विदेशी मुद्रा व्यापार के प्रकार

आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए इस आधार को खारिज करते हुए कि उसका लाभ कम हो जाएगा, क्योंकि वह केवल एक खुदरा विक्रेता है, पीठ ने कहा,
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार, क्या हैं इसके मायने ?
कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंकनोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए. हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता है. यह व्यापक आंकड़ा अधिक आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इसे आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय भंडार या अंतर्राष्ट्रीय भंडार कहा विदेशी मुद्रा व्यापार के प्रकार जाता है.
विदेशी मुद्रा भंडार को आमतौर पर किसी देश के अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. आमतौर पर, जब किसी देश के मौद्रिक प्राधिकरण पर किसी प्रकार का दायित्व होता है, तो उसे अन्य श्रेणियों जैसे कि अन्य निवेशों में शामिल किया जाएगा. सेंट्रल बैंक की बैलेंस शीट में, घरेलू ऋण के साथ विदेशी मुद्रा भंडार संपत्ति है.
'कैंसर का इलाज अमीर और गरीब के लिए समान रूप से वहन करने योग्य होना चाहिए': कर्नाटक हाईकोर्ट ने कैंसर रोधी 42 दवाओं के ट्रेड मार्जिन पर 30% की सीमा बरकरार रखी
"भारत में कैंसर रोगियों को भारी खर्च करना पड़ता है और कैंसर की दवाओं को कुछ हद तक सस्ती करने की आवश्यकता है ताकि अमीर और गरीब दोनों समान से कैंसर के इलाज करा सके। यदि ऐसी नीति प्रख्यापित नहीं की जाती है तो गरीब या गरीब मध्यम वर्ग, जो इस देश की अधिकांश आबादी का निर्माण करता है, उसको उच्च कीमतों के कारण इस बीमारी के शिकार होते देखा जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप निर्माताओं ने इसकी अप्रभाविता का अनुमान लगाया है।"
याचिकाकर्ता ने देश भर में 20 व्यापक देखभाल केंद्रों के साथ कैंसर देखभाल का सबसे बड़ा प्रदाता होने का दावा किया। इसने तर्क दिया कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण, जिसने अधिसूचना जारी की, मूल्य नियंत्रण आदेश के तहत गैर-अनुसूचित फॉर्मूलेशन (कैंसर रोधी दवाओं) की अधिकतम कीमत या खुदरा मूल्य (Retail Price) तय करने के लिए अधिकृत नहीं है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार, जानें इसके 5 फायदे
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में रिकॉर्ड निवेश से विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सुस्त पड़ी भारतीय इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है। आइए जानते हैं मुद्रा भंडार बढ़ने के मायने।
विदेशी मुद्रा भंडार के पांच बड़े फायदे
1. विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेते होता है। साल 1991 में देश को सिर्फ 40 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च विदेशी मुद्रा व्यापार के प्रकार का बोझ उठाया जा सकता है।
2. बड़ा विदेशी मुद्रा रखने वाला देश विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
3. सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके साथ कच्चा तेल, दूसरी जरूरी सामान की आयत में बढ़ा नहीं आती है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र को उभारने का प्रयास
इस साल अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस.ई.जैड.) अधिनियम को एक नए कानून से बदला जाएगा जो राज्य को उद्यम और सेवा केंद्रों विदेशी मुद्रा व्यापार के प्रकार के विकास (डी.ई.एस.एच.) में भागीदार बनने में सक्षम बनाएगा और वह ये सभी मौजूदा और नए औद्योगिक परिक्षेत्र को कवर करेगा ताकि उपलब्ध बुनियादी ढांचे का बेहतर ढंग से उपयोग किया जा सके और निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई जा सके। अब वाणिज्य मंत्रालय ने डी.ई.एस.एच. विधेयक का मसौदा एस.ई.जैड. ईकाइयों और एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा है। देश बिल आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
अनिवार्य रूप से मसौदा डी.ई.एस.एच. विधेयक एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स और एस.ई.जैड. इकाइयों को उनके व्यावसायिक निर्णयों के परिणामों से उभारने का प्रयास करता है जो गलत हो गए हैं और निर्यात प्रदर्शन से कर रियायतों को अलग करते हैं। उक्त विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह सुझाव दिया जा सके कि यह निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योगदान देगा। कुछ एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स विशेष रूप से जो सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) क्षेत्र में इकाइयों के लिए उपयुक्त सुविधाओं का निर्माण करते हैं, ने एस.ई.जैड. इकाइयों की स्थापना करने वाले उद्यमियों की मांग से कहीं अधिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। इससे न केवल उनके द्वारा अनुमानित मांग पूरी नहीं हुई बल्कि कुछ स्थापित एस.ई.जैड. इकाइयों ने एस.ई.जैड. को छोड़ कर घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डी.टी.ए.) में जाने का विकल्प चुना।
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