मूल्य सीमा

घोषित मूल्य सीमा के साथ सरकार सार्वजनिक ने वितरण प्रणाली के तहत लक्षित सब्सिडियां देने की बात कही है। सरकार का मानना है कि इसके तहत वैसे किसान जिन्हें अपनी बुआई पध्दति की योजना बनाने के लिए निश्चित मूल्य व्यवस्था की जरूरत होती है के साथ निम्न आय मूल्य सीमा के परिवारों के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा।
मूल्य सीमा
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गरीबी रेखा की गणना कैसे की जात .
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित एक मूल्य सीमा के तहत मूल्य सीमा एक व्यक्ति की आय किसी व्यक्ति की एक दिन की आय 50 रुपये से कम हो ना देश में सभी व्यक्तियों की आय औसत एक हो एक परिवार की एक दिन की आय 100 रुपये से कम हो
Solution : भारत में गरीबी रेखा .न्यूनतम आय. को परिभाषित करती है, इस न्यून आय से कम आय अर्जित करने वाले परिवारों को गरीब माना जाता है। र -तेंदुलकर समिति ने 2011 में भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत और यातायात .मासिक व्यय के आधार पर गरीबी रेखा को परिभाषित किया। इस अनुमान अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में ₹27.2 और शहरी क्षेत्रों में ₹33.3 प्रतिदिन से। व्यय करने वाले व्यक्ति को गरीबी रेखा से नीचे के रूप में परिभाषित नि गया है। वर्ष 2015 में गरीबी के मुद्दे पर नीति के तत्कालीन उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में गठित आयोग ने तेंदुलकर समिति द्वारा तय मानको को ही आधार माना है। इस प्रकार वर्तमान में भारत में गरीबी मापने के लिए तेंदुलकर विधि का ही प्रयोग किया जाता है।
Russian oil price cap: रूसी तेल पर मूल्य सीमा को लेकर दबाव में नहीं है मोदी सरकार- केंद्रीय मंत्री
आगामी 5 दिसंबर से G-7 के सदस्य देशों द्वारा प्रस्तावित रूसी कच्चे तेल पर मूल्य लागू किए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा जब ऐसा होगा तब देखेंगे। मोदी सरकार इसे लेकर किसी तरह का दबाव महसूस नहीं कर रही है।
ग्रेटर नोएडा, एजेंसी। केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने कहा है कि मूल्य सीमा मौजूदा सरकार सात उन्नत देशों के समूह 'G-7' द्वारा प्रस्तावित रूसी कच्चे तेल (Russian crude oil) पर मूल्य सीमा को लेकर किसी तरह के दबाव में नहीं है।
आगामी 5 दिसंबर से G-7 के सदस्य देशों द्वारा प्रस्तावित रूसी कच्चे तेल पर मूल्य लागू किए जाने को लेकर पूछे गए मूल्य सीमा एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, ' मूल्य सीमा जब ऐसा होगा तब देखेंगे। मोदी सरकार इसे लेकर किसी तरह का दबाव महसूस नहीं कर रही है। मुझे भय या बेचैनी नहीं है। यदि ऐसा होता है तो लाजिस्टिक्स से मार्केट निपटेगा।
World LPG Week 2022
ग्रेटर नोएडा में आयोजित वर्ल्ड मूल्य सीमा एलपीजी वीक 2022 (World LPG Week 2022) के मौके पर आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत की। 2 सितंबर को G7 देशों ने आय के सबसे बड़े स्रोत को सीमित करने के लिए रूस से निर्यात किए जाने वाले तेल की मूल्य सीमा लागू करने पर सहमति दी थी।
G7 मूल्य सीमा के फैसले के अनुसार, शिपिंग व बीमा जैसे ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं को रूस से तेल निर्यात पर लागू किया जाएगा। पिछले महीने वाशिंगटन में अमेरिका के ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद पुरी ने बयान दिया था कि भारत सरकार का अपनी जनता के प्रति नैतिक कर्तव्य है कि उन्हें ऊर्जा उपलब्ध कराई जाए और यह तेल खरीदना जारी रखेगा, चाहें कहीं से भी सौदा करना पड़े।
रूस के तेल की मूल्य सीमा तय करने पर बोले पेट्रोलियम मंत्री, दबाव में नहीं भारत सरकार
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Nov 17, 2022 | 12:51 PM
दुनिया के विकसित देशों के द्वारा रूस के तेल की मूल्य सीमा तय करने पर भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है कि इस बात से भारत सरकार किसी दबाव में नहीं है.दरअसल भारत के द्वारा रूस से उत्पादित कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने के साथ ही दुनिया के 7 सबसे विकसित देशों के संगठन ग्रुप 7 ने कीमतों की सीमा तय करने का प्रस्ताव दिया है जिसके मैकेनिज्म का ऐलान 5 दिसंबर को होगा. रूस मूल्य सीमा पहले ही धमकी दे चुका है कि अगर ये सीमाएं उसके हितों के अनुसार नहीं हुई तो वो तेल की मूल्य सीमा आपूर्ति बंद कर देगा. वहीं भारत पहले ही कह चुका है कि वो वहीं से तेल खरीदेगा जहां से कीमतें उसके नागरिकों के लिए बेहतर होंगी
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मूल्य सीमा
गरीब उपभोक्ताओं एवं उत्पादनकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए सरकार घरेलू कीमतों के लिए एक घोषित मूल्य सीमा तय करने पर विचार कर रही है।
सरकार का मानना है कि इस घोषित मूल्य सीमा के भीतर बिना किसी शुल्क व नियंत्रण के आयात व निर्यात मुक्त रूप से किये जाने की अनुमति दी जा सकती है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 के दौरान खाद्य तेल, लोहा एवं इस्पात एवं खनिज तेल व रिफाइनरी उत्पाद की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गयी थी और इन वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने इनके आयात शुल्क को कम या समाप्त कर दिया था।
दूसरी तरफ अनाज व दाल की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए सरकार ने उनके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में सरकार ने इन्हीं चीजों का खुलासा करते हुए एक घोषित मूल्य सीमा की बात कही है।
ऐसे में यदि अंतरराष्ट्रीय मूल्य इस सीमा से आगे चले भी जाये तो घरेलू कीमतें परिवर्ती आयात व निर्यात शुल्क लगाकर व्यवस्थागत रूप से कम हो जाएंगी। आयात व निर्यात शुल्क इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतें निचली सीमा से नीचे गयी है या ऊपरी मूल्य सीमा सीमा से ऊपर गयी है।
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