बाज़ार पर नज़र

फिर लौट आई पवित्र रमज़ान की रौनक़, लज़ीज़ सिवइयों से गुलज़ार हुए राजधानी के बाज़ार
रमज़ान की रौनक़ एक बार फिर ज़मीं पर लौटने लगी है. दिल्ली समेत देश के तमाम बाज़ार लंबे अर्से बाद फिर गुलज़ार हो रहे हैं. बाज़ारों में ख़ास तौर से ख़जूरें और तरह-तरह की सिवइयों की बहार सी आ गई है. लोग रमज़ान की ज़रूरी ख़रीदारी करते नज़र आ रहे हैं. दिल्ली के जामा मस्जिद स्थित बाज़ार में ख़ूब रौनक देखने को मिली.
नई दिल्ली : रमज़ान की रौनक एक बार फिर जमीं पर लौटने लगी है. दिल्ली समेत देश के तमाम बाजार लंबे अर्से बाद फिर गुलजार हो रहे हैं. बाजारों में खास तौर से खजूरें और तरह-तरह की सिवइयों की बहार सी आ गई है. लोग रमज़ान की जरूरी खरीदारी करते नजर आ रहे हैं. दिल्ली के जामा मस्जिद स्थित बाजार में खूब रौनक देखने को मिली.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक आज शाम रमज़ान का चांद नज़र आ गया है. अगर आज चांद दिख गया, लिहाज़ा कल यानी इतवार से रोज़े रखे जाएंगे, जबकि नमाज़-ए-तरावीह का एहतेमाम आज एशा के बाद शुरू हो जाएगा. जो ईद का चांद देखने के बाद ख़त्म होगा. पूरे रमज़ान मुसलमान अल्लाह के नाम पर रोजे रखते हैं और इबादत करते हैं.
इस पाकीजा महीने में अल्लाह अपने बंदों के तमाम गुनाहों को बख़्श देता है. अल्लाह के बंदे नमाज़-ए-एशा के बाद तरावीह की नमाज़ में पूरे महीने क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करते हैं. रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत होते ही हर ओर रौनक नज़र आने लगती है.
करीब दो साल के लंबे अर्से के बाद दिल्ली के बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. कोरोनाकाल में दो साल तक पाबंदियों के बीच रमज़ान और ईद मनाई गई. इस दौरान बाजारों से रौनक गायब थी, क्योंकि लॉकडाउन के चलते सारा कामकाद ठप था. बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ था. दो साल के बाद इस बार रमजान में बाजार गुलजार होने लगे हैं. दुकानदारों को इश बार खासी उम्मीदें हैं. दुकानों को अच्छी तरह से सजाया गया है.
जामा मस्जिद के बाजार में खजूर व सेवइयों की दुकानें सज गई हैं. रमजान में रोजेदार ख़जूरें खाकर रोज़ा ख़ोलते हैं. सेवइयां और फ़ेनी सहरी के वक्त खाते हैं. बाज़ारों में तरह-तरह की सेवइयां और फेनी के साथ ही खजला देखने को मिल रही है. शनिवार को बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ देखने को मिली. बनारसी सेवइयों का ख़ासा क्रेज़ देखा जा रहा है. बारीक़ और ज़ायक़ेदार सेवइयों की डिमांड रमज़ान के दिनों में बढ़ जाती है.
जामा मस्जिद बाज़ार के एक सेवई कारोबारी ने बताया कि दो साल बाज़ार पर नज़र के बाद बाजार में रौनक आई है. बीते दो साल रमज़ान और तमाम त्योहार पाबंदियों और लॉकडाउन के बीच मनाए गए. रमज़ान के साथ एक बार फिर त्योहारों की रौनक लौट आई है. इससे कारोबारियों को भी इस बार काफी उम्मीदें हैं.
जामा मस्जिद मार्केट राजधानी की सबसे पुरानी मार्केट है. यह मार्केट कभी बंद नहीं होती है. रमज़ान के महीने में चौबीसों घंटे यहां लोगों की आमद होती है. यहां के कई कारोबारी बड़े पैमाने पर सिवइयां एक्सपोर्ट करते हैं. जिससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद मिलती है.
आर्थिक रिश्ते बिगड़े तो भारत ही नहीं, चीन को भी होगा बहुत बड़ा नुक़सान
सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें
गलवान घाटी में भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच झड़प और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर से सेना व सैनिक साजो-सामान के लगातार बढ़ बाज़ार पर नज़र रहे जमावड़े के बीच दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते भी तनाव में आ चुके हैं।
भारत में सत्तारूढ़ दल बीजेपी से जुड़े संगठन चीनी उत्पादों के बायकॉट की अपील कर रहे हैं तो स्वयं प्रधानमंत्री बार-बार 'लोकल पर वोकल' होने की बात कह रहे हैं। सीमा के उस पार भी इस पर चिंता है। चीन भी इससे परेशान दिख रहा है।
क्या मानना है चीन का
चीनी सरकार के अख़बार 'ग्लोबल टाइम्स' ने अपने संपादकीय में सवाल उठाया है कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था 'बायकॉट चीन' अभियान को झेल पाएगी
इस लंबे लेख में भारत को डराने की कोशिश की गई है और कहा गया है कि आर्थिक मुद्दे पर चीन से टकराना वैसा ही है जैसे कि अंडे का चट्टान पर गिरना।
इस संपादकीय में इस बात को बहुत ही सुविधाजनक तरीके से गायब कर दिया गया है कि ऐसा होने से ख़ुद चीनी अर्थव्यवस्था को कितना नुक़सान होगा।
फ़ायदा भी, नुक़सान भी
दरअसल इस 'ग्लोबल विलेज' में सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक-दूसरे बाज़ार पर नज़र पर निर्भर हैं, कोई अपने आप को पूरी दुनिया से काट कर नहीं रख सकता। लिहाज़ा, सबको फायदा है तो नुक़सान भी सबको है, अंतर सर्फ बाज़ार पर नज़र यह है कि किसी को कम तो किसी को ज़्यादा नुक़सान है।
भारत-चीन आर्थिक व्यापारिक रिश्तों में भी यही हाल है, नुक़सान दोनों देशों को होगा, भारत को शायद अधिक नुक़सान हो क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था अभी भी बहुत मजबूत नहीं है और कई मामलों में चीन पर निर्भर है।
नुक़सान चीन को भी होगा क्योंकि उसके उत्पादों को इतना बड़ा बाज़ार नहीं मिलेगा। वह नया बाज़ार खोज ले सकता है, पर तब तक उसे बहुत नुक़सान हो चुका होगा।
हम इसे हर क्षेत्र में अलग से समझने की कोशिश करते हैं।
दवा उद्योग
ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत का दवा उद्योग चीन पर निर्भर है। भारत जितने बड़े पैमाने पर दवाओं का आयात करता है, उसका 68 प्रतिशत चीन से लेता है। इसने ये बात चाइना फार्मास्यूटिकल इंटरप्राइज़ेज एसोसिएशन के उप निदेशक वांग जूगांग के हवाले से कहा है कि चीन पर निर्भरता ख़त्म करने में भारत को कई साल लगेंगे।
लेकिन ग्लोबल टाइम्स के इसी लेख पर भरोसा किया जाए तो चीन का दवा उद्योग अपने निर्यात का 17 प्रतिशत उत्पाद भारत को भेजता है। पिछले साल चीन ने 5.65 अरब डॉलर का एपीआई यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट भारत को निर्यात किया। एपीआई वह चीज है जिससे कोई दवा बनाई जाती है।
अब सवाल यह है कि एक साल में 5.65 अरब डॉलर का नुक़सान चीनी दवा कंपनियाँ उठाने को तैयार हैं इसके अलावा विटामिन, हार्मोनल ड्रग्स और दूसरे इंटरमीडिएट भी भारत चीन से आयात करता है।
स्टार्ट अप्स
चीन की 75 से ज़्यादा कंपनियों ने भारत के स्टार्ट अप्स में अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है। ये कंपनियां ई-कॉमर्स, फिनटेक, सोशल मीडियाा, लॉजिस्टिक्स और दूसरे कई क्षेत्रों में काम करती हैं। भारत में पैसे लगाने वाली चीनी कंपनियों में अलीबाबा, बाइटडान्स, टैन्सेंट जैसी कंपनियाँ प्रमुख हैं। चीनी कंपनियों ने पेटीएम, बाइजू, बाज़ार पर नज़र ओला, ओयो, बिग बास्केट, ज़ोमैटो जैसी 92 कंपनियों में पैसे लगा रखा है।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन कंपनियों के हित भारत में सुरक्षित हैं और बाज़ार पर नज़र वे यहां कमाई कर रही हैं। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। चीनी कंपनी बाइटडान्स के वीडियो प्लैटफार्म टिक टॉक के 20 करोड़ सब्सक्राइबर भारत में हो गए। बहुत ही कम समय में यह यूट्यूब से आगे निकल गया।
ऑनलाइन उद्योग के बाज़ार और ट्रेंड पर नज़र रखने वाले रिचर्ड मा ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि भारत की स्थिति वैसी ही है, जैसी पहले चीन की थी। उसके पास बहुत बड़ा उपभोक्ता आधार है और बहुत बड़ी जनसंख्या का फ़ायदा है।
बीते कुछ सालों में 6 अरब डॉलर का निवेश इन कंपनियों ने भारतीय स्टार्ट अप्स में किया है। भारत के साथ रिश्ते खराब होने पर ये पैसे फँस जाएंगे और वे कंपनियां ऐसा नहीं चाहेंगी।
ऑटो पार्ट्स
इसी तरह ऑटो पार्ट्स के बाज़ार पर भी चीन की पकड़ है और भारत बाज़ार पर नज़र उसका बहुत बड़ा बाज़ार है। इसे इससे समझा जा सकता है कि 2018 में चीनी कंपनियों ने 4.30 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स भारत को निर्यात किया। चीन इतना बड़ा बाज़ार नहीं छोड़ना चाहेगा।
स्मार्ट फ़ोन
स्मार्ट फ़ोन बनाने वाली चीनी कंपनियों का बहुत बड़ा बाज़ार भारत है। भारत में जितने मोबाइल हैं, वे सारे किसी न किसी रूप में चीन से जुड़े हुए हैं। जो यहाँ बनते हैं उनके 67 प्रतिशत पार्ट चीनी होते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारत में इन चीनी कंपनियों का सालाना लगभग 2 लाख करोड़ रुपए कारोबार होता है। यदि भारत का बाज़ार चीन के हाथ से निकला तो चीनी कंपनियों को जबरदस्त नुक़सान होगा, जो वे कतई नहीं चाहेंगी।
दूरसंचार उपकरण
भारत का दूरसंचार उपकरण बाज़ार चीन के नियंत्रण में है। लगभग 12 हज़ार करोड़ रुपए के इस बाज़ार के लगभग 25 प्रतिशत हिस्से पर चीनी कंपनियां काबिज हैं। यानी, चीनी दूरसंचार कंपनियों का हर साल भारत को निर्यात लगभग 3000 करोड़ रुपए का है।
टेलीविज़न
भारत में टेलीविज़न का बाज़ार 25 हज़ार करोड़ रुपए का है। इसमें दो सेगमेंट हैं- स्मार्ट टीवी और सामान्य पारंपरिक टीवी। स्मार्ट टीवी सेगमेंट के 43 प्रतिशत हिस्से पर चीनी कंपनियों का अधिकार है। सामान्य टीवी बाज़ार के 8 प्रतिशत बाजार पर इसका अधिकार है। बदलते हुए समय में भाारत का उपभोक्ता तेजी से स्मार्ट टीवी की ओर बढ़ रहा है।
बाजार का यह आकार बढ़ता जाएगा और उसमें चीनी कंपनियों का कारोबार भी बढ़ता जाएगा। चीनी कंपनियाँ यह मौका हाथ से जाने देंगी, सवाल यह है।
घरेलू सामान
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारत में घरेलू उपभोक्ता उपकरण का बाज़ार सालाना 50 हज़ार करोड़ रुपए का है। इसके लगभग 12 प्रतिशत हिस्से पर चीनी कंपनियों का अधिकार है। यानी लगभग 6,000 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार चीनी कंपनियां कर लेती हैं।
सौर ऊर्जा
भारत में सौर ऊर्जा का चलन बढ़ रहा है और इसे भविष्य में बहुत बड़े बाज़ार के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल यहां 37,916 मेगावाट सौर ऊर्जा की खपत है। इसका 90 प्रतिशत हिस्सा चीनी कंपनियों के उपकरणों से मिलता है। लेकिन जिस तरह कोयला और उससे होने वाले प्रदूषण के ख़िलाफ़ वातावरण बन रहा है, सौर ऊर्जा की माँग और खपत बढ़ेगी। इस बड़े बाज़ार पर चीन की नज़र है।
यह बात बहुत ही साफ़ है कि चीन और भारत दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं। चीनी उत्पाद भारत आयात करता है तो इसके बल पर इसके उद्योग चलते हैं। लेकिन चीन को भी इस निर्यात की ज़रूरत है और उसके उद्योगों को भारत को होने वाले निर्यात से बल मिलता है।
ऐसे में चीन का यह कहना कि भारत को नुक़सान होगा, आधा सच ही है। चीन ख़ुद इस नुक़सान की चपेट में आएगा।अब चीन को यह फ़ैसला करना है कि वह इतना बड़ा बाज़ार अपने हाथ से निकलने देगा या इसे सुधारने की कोशिश करेगा।
फतहसागर में जल्द शुरू हो सकती है बोटिंग, लौटेगी पर्यटकों की रौनक
बोटिंग बंद होने से फतहसागर पर दिनभर रहता है सन्नाटा
उदयपुर 11 अक्टूबर 2022 । लेकसिटी में टूरिस्ट से गुलज़ार रहने वाली फतहसागर झील में जल्द ही फिर से बोटिंग शुरु हो सकती है। हाल ही में टूरिस्ट सीजन शुरु होने वाला है ऐसे में आने वाले पर्यटकों के लिए बोटिंग शुरु कर दने की संभावना जताई जा रही हैं।
बोट संचालको का कहना है कि हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि राजस्व और टूरिज्म की भावना को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया हैं कि पूर्व की भांति बोट का संचालन चालू रखा जाएगा।
आला अधिकारियो ने बोटिंग शुरु करने के सबंध में बताया की उन्हें फिलहाल अभी पत्रावली में जानकारी मिली हैं। इस सबंध में कल कोई निर्णय लिया जा सकता है। बोटिंग शुरु करने को लेकर कल मिटिंग रखी जाएगी जिसमें फैसला लिया जाएगा।
मुंबइया बाज़ार में फिर से दिखेगी पर्यटकों की चहल पहल
फतहसागर में बोटिंग बंद होने के बाद इसका सीधा असर मुंबइया बाज़ार पर नज़र आया है। फतहसागर पर रोज़ाना 1000 से अधिक पर्यटक बोटिंग करते हैं ऐसे में बोटिंग बंद होने से बाज़ार में पर्यटकों की चहल पहल ही बंद हो गई है। व्यापारियों का कहना था कि त्यौहारी सीजन में बोटिंग बंद होने के बाद बाज़ार में सन्नाटा हो गया हैं। लेकिन उम्मीद है कि जल्द बोटिंग शुुरु होने से बाज़ार में पर्यटकों की रौनक नज़र आएगी।
बता दे कि हाईकोर्ट ने 6 माह पहले कोर्ट ने पिछोला और फतहसागर में डीजल-पेट्रोल वाली नावों को 6 माह में बाहर करने के आदेश दिए थे। यह मियाद 30 सितंबर 2022 को पूरी हो गई थी और अगले दिन 1 अक्टूबर से कोर्ट की पालना में यूआईटी ने फतहसागर पर नाव संचालन बंद करवा दिया था।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | WhatsApp | Telegram | Signal
शेयर बाजार चमके, देखी गई ज़ोरदार उछाल
ये ज़रूरी नहीं कि शेयर बाजार पर दिल्ली चुनावों का असर पड़ा हो लेकिन समय वही है जब दिल्ली चुनाव के परिणाम आने के साथ ही शेयर बाजार खुश दिखाई दिए और उसमें जोरदार तेजी सेंसेक्स और निफ्टी दोनों के स्तरों पर नज़र आई.
- सेक्स में 400 और निफ्टी में 120 अंकों की उछाल
- BSE के 30 शेयरों को धारण करने वाला मह
- तेल की कीमतों में गिरावट का असर
- चौतरफा खरीदारी शुरू हुई
ट्रेंडिंग तस्वीरें
नई दिल्ली. कोई कहे कि दिल्ली चुनावों से शेयर बाज़ार को बढ़त मिली है तो ऐसा कुछ नहीं है. इसके दूसरे कई कारण हैं जो शेयर बाज़ार के सेंसिटिव इंडेक्स में उछाल ला रहे हैं. और इन सभी महत्वपूर्ण कारणों के सामने दिल्ली के चुनाव का महत्व कुछ भी नहीं है. हां समय अवश्य दोनों ही घटनाओं का एक ही है जो कि हैरानी की बात है.
सेंसेक्स में 400 और निफ्टी में 120 अंकों की उछाल
BSE के 30 शेयरों को धारण करने वाला महत्वपूर्ण सेंसिटिव इंडेक्स याने कि सेंसेक्स 400 अंक बढ़कर 41,445 तक पहुंच गया है और दूसरी तरफ NSE का 50 शेयरों को धारण करने वाला इंडेक्स निफ्टी 120 अंक बढ़ लकर 12,150 के स्तर पर पहुंच गया है.
तेल की कीमतों में गिरावट का असर
शेयर बाजार की उछाल का कारण देशी नहीं विदेशी है. च्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लौटी खरीदारी के कारण भी घरेलू शेयर बाजार को जोरदार बढ़त मिली है. स्टॉक मार्किट लाइव अर्थात सेंसेक्स 400 अंक बाज़ार पर नज़र और निफ्टी 120 अंक से ज्यादा उछल गया है.
चौतरफा खरीदारी शुरू हुई
नया माहौल सेंसेक्स के लिए बहुत आशाजनक है. कारोबार में चौतरफा खरीदारी शुरू हो गई है. निफ्टी के ऑटो इंडेक्स में 0.81 प्रतिशत, आईटी इंडेक्स में 0.41 प्रतिशत, एफएमसीजी इंडेक्स में 1.04 प्रतिशत, मेटल इंडेक्स में 0.99 प्रतिशत, फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स में 0.58 प्रतिशत की उछाल दिखाई दे रही है. बैंकिंग शेयरों में भी बढ़त खासी नज़र आ रही है और इस कारण बैंक निफ्टी 0.72 फीसदी की बढ़त के साथ 31,280 के करीब कारोबार करता दिख रहा है.
अंबानी के ऐंकर ने लूटा बाज़ार, सेबी ने धर लिया!
बहुत से लोग बिज़नेस चैनलों को देखकर शेयर बाज़ार में पैसे लगाते हैं। शेयर बाज़ार पर शो करने वाला ऐंकर और विशेषज्ञ उनकी नज़र में बाज़ार के बड़े जानकार होते हैं, लेकिन उन्हें यह जानकर कैसा लगेगा कि जिनकी सलाह पर वे शेयर ख़रीद रहे हैं, वे दरअसल अपने शेयर को बढ़ाने की फ़िराक़ में हैं। सीएनबीसी आवाज़ जैसे मशहूर बिज़नेस चैनल का ऐंकर हेमंत घई यही करता था। शेयर बाज़ार के कारोबार पर नज़र रखने वाले सिक्योरिटीज़ ऐंड एक्सचेंज बोर्ड यानी सेबी ने उसके और उसके परिजनों के शेयर ख़रीदने बेचने पर बैन लगा दिया है। साख के बड़े संकट को देखते हुए चैनल ने भी उसे नौकरी से बरख़ास्त कर दिया है।
मामला बड़ा दिलचस्प है। ऐंकर हेमंत घई अपने और अपनी पत्नी तथा माँ के नाम से किसी कंपनी के शेयर ख़रीदता था और फिर अपने शो में उसी कंपनी के भविष्य को सुनहरा बनाकर पेश करता था। यानी लोगों को उस कंपनी के शेयर ख़रीदने की सलाह देता था। नतीजा ये होता था कई लोग उस कंपनी के शेयर ख़रीदने लगते थे। स्वाभाविक था कि कंपनी का शेयर चढ़ता था और फिर ऐंकर अपने शेयर बेचकर बढ़िया मुनाफ़ा कमा लेता था। ऐसा करते हुए उसने करीब तीन करोड़ रुपये कमा लिये।
हेमंत घई स्टॉक 2020 नाम का शो होस्ट करता था। सेबी ने जाँच में पाया कि कुछ सालों में हेमंत और उसकी पत्नी जया और माँ श्याम मोहिनी के नाम से ऐसे तमाम शेयर ख़रीदे गये जिनके बारे में अगले दिन इस शो काफी अच्छी बातें की गयीं और लोगों को ख़रीदेन के लिए प्रेरित किया गया। सेबी ने इस धोखाधड़ी से कमाई गयी 2.95 करोड़ रुपये के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है।
सेबी की कार्वाई को देखते हुए सीएनबीसी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मुकेश अंबानी की कंपनी नेटवर्क 18 इस चैनल की प्रमोटर है। चैनल ने हेमंत घई को नौकीर से निकाल दिया है।