एक दलाल चुनना

बेयर मार्केट क्या है

बेयर मार्केट क्या है
Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

Bull Market और Bear Market क्या है? जानिए हिंदी में

बाजारों को अक्सर (Bull) ‘बैल’ या (Bear) ‘भालू’ बाजार के रूप में वर्णित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है, Bull Market और Bear Market क्या है? यह मार्केट का बेसिक पार्ट है जिससे जानना आपको जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि Bull Market और Bear Market से ही बाजार की स्थिति पता चलती है, और आगे हम जानेंगे कि आखिर इन नामों की व्युत्पत्ति मार्केट में कैसे हुई।

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज Scam1992 देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें ‘मंदोड़िया’ (बियर) और ‘तेजड़िया’ (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, बाजार की एक्विटी के आधार हैं। चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुल बाजार और बियर बाजार क्या है?

What is Bull or Bear Market in Hindi, बुल और बियर बाजार क्या है?

बाजारों को अक्सर ‘बैल’ या ‘भालू’ बाजार के रूप में वर्णित किया जाता है। इन नामों की व्युत्पत्ति उस तरीके से हुई है जिसमें जानवर अपने विरोधियों पर हमला करते हैं। एक बैल अपने सींगों को हवा में उछालता है, और एक भालू अपने पंजे नीचे दबाता है। ये क्रियाएं बाजार की गति के लिए रूपक हैं: यदि स्टॉक की कीमतें ऊपर की ओर बढ़ती हैं, तो इसे (Bull Market) एक बैल बाजार माना जाता है, यदि प्रवृत्ति नीचे की ओर है, तो इसे एक (Bear Market) भालू बाजार माना जाता है।

बुल मार्केट (Bull Market)

डियर पाठक (Bull Market) बाजार की वह फाइनेंशियल सिचुएशन है जो इन्वेस्टरों के लिए आत्मविश्वास, आशा की किरण, वह पॉजिटिव उम्मीदों को दर्शाता है।

वैसे तो ‘बैल बाजार’ (Bull Market) स्टॉक मार्केट से संबंध रखता है, लेकिन आपको बता दें कि बुल बाजार सभी वित्तीय बाजारो जैसे कि- मुद्राओं, ब्रांडो, और प्रोडक्ट आदि पर भी लागू होता है। बुल बाजार के समय, अर्थव्यवस्था (Economy) में सब कुछ ऊपर की ओर बढ़ता है, जैसे कि जीडीपी की ग्रोथ होना, नौकरी के सेक्टर में वृद्धि होना, और शेयर बाजार में स्टॉक कीमतें बढ़ती है। और मार्केट में कई बदलाव आते हैं

अगर आपको सिंपल लैंग्वेज में बतायें तो ‘बुल बाजार’ (Bull Market) अक्सर शेयरों को ओवरवैल्युएशन की ओर ले जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि इन्वेस्टर बुल बाजार के समय अधिक आशावादी होते हैं और उनका ऐसा मानना होता है कि स्टॉक ऊपर की ओर ही बढ़ेगा

बेयर मार्केट (Bear Market)

डियर पाठक बुल बाजार (बेयर मार्केट क्या है Bull Market) के विपरीत ‘बियर मार्केट’ (Bear Market) जो मंदी और खराब अर्थव्यवस्था, स्टॉक मार्केट में शेयरों की कीमतों में गिरावट को दर्शाता है। क्योंकि मंदी के समय निवेशक का व्यवहार थोड़ा निराशावादी होता है, वैसे यह जरूरी नहीं लेकिन उन्हें डर होता है की स्टॉक नीचे की ओर परफॉर्म करेगा।

Bear Market निवेशकों के लिए अल्पावधि (कम समय) के लिए लाभदायक शेयरों को चुनना कठिन बना देता है।

बियर बाजार (Bear Market), के समय अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और इन्वेस्टरो का विश्वास कमजोर होता है। एक हालिया उदाहरण 2020 की महामारी का ही ले लीजिए, जिसमें अधिकांश इन्वेस्टर मार्केट से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी या कितनी लंबी चलेगी।

बुल और बियर बाजार के महत्वपूर्ण बिंदु

  • प्रतिभूतियों (Securities) की आपूर्ति और मांग काफी हद तक यह डिसाइड करती है कि बाजार तेजी या मंदी के दौर में है या नहीं। इन्वेस्टर मनोविज्ञान, अर्थव्यवस्था में सरकार की भागीदारी और आर्थिक एक्टिविटी में बदलाव जैसी ताकतें भी बाजार को ऊपर या नीचे चलाती हैं। ये निवेशकों को शेयरों के लिए उच्च या निम्न कीमतों की बोली लगाने के लिए गठबंधन करते हैं।
  • Bull Market, बुल बाजार हमेशा मार्केट की बढ़ती हुई स्थिति को दिखाता है, और वही Bear Market, बियर बाजार मार्केट की गिरती हुई स्थिति को दिखाता है जहां बाजार में मौजूद ज्यादातर स्टॉक्स कीमतें गिरने लगती है।
  • बाजार में दो तरह के लोग होते हैं एक बुल मार्केट को पसंद करने वाले, दूसरे बियर मार्केट को पसंद करने वाले बियर मार्केट में इन्वेस्टर शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) करके प्रॉफिट कमाते हैं। लेकिन मार्केट में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि ज्यादातर इन्वेस्टर बुल मार्केट को ही सपोर्ट करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते कुछ वर्षों का इतिहास देखे तो मार्केट बुलिश (बढ़ता हुआ) दिखाई देगा
  • बियर मार्केट इन्वेस्टमेंट को थोड़ा रिस्की माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान स्टॉक्स की प्राइस में काफी उतार चढ़ाव आता है।

निष्कर्ष, Bull Market और Bear Market क्या है?

डियर पाठक आज के इस लेख Bull Market और Bear Market क्या है? के अंदर हमने बुल बाजार और बीयर बाजार को समझा और आपको बता दें कि बाज़ार हमेशा या तो मंदी में रहेगा या तेज़ी में। इसलिए आपको समय-समय पर मार्केट को देखते रहना चाहिए अगर आप एक अच्छे ट्रेडर हैं या सीख कर ट्रेडर बनेंगे तो आप मार्केट बियर हो या बुल आप पैसा बनाओगे

इसलिए सीखने पर फोकस करें आशा करते हैं कि आज का लेख Bull Market और Bear Market क्या है?(Bull market or bear market kya hota hai) आपको काफी नॉलेजेबल लगा होगा अगर आपका फिर भी कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में बेझिझक पूछ सकते हैं।

Market पाठशाला-1: बुल मार्केट, बेयर मार्केट सहित शेयर बाजार में बार-बार इस्तेमाल होने वाले शब्दों के मतलब जानिए

 Nifty अपने ऑलटाइम लेवल के करीब ट्रेड कर रही है.

Market पाठशाला-1: भारतीय शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर चल रहे हैं. कोरोना काल के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी या तेजी देखने को मिली है. मार्केट की इस तेजी के साथ लाखों नहीं करोड़ों नए रिटेल निवेशक बाजार से जुड़े हैं. पिछले एक साल में रिकॉर्ड संख्या में एक करोड़ से नए रिटेल निवेशकों ने डिमैट अकाउंट खोले हैं.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 23, 2021, 15:33 IST

Market पाठशाला-1: भारतीय शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर चल रहे हैं. कोरोना काल के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी या तेजी देखने को मिली है. मार्केट की इस तेजी के साथ लाखों नहीं करोड़ों नए रिटेल निवेशक बाजार से जुड़े हैं. पिछले एक साल में रिकॉर्ड संख्या में एक करोड़ से नए रिटेल निवेशकों ने डिमैट अकाउंट खोले हैं.

नए निवेशक बाजार में तो आ गए हैं लेकिन बहुत सारे बेसिक शब्दों का मतलब कम समझते है जबकि इन शब्दों का मार्केट में रोज ब रोज इस्तेमाल होता है. इस कड़ी में आज हम उन कुछ बुनियादी शब्दों का मतलब समझेंगे.

बुल मार्केट (तेजी): अगर किसी को लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा और शेयरों की कीमत बढ़ेगी तो, कहा जाता है कि वो तेजी में है. अगर एक तय समय में बाजार लगातार ऊपर की तरफ जाता रहता है तो कहा जाता है कि बाजार बुल मार्केट में है, या फिर बाज़ार में तेजी का माहौल है.

बेयर मार्केट (मंदी): तेजी के माहौल का ठीक उल्टा मंदी का माहौल होता है. अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में बाजार नीचे की तरफ जाएगा तो कहा जाता है कि आप उस स्टॉक को लेकर बेयरिश (Bearish) हैं. इसी तरह जब एक लंबे समय तक बाजार नीचे की तरफ जा रहा होता है तो कहा जाता है कि बाजार बेयर मार्केट में है.

ट्रेंड: बाजार की दिशा और उस दिशा की ताकत को ट्रेंड कहा जाता है . उदाहरण के लिए, अगर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है तो कहते हैं कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है या अगर बाजार ना उपर जा रहा है ना अधिक नीचे तो उसे “साइडवेज” या दिशाहीन ट्रेंड कहा जाता है.

शेयर की फेस वैल्यू: किसी शेयर की तय कीमत को फेसवैल्यू कहते हैं. इसे कंपनी तय करती है और ये उनके कॉरपोरेट फैसलों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जैसे डिविडेंड देने या स्टॉक स्प्लिट करने के समय कंपनी शेयर की फेस वैल्यू को ही आधार बनाती है. उदाहरण के लिए, अगर इन्फोसिस के शेयर की फेस वैल्यू 5 रूपए है और कंपनी ने 65 रूपए का सालाना डिविडेंड दिया तो इसका मतलब है कि कंपनी ने 1260% डिविडेंड दिया. (65÷5)

52 हफ्तों का बेयर मार्केट क्या है हाई/लो (52 week high/low) : 52 हफ्ते की ऊँचाई का मतलब है कि स्टॉक की पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊंची कीमत. इसी तरह 52 हफ्तों की निचाई मतलब सबसे निचली कीमत 52 हफ्तों में. 52 हफ्तों की ऊँची या नीची कीमत स्टॉक की कीमत का दायरा बताता है. जब कोई स्टॉक अपने 52 हफ्तों की ऊँचाई के करीब होता है तो कई लोग ऐसा मानते हैं कि स्टॉक तेजी में रहने वाला है, इसी तरह जब स्टॉक अपने 52 हफ्ते के बेयर मार्केट क्या है निचले स्तर के करीब होता है तो ऐसा माना जाता है कि स्टॉक मंदी में रहने वाला है.

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क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध

शेयर मार्केट

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

  • बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
  • बियर मार्केट: बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ 'बुल' की तरह, बियर मार्केट का 'बियर' भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर नीचे की दिशा में हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

    बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह बेयर मार्केट क्या है निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

मंदा बाजार

एक भालूबाज़ार कई महीनों या वर्षों का एक चरण है जिसके दौरान प्रतिभूतियों की कीमतें लगातार गिरती हैं। यह उस स्थिति को संदर्भित करता है जहां स्टॉक का मूल्य हाल के उच्च स्तर से 20% या उससे अधिक गिर जाता है। व्यक्तिगत वस्तुओं या प्रतिभूतियों पर विचार किया जा सकता है:मंदा बाजार यदि वे निरंतर अवधि में 20% की गिरावट का बेयर मार्केट क्या है अनुभव करते हैं - आमतौर पर दो महीने या उससे अधिक।

भालू बाजार अक्सर एस एंड पी 500 जैसे समग्र बाजार या सूचकांक में गिरावट के साथ जुड़ा हुआ है। फिर भी, स्वतंत्र प्रतिभूतियों को एक भालू बाजार में भी माना जा सकता है यदि वे निरंतर अवधि में 20% या उससे अधिक गिरावट का अनुभव करते हैं।

Bear Market

कई निवेशक आगे के नुकसान के डर से एक भालू बाजार के दौरान अपने शेयरों को बेचने का विकल्प चुनते हैं, इस प्रकार नकारात्मकता के दुष्चक्र को तोड़ते हैं। भी,निवेश इस चरण में सबसे अनुभवी निवेशकों के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है। यह स्टॉक की कीमतों में गिरावट से चिह्नित अवधि है।

भालू बाजार आमतौर पर व्यापक आर्थिक मंदी के साथ होते हैं, जैसे aमंदी. उनकी तुलना बुल मार्केट से भी की जा सकती है जो ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं।

इसे भालू बाजार क्यों कहा जाता है?

भालू बाजार को इसका नाम इस बात से मिला है कि कैसे एक भालू अपने पंजे को नीचे की ओर स्वाइप करके अपने शिकार का शिकार करता है। इस प्रकार, शेयर की कीमतों में गिरावट वाले बाजारों को भालू बाजार कहा जाता है।

भालू बाजार का क्या कारण है?

एक भालू बाजार तब होता है जब खरीदारों की तुलना में अधिक विक्रेता होते हैं। उदाहरण के लिए, विक्रेता आपूर्ति है, जबकि खरीदार मांग है। इसलिए, जब बाजार में मंदी होती है, विक्रेता संख्या अधिक होती है और खरीदार संख्या तुलनात्मक रूप से कम होती है।

भालू बाजार का कारण बनने वाली कुछ प्रमुख स्थितियां हैं:

  • में तेजी से वृद्धिमुद्रा स्फ़ीति भाव
  • उच्च बेरोजगारी दर
  • एकअर्थव्यवस्था जो मंदी में प्रवेश कर रहा है

भालू बाजार का इतिहास और विवरण

सामान्य तौर पर, स्टॉक की कीमतें भविष्य की अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती हैंनकदी प्रवाह तथाआय व्यवसायों से। अगर विकास की संभावनाएं फीकी पड़ जाती हैं और उम्मीदें टूट जाती हैं तो स्टॉक की कीमतें गिर सकती हैं। लंबे समय तक कमजोर परिसंपत्ति की कीमतें झुंड के व्यवहार, चिंता और प्रतिकूल नुकसान से बचाने के लिए हड़बड़ी के बेयर मार्केट क्या है कारण हो सकती हैं। एक भालू बाजार विभिन्न घटनाओं के कारण हो सकता है, जिसमें एक गरीब, पिछड़ी या सुस्त अर्थव्यवस्था, युद्ध, महामारी, भू-राजनीतिक संकट और महत्वपूर्ण आर्थिक प्रतिमान बदलाव, जैसे कि इंटरनेट अर्थव्यवस्था में बदलाव शामिल हैं।

कम रोजगार, कमजोर उत्पादकता, कम विवेकाधीनआय, और कम कॉर्पोरेट आय कमजोर अर्थव्यवस्था के लक्षण हैं। इसके अलावा, अर्थव्यवस्था में कोई भी सरकारी हस्तक्षेप भी एक भालू बाजार को बंद कर सकता है। इसके अलावा, में परिवर्तनकर दर एक भालू बाजार भी पैदा कर सकता है। इस सूची में निवेशकों के विश्वास में कमी भी शामिल है। निवेशक कार्रवाई करेंगे अगर उन्हें डर है कि कुछ भयानक होने वाला है, इस मामले में, नुकसान से बचने के लिए शेयर बेच रहे हैं।

भारत में बैल और भालू बाजार

एक बैल बाजार तब होता है जब अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, और अधिकांशइक्विटीज मूल्य में वृद्धि हो रही है, जबकि एक भालू बाजार तब होता है जब अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही होती है, और अधिकांश स्टॉक मूल्य खो देते हैं।

भारत में एक बैल और भालू बाजार का उदाहरण:

  • भारतीयोंबॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स ने अप्रैल 2003 से जनवरी 2008 तक एक बुल मार्केट देखा, जो 2,900 से 21 तक चढ़ गया,000 अंक
  • भारत में भालू बाजारों में 1992 और 1994 के शेयर बाजार में गिरावट, 2000 की डॉट-कॉम दुर्घटना और 2008 की वित्तीय मंदी शामिल हैं।

एक भालू बाजार के चरण

भालू बाजार आमतौर पर चार चरणों से गुजरते हैं।

  • उच्च मूल्य निर्धारण और सकारात्मकइन्वेस्टर आशावाद पहले चरण की विशेषता है। निवेशक इस चरण के अंत में बाजार से बाहर निकलना शुरू कर देते हैं और मुनाफा हड़प लेते हैं
  • दूसरे चरण में, स्टॉक की कीमतों में काफी गिरावट शुरू हो जाती है, व्यापारिक गतिविधि और कॉर्पोरेट लाभ में गिरावट आती है, और पहले के आशावादी आर्थिक संकेतक बिगड़ते हैं
  • सट्टेबाजों ने तीसरे चरण में बाजार में प्रवेश करना शुरू कर दिया, जिससे कुछ कीमतों और व्यापार की मात्रा बढ़ गई
  • चौथे और अंतिम चरण में स्टॉक की कीमतों में गिरावट जारी है लेकिन धीरे-धीरे। कम कीमतों और आशावादी समाचारों ने निवेशकों को फिर से आकर्षित करने के रूप में भालू बाजार बुल बाजारों को रास्ता दिया

बेयर मार्केट की शॉर्ट सेलिंग

शॉर्ट सेलिंग से निवेशकों को घटिया बाजार में मुनाफा होता है। इस रणनीति में उधार के शेयरों को बेचना और उन्हें कम कीमत पर खरीदना शामिल है। यह एक उच्च जोखिम वाला व्यापार है जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है यदि यह अच्छी तरह से बाहर नहीं निकलता है।

शॉर्ट सेल ऑर्डर देने से पहले, विक्रेता को ब्रोकर से शेयर उधार लेना चाहिए। जिस मूल्य पर शेयर बेचे जाते हैं और जिस पर उन्हें वापस खरीदा जाता है, उसे "कवर" कहा जाता है, यह एक लघु विक्रेता का लाभ और हानि राशि है।

भालू बाजार उदाहरण

डाउ जोंस का औसतउद्योग 11 मार्च 2020 को एक भालू बाजार में चला गया, जबकि S&P 500 12 मार्च 2020 को एक भालू बाजार में चला गया। यह सूचकांक के इतिहास के सबसे बड़े बैल बाजार के बाद आया, जो मार्च 2009 में शुरू हुआ था।

COVID-19 महामारी का प्रकोप, जो बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लाया और उपभोक्ता मांग में कमी की संभावना ने स्टॉक को कम कर दिया। डाउ जोंस कुछ ही हफ्तों में 30,000 से ऊपर के सर्वकालिक उच्च से तेजी से गिरकर 19,000 से नीचे आ गया। 19 फरवरी से 23 मार्च तक एसएंडपी 500 34% गिर गया।

अन्य उदाहरणों में मार्च 2000 में डॉट कॉम बुलबुला फटने का परिणाम शामिल है, जिसने एसएंडपी 500 के मूल्य का लगभग 49% मिटा दिया और अक्टूबर 2002 तक चला। ग्रेट डिप्रेशन 28-29 अक्टूबर, 1929 को शेयर बाजार के पतन के साथ शुरू हुआ।

निष्कर्ष

भालू बाजार कई वर्षों या केवल कुछ हफ्तों तक चल सकता है। एक धर्मनिरपेक्ष भालू बाजार दस से बीस साल तक चल सकता है और इसे लगातार कम रिटर्न से परिभाषित किया जाता है। धर्मनिरपेक्ष खराब बाजारों में, ऐसी रैलियां होती हैं जिनमें स्टॉक या इंडेक्स कुछ समय के लिए बढ़ते हैं; हालांकि, लाभ कायम नहीं है, और कीमतें निचले स्तरों पर पीछे हट जाती हैं। इसके विपरीत, एक चक्रीय भालू बाजार कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक कहीं भी चल सकता है।

Bull and Bear Market in Hindi

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब क्या हैं? प्रश्न यह है कि शेयर बाजार में बैल और भालू का क्‍या सम्‍बन्‍ध है? क्यों शेयर बाजार के समाचारों के साथ बुल और बेयर को भी चित्रित किया जाता है? Understanding what is Bull and Bear Market in Hindi.

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

Bull and Bear market In Hindi

शेयर बाजार में Bull and Bear का मतलब। शेयर बाजार की अपनी एक भाषा होती है। जो लोग यह सोचते हैं कि बाजार तेजी के रुख में रहेगा तो लाभ की आशा में वे और शेयर खरीदना चाहते हैं इसीलिये उन्हें तेजड़िये कहते हैं। जो सोचते हैं कि बाजार में कीमतें गिरेंगी वे शेयरों को बेचना चाहते हैं तो उन्हें कहते हैं मदड़िये। इन्ही तेजड़ियों को बाजार में Bulls यानी बैल कहा जाता है तथा मंदड़ियों को Bear यानी भालू।

Bull and Bear Market in Hindi – यानी तेजड़िया और मंदड़िया

इसी लिये जब भी बाजार में तेजी आती है तो अगले दिन सेंसेक्स के ग्राफ के साथ बैल को चित्रित किया जाता है और जब बाजार तेजी से गिरते हैं तो भालू का चित्र दिखाया जाता है। शेयर बाजार का सारा खेल शेयर खरीदने और बेचने वालों के बीच ही होता है. खरीदने वाला Bull यानि बैल और बेचने वाला Bear यानी भालू. तो यह होता है शेयरबाजार में Bull and Bear का मतलब.

Bull and Bear Market in Hindi – जानवरों के स्वभाव पर आधारित

मान्यता है कि यह नाम इस जानवरों के हमला करने के तरीके से पड़ा। जब भी बैल हमला करता है तो अपने शिकार को नीचे से उठा कर उछाल देता है जबकि भालू अपने शिकार को हमेशा पंजों से नीचे की ओर दबाता है। कुछ ऐसा ही व्यवहार बाजार में तेजड़िए और मदड़िये भी करते हैं. इसीलिए इन जानवरों से बाजार के इन खिलाडियों की पहचान बनी.

प्रतीकात्मक

जब शेयर बाजार में तेजी होती है और बाजार के सूचकांक ऊपर जा रहे होते हैं तो उसे बुल्लिश मार्किट कहते हैं. जब बाजार के सूचकांक गिर रहे होतें हैं तो उसे बेयरिश मार्किट कहते हैं. भारत के शेयर बाजारों में मुख्यत दो सूचकांक हैं सेंसेक्स और निफ्टी. बैल जहां शक्ति का प्रतीक है वहीँ लापरवाही का भी प्रतीक है.

Bull Market की पहचान

बुल्लिश मार्किट में कमजोर शेयर भी अनाप शनाप में ऊंची ऊंची कीमतों तक पहुँच जाते हैं. बाजार में ऐसा माहोल बन जाता है कि कई घटिया शेयर भी बहुत महंगे हो जाते हैं. बाजार में नए नए निवेशक पहुँचने लग जाते हैं. बाज़ार अविश्वसनीय स्तर तक पहुँचने लगते हैं। हर तरफ लालच का माहौल बन जाता है।

Bear Market की पहचान

इसके विपरीत बेयरिश मार्किट में हर तरफ ख़ामोशी और निराशा छा जाती है. बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे होते हैं मगर कोई उन्हें पूछता भी नहीं है. निराशा के कारण कोई खरीददार नहीं मिलता. बाजार से निवेशक गायब हो जाते हैं. लोग पैसा लगाना नहीं चाहते। डर का माहौल बन जाता है।

Bull and Bear हैं इस बाजार की पहचान

तो इस प्रकार शेयर बाजार हमेशा निवेशकों के डर और लालच पर चलता है। बाज़ार हमेशा या तो मंदी में रहेगा या तेज़ी में। कभी कभी तेजी के बाज़ार में छोटे छोटे मंदी के दौर आते हैं तो कभी मंदी के दौर में छोटे छोटे तेज़ी के दौर आते हैं। बहुत लंबे समय में बाजार तेज ही रहता है।

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