विशेषज्ञ राय

सेबी और म्युचुअल फंड

सेबी और म्युचुअल फंड
इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए इन आंतरिक नियंत्रणों में यूपीएसआई तक पहुंच रखने वाले सभी कर्मचारियों को नामित व्यक्तियों के रूप में पहचाना जाता है और सभी यूपीएसआई की पहचान करने और इसकी गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता होती है। इसे प्रभाव देने के लिए, सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग मानदंडों में संशोधन किया जो 24 नवंबर से प्रभावी हो गया

म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों को डिविडेंड, यूनिट बेचने से मिलने वाली राशि के भुगतान की समयसीमा घटी

सेबी ने कहा, ‘यूनिटधारकों को डिविडेंड का भुगतान रिकॉर्ड तिथि से सात कामकाजी दिनों के भीतर होगा।’ साथ ही यूनिट बेचने से प्राप्त राशि के अंतरण के लिये समयसीमा सेबी और म्युचुअल फंड मौजूदा 10 कामकाजी दिनों से घटाकर तीन कार्य दिवस कर दिया गया है।

सेबी ने कहा, ‘यूनिट बेचने से प्राप्त होने वाली राशि यूनिटधारकों (निवेशकों) को यूनिट बेचने की तिथि से तीन दिन के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी।’ जिन योजनाओं में कुल सेबी और म्युचुअल फंड संपत्ति में से कम-से-कम 80 प्रतिशत राशि अगर विदेशों में स्वीकृत निवेश उत्पादों में किया गया है तो ऐसी स्थिति में यूनिट बेचने से प्राप्त होने वाली राशि यूनिटधारकों को आवेदन देने की तिथि से पांच कामकाजी दिवस के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी।’

सेबी के साथ विचार-विमर्श कर उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स सेबी और म्युचुअल फंड इन इंडिया (AMFI) उन अपवाद परिस्थितियों की सूची प्रकाशित करेगा, जिसके कारण वह निवेशकों को निर्धारित समयसीमा में भुनायी गयी रकम देने में असमर्थन होंगे। साथ ही उन्हें यह बताना होगा कि ऐसी परिस्थिति में यूनिटधारकों को पैसा मिलने में कितना समय लगेगा। सूची का प्रकाशन 30 दिनों के भीतर किया जाएगा।

SEBI Order: म्यूचुअल फंड की नई स्कीमों पर जून तक लगा प्रतिबंध, निवेशकों के हित में सेबी का बड़ा फैसला

SEBI Order: म्यूचुअल फंड की नई स्कीमों पर जून तक लगा प्रतिबंध, निवेशकों के हित में सेबी का बड़ा फैसला

सेबी ने एनएफओ पर रोक निवेशकों के पैसे के साथ मौजूदा ट्रीटमेंट को लेकर लगाई है.

SEBI Order: अगले तीन महीने यानी जून 2022 तक म्यूचुअल फंड की कोई भी नई स्कीम नहीं लॉन्च होगी. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने इस पर रोक लगा दी है. सेबी ने इस सेबी और म्युचुअल फंड पर रोक निवेशकों के पैसे के साथ मौजूदा ट्रीटमेंट को लेकर लगाई है. अभी क्या होता है कि ब्रोकर्स और दूसरे इंटरमीडियरीज निवेशकों के पैसे को पहले अपने खाते में रखते हैं यानी पूल करते हैं और फिर इसे क्लीयरिंग कॉरपोरेशन या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास भेजते हैं.

इस बार डेडलाइन बढ़ोतरी के साथ एक शर्त

सेबी पहले ही अपने निर्देशों के पालन की डेडलाइन दो बार बढ़ा चुकी थी और एक बार फिर बढ़ाया है लेकिन इस बार एक लिमिट भी तय कर दी है. इंडस्ट्री, इंटरमीडियरीज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस और पेमेंट गेटवेज सेबी के निर्देशों के अनुपालन के लिए फोकस हो सकें और बिना देरी के इसका पालन हो, इसके लिए फंड हाउस को नया फंड ऑफर (NFO) लॉन्च करने पर ही रोक लगा दिया है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के चेयरमैन और आदित्य बिरला सन लाइफ एएमसी के सीईओ ए बालासुब्रमनियन ने कहा कि सेबी पैसों की पूलिंग के मौजूदा सिस्टम को पूरी तरह से बदलना चाहती है. बालाासुब्रमनियन के मुताबिक अभी निवेश का अधिकतम हिस्सा मौजूदा स्कीमों से आ रही है तो सेबी के निर्देशों का पालन करने में अधिक दिक्कत नहीं होगी.

पिछले साल अक्टूबर में सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन में शामिल इंटरमीडियरीज को एक मैकेनिज्म तैयार करने को कहा था ताकि निवेशकों के खाते से पैसे को क्लीयिरिंग कॉरपोरेशन तक सीधे पहुंचाया जा सके और निवेशकों को जब वापस पैसे भेजने हों तो सीधे निवेशकों के ही खाते में पहुंचे. इसका मतलब हुआ कि सेबी के निर्देशों के मुताबिक पे इन-पे आउट में स्टॉक ब्रोकर्स/क्लीयरिंग मेंबर्स इसे हैंडल नहीं कर सकेंगे. सेबी के इस निर्देश के अनुपालन के लिए बैंक, स्टॉक एक्सचेंज, पेमेंट गेटवेज और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को एसेट मैनेजमेंट कंपनीज (एएमसी) के साथ मिलकर युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है क्योंकि इसमें तकनीकी प्लेटफॉर्म, पेमेंट गेटवेज और ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म में बदलाव होगा. अब नए फंड इश्यू करने पर रोक लगी है इंडस्ट्री अपनी सारी एनर्जी इसी पर फोकस करेगी.

सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के तहत म्युचुअल फंड की खरीद, बिक्री में मानदंड में संशोधन किया

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के दायरे में म्यूचुअल फंड इकाइयों की खरीद और बिक्री लाने के लिए मानदंडों में संशोधन किया है। वर्तमान में, इनसाइडर ट्रेडिंग नियम सूचीबद्ध कंपनियों की प्रतिभूतियों में व्यवहार करने के लिए लागू होते हैं या अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) के कब्जे में होने पर सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित सेबी और म्युचुअल फंड होते हैं। म्युचुअल फंड की इकाइयों को विशेष रूप से नियमों के तहत प्रतिभूतियों की परिभाषा से बाहर रखा गया है।

सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन प्रकरण के बाद आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर आरोप लगाया गया सेबी और म्युचुअल फंड था कि छह ऋण योजनाओं को भुनाने के लिए बंद करने से पहले योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी को भुनाया गया था।

सेबी का म्युचुअल फंड्स को निर्देश, संदिग्ध टेलीग्राम ग्रुप्स के खिलाफ करें कार्रवाई

Sebi ने कहा है कि फंड्स को इसे रोकने के लिए सार्वजनिक नोटिस, पुलिस शिकायत/एफआईआर आदि दर्ज करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी संस्थाओं/ग्रुप्स को म्यूचुअल फंड के नाम का दुरुपयोग न होने पाये

कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर म्युचुअल फंड के नामों का दुरुपयोग करने वाली संस्थाओं पर कार्रवाई करने का फैसला किया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) (Securities and Exchange Board of India(Sebi) ने म्युचुअल फंड्स से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की नियमित निगरानी करने को कहा है। Sebi ने निवेशकों को लुभाने के सेबी और म्युचुअल फंड लिए म्युचुअल फंड के नाम का दुरुपयोग करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। सेबी ने फंड हाउसेज को लिखे एक पत्र में कहा है कि मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर कुछ संदिग्ध समूह देखे गए हैं। ये म्यूचुअल फंड्स के नामों को भ्रामक या गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं। सेबी और म्युचुअल फंड मनीकंट्रोल ने इस पत्र की कॉपी पढ़ी है।

म्यूचुअल फंड निवेशकों के अधिकार होंगे और सेबी और म्युचुअल फंड मजबूत, सेबी ने गठित की है एक विशेष समिति

शेयर बाजार के सूत्रों ने कहा है कि म्यूचुअल फंड के प्रति निवेशकों के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए दो महीने पहले एफएसडीसी की उच्चस्तरीय बैठक में यह सुझाव आया था कि सेबी और म्युचुअल फंड इससे जुड़े नियमों को ज्यादा विस्तार देने व इसमें नये बदलावों को स्थान देने की जरूरत है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: निवेश बाजार की नियामक एजेंसी सेबी फिलहाल म्यूचुअल फंड सेक्टर को लेकर कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रही है। एक हफ्ते पहले ही म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले निवेशकों को अपने निवेश को वापस लेने व उनकी लाभांश की राशि को लेने को लेकर नये नियम लागू करने के बाद सेबी इस सेक्टर के मौजूदा कई दूसरे नियमों को भी बदलने की तैयारी में है।

निवेशकों के अधिकारों में होगी बढ़ोतरी

नये नियम के जरिए निवेशकों के अधिकार को बढ़ाया जाएगा, उनके निवेश को और ज्यादा सुरक्षित बनाया जाएगा जबकि दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड (एमएफ) चलाने वाली कंपनियों के लिए भी निवेश के नियमों को बदला जाएगा। यानी एमएफ कंपनियां निवेशकों के पैसे को कहां कहां निवेश कर सकती हैं और निवेश की सीमा क्या होनी चाहिए, इससे जुड़े मौजूदा नियमों को भी बदला जाएगा। शेयर बाजार के सूत्रों ने कहा है कि म्यूचुअल फंड के प्रति निवेशकों के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए दो महीने पहले वित्तीय स्थायित्व व विकास समिति (एफएसडीसी) की उच्चस्तरीय बैठक में यह सुझाव आया था कि इससे जुड़े नियमों को ज्यादा विस्तार देने सेबी और म्युचुअल फंड व इसमें नये बदलावों को स्थान देने की जरूरत है।

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सेबी ने किया है समिति का गठन

उद्देश्य यह होना चाहिए कि म्यूचुअल फंड बाजार की मौजूदा व्यवस्था और परिपक्व हो और निवेशकों के साथ ही कंपनियों को भी ज्यादा विकल्प मिले। एफएसडीसी सेबी और म्युचुअल फंड में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा आरबीआइ, सेबी, पेंशन नियामक एजेंसी पीएफआरडीए, बीमा नियामक एजेंसी आइआरडीए के अलावा कुछ दूसरी एजेंसियों के चेयरमैन सदस्य होते हैं। इस बैठक के बाद ही सेबी की तरफ से एक समिति का गठन किया गया है। समिति की सिफारिशों को आगामी बजट से पहले अंतिम रूप देने को कहा गया है ताकि इसके कुछ हिस्से की घोषणा बजट 2023-24 में की जा सके। उक्त सूत्रों का कहना है कि समिति को कहा गया है कि वह म्यूचुअल फंड की तरफ से एक सेक्टर में या किसी एक कंपनी में अधिकतम निवेश करने की सीमा को बदलने पर भी अपने सुझाव दे।

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