या यह मनी लॉंडरिंग एक्ट (पीएमएलए) की रोकथाम के प्रावधानों के लिए हाथ में है? यह भी जरूरी है कि सीबीआई भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम से इस लेनदेन की जांच करे, किसने इन भुगतानों को और किसके लिए किया? उसके पास कई महंगी कारें हैं। एक व्यक्ति जो सिर्फ पत्रकार है और 36 साल की उम्र में ऐसी संपत्ति जमा कैसे कर सकता है?
सूचित सूत्रों ने पीगुरूज को बताया है कि उपेंद्र राय आयकर या सीबीआई छापे के प्रावधान में प्रभावी ढंग से कॉर्पोरेट दुनिया से धन निकालने के लिए वित्त मंत्रालय और आयकर में कई नौकरशाहों का उपयोग कर रहे हैं। उपेंद्र राय सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी अहमद पटेल के बहुत करीबी हैं।
अब चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस जांच को तोड़ने और ईमानदार जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह को डराने के लिए एक निराशाजनक याचिका दायर करने के लिए अपने बेनामी उपेंद्र राय का इस्तेमाल किया है। सीबीआई ने उपेंद्र राय के गंदे सौदों की जांच की है।