विशेषज्ञ राय

शेयर बाजार के महत्व

शेयर बाजार के महत्व
शेयर बाजार का महत्व

Muhurat Trading 2022: दीपावली पर शेयर बाजारों में 1 घंटे के लिए होगी मुहूर्त ट्रेडिंग, जानें समय, इसका महत्व और बाकी डिटेल

हिंदू संवत वर्ष 2079 (Samvat 2079) की शुरुआत के पहले दिन दीपावली (Diwali 2022) पर भारतीय शेयर बाजार शाम सवा 6 बजे से सवा 7 बजे तक एक घंटे ‘मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading)’ के लिए खुले रहेंगे

हिंदू संवत वर्ष 2079 (Samvat 2079) की शुरुआत के पहले दिन दीपावली (Diwali 2022) पर सोमवार 24 अक्टूबर को प्रमुख शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में एक घंटे का विशेष कारोबारी सत्र होगा, जिससे ‘मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading)’ कहा जाता है।

दोनों शेयर बाजारों ने अलग-अलग सर्कुलर में बताया कि यह कारोबारी सत्र शाम को 6:15 PM से 7:15 PM के बीच होगा। ब्लॉक डील सेशन शाम 5.45 से शाम 6 बजे तक होगा और प्री-ओपनिंग सेशन शाम 6 बजे से शाम 6.08 बजे के बीच होगा।

दिवाली और लक्ष्मी पूजन के कारण इस दिन नियमित ट्रेडिंग बंद रहेगी। शेयर बाजार बस Muhurat Trading के लिए शाम में एक घंटे के लिए खुलेंगे। यह एक प्रतीकात्मक और पुरानी परंपरा है जिसे ट्रेडिंग कम्युनिटी ने पिछले 100 सालों से अधिक समय से बनाए रखा है और इसे हर साल मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ‘मुहूर्त’ के दौरान सौदे करना शुभ होता है और यह वित्तीय समृद्धि लाता है।

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ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म अपस्टॉक्स (Upstox) के डायरेक्टर पुनीत माहेश्वरी ने न्यूज एजेंसी से पीटीआई से बातचीत में कहा, "किसी भी नई चीज की शुरुआत करने के लिए दीपावली को सबसे अच्छा वक्त माना जाता है। बाजार में निवेशकों का सेंटीमेंट पॉजिटिव है और विभिन्न सेक्टर्स में खरीदारी हो रही है। माना जाता है कि इस सत्र के दौरान खरीदारी करने पर निवेशक को सालभर लाभ मिलता है।"

उन्होंने कहा कि यह सत्र केवल एक घंटे का है इसलिए नए कारोबारियों को इस दौरान सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव आता रहता है।

Sanctum Wealth में प्रॉडक्ट एंड सॉल्यूशंस के को-हेड मनीष जेलोका ने कहा कि संवत 2078 के दौरान (पिछली दिवाली से इस दिवाली तक) भारतीय शेयर बाजारों ने ग्लोबल बाजारों की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और इसे संवत 2079 में भी जारी रहने की उम्मीद शेयर बाजार के महत्व है। भारतीय शेयर बाजारों में 26 अक्टूबर को भी दिवाली बालिप्रतिपदा के मौके पर कारोबार बंद रहेगा।

आज सपाट बंद हुआ शेयर बाजार

इस बीत संवत के आखिरी दिन आज यानी शुक्रवार 21 अक्टूबर को बाजार फ्लैट बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 104.25 अंक यानी 0.18 फीसदी की बढ़त के साथ 59,307.15 के स्तर पर बंद हुआ। वही निफ्टी 12.30 अंक यानी 0.07 फीसदी की बढ़त के साथ 17,576.30 के स्तर पर बंद हुआ।

बैंकिंग शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिली। नतीजों के बाद एक्सिस बैंक 10% चढ़ा । वहीं कंज्यूमर गुड्स, मेटल शेयरों पर दबाव देखने को मिला। ब्रॉडर मार्केट पर नजर डालें तो आज मिडकैप, स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली रही। बीएसई का मिड कैप इंडेक्स 0.75 फीसदी की गिरावट के साथ 24,805.15 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स 0.60 फीसदी टूटकर 28,566.82 के स्तर पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष

शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय शेयर बाजार के महत्व या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।

शेयर बाजार के कार्य

1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।


2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।

3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।

4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।

5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।

शेयर बाजार का महत्व

शेयर बाजार का महत्व, कार्य और उद्देश्य तथा अर्थव्यवस्था में इसका योगदान। दुनिया के सभी देशों में शेयर बाजार होते हैं मगर इन्हैं किस लिये बनाया जाता है, इनका योगदान क्या है और ये क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये। क्यों प्रतिदिन समाचारों में इनके उतार चड़ाव को इतना महत्व दिया जाता है? आखिर शेयर बाजार में होता क्या है यह सब समझेंगे आसान हिंदी में। शेयर बाजार के अन्य सभी पहलुओं को समझने के लिये पढ़ें शेयर मार्किट हमारी साइट पर। Importance of Share Markets and it’s working.

शेयर बाजार का महत्व

शेयर बाजार का महत्व

शेयर बाजार का महत्व, कार्य और उद्देश्य

शेयर बाजार कंपनियों के लिये पैसा जुटाने के लिये मंच प्रदान करता है। यह कंपनियों के शेयरों की सार्वजनिक रूप से व्यापार करने की अनुमति देता है, और सार्वजनिक बाजार में कंपनियों को उनके स्वामित्व के अंश बेचकर विस्तार के लिए अतिरिक्त वित्तीय पूंजी जुटाने में मदद करता है। स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों को प्रतिभूतियों के व्यापार के लिये लिक्विडिटी यानी तरलता प्रदान करता है जिससे उन्हें तेज़ी से और आसानी से बेचा जा सके।

शेयर बाजार का महत्व कंपनियों और निवेशकों के लिये

कंपनियां शेयर इस लिये जारी करतीं हैं कि व्यवसाय के लिये पूंजी जुटाई जा सके। निवेशक कोई शेयर इस लिये खरीदते हैं जिससे वे कंपनी के विकास और मुनाफे में भागीदार बन सकें और उस शेयर की मांग बढ़ने पर उसे ऊंची कीमतों पर बेच सकें। शेयर बाजार कंपनियों और निवेशकों को इस सब के लिये मंच प्रदान करता है। शेयर बाजार का महत्व कंपनियों और निवेशकों के लिये एक सा ही है। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।

शेयर बाजार तरलता प्रदान करता है

शेयर बाजार मे किसी कंपनी के शेयर सुचिबद्ध होने के बाद लगभग हमेशा उसमें खरीददार और बेचने वाले उपलब्ध रहते हैं। शेयर बाजार वह मंच है जिस पर हमेशा शेयरों की उपलब्धता और तरलता बनी रहती है। इसी तरलता के कारण शेयर बाजार में निवेशकों के लिये निवेश करना और उससे लाभ उठाना आसान हो जाता है। प्रॉपर्टी और अन्य संपत्तियों को बेचने में ऐसी तरलता नहीं मिलती है।

शेयर बाजार अर्थव्यवस्था के मापक हैं

स्टॉक और अन्य संपत्तियों की कीमत आर्थिक गतिविधि की गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सामाजिक मनोदशा का संकेतक हो सकता है। एक अर्थव्यवस्था जहां शेयर बाजार में वृद्धि हो रही हो उसे उभरती हुई अर्थव्यवस्था माना जा सकता है। शेयर बाजार को अक्सर किसी भी देश की आर्थिक ताकत और विकास का प्राथमिक संकेतक माना जाता है। लंबी अवधी तक बढ़ते शेयर बाजार देश में बढ़ती आर्थिक गतिविधियों का संकेत देते हैं और गिरते बाजारों का मतलब यह हो सकता है कि आर्थिक गतिविधियां सिकुड़ रहीं हें।

नियंत्रण

शेयरों की कीमतें घरेलू निवेश और खपत को भी प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए केंद्रीय बैंक जैसे कि आरबीआई शेयर बाजार के नियंत्रण, व्यवहार और वित्तीय प्रणाली के कार्यों के सुचारू संचालन पर नजर रखते हैं। वास्तव में देश में वित्तीय स्थिरता पर नजर रखना ही आरबीआई का मुख्य काम है।

शेयर बाजार पर होता है आसान लेनदेन

एक्सचेंज प्रत्येक लेनदेन के लिए क्लीयरिंग हाउस के रूप में भी कार्य करते हैं जिसका अर्थ है कि वे शेयर बेचने वाले से एकत्र करते हैं और खरीदने वाले को वितरित करते हैं और शेयरों के विक्रेता को भुगतान की गारंटी देते हैं। यदि काउंटरपार्टी लेनदेन पर डिफ़ॉल्ट हो जाये तो उस स्थिति में स्टॉक एक्सचेंज व्यक्तिगत खरीदार या विक्रेता के जोखिम को समाप्त करते है।

शेयर बाजार में निवेशकों की बढ़ती रुचि

बैंक और शेयर बाजार मिल कर किसी भी देश में वित्तीय प्रणाली को समृद्ध बनाने में अपना अपना योगदान देते हैं। आंकड़ों के अनुसार हाल के दशकों में अधिकतर देशों में घरेलू निवेश में शेयरों का हिस्सा बाड़ी तेजी से बढ़ा है। हमारे देश में भी बढ़ते शेयर बाजार इसी तरह के संकेत दे रहे हैं। हाल के वर्षों में हमारे देश में युवाओं का रुझान SIP और म्यूचुअल फंड की तऱफ बढ़ा है। यह भी अप्रत्यक्ष रूप से शेयरों में निवेश का ही तरीका है।

शेयर बाजार का महत्व किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिये बहुत ही आवश्यक हो गया है जिसके बिना आर्थिक गतिविधियों को स्पीड नहीं मिल पाती है। आप भी शेयर बाजार सीखें और तरक्की की रफ्तार में शामिल हो जायें।

विश्व व्यवस्था में आर्थिकी का महत्व, बाजार पर प्रभुत्व कायम करने की होड़; एक्सपर्ट व्यू

पिछली सदी के अंतिम दशक तक विश्व व्यवस्था की दिशा और दशा को तय करने में रक्षा और विदेश नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। परंतु धीरे-धीरे यह परिदृश्य बदलता गया और इसमें आर्थिकी का योगदान भी महत्वपूर्ण होता गया।

डा. रहीस सिंह। पिछले तीन दशकों में दुनिया ने जियो-स्ट्रेटजी और जियो-पालिटिक्स के बहुत से खेल देखे, जिनका गहरा दुष्प्रभाव विश्व व्यवस्था से लेकर वैश्विक राजनीति और मानव जीवन पर भी पड़ा। इनमें से अधिकांश खेल ऐसे थे जिनके दुष्प्रभाव तो दिखाई दे रहे थे, लेकिन इनका संचालन करने वाली शक्तियां अदृश्य थीं। संभवतः इन्हीं शक्तियों को लेकर एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर ने अपने विदाई समारोह के अवसर पर यह टिप्पणी की थी कि प्रमुख निर्णय पर्दे के पीछे की शक्तियां लेती हैं, उन्हें (यानी व्हाइट हाउस शेयर बाजार के महत्व में बैठे राष्ट्रपति को) तो केवल अवगत कराया जाता है। अब समय बदल चुका है और अदृश्य शक्तियां, दृश्य रूप में दिखने लगी हैं। इसलिए अब पहले की तुलना में जियो-इकोनमिक्स अधिक प्रभावशाली हो गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले कुछ वर्षों से ‘2 प्लस 2’ (अर्थात रक्षा और विदेश नीति) डिप्लोमेसी द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख घटक बन चुकी है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब समय ‘3 प्लस 3’ डिप्लोमेसी एक निर्णायक चर (वैरिएबल) बन रही है जो नई विश्व व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है।

चूंकि इस तीसरे घटक को भारत के अंदर विश्लेषकों के एक बड़े वर्ग ने गंभीरता से नहीं परखा, इसीलिए जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में एक प्रश्न के जवाब में यह कहा कि रुपया कमजोर नहीं, बल्कि डालर मजबूत हो रहा है, तो उसे गंभीरता से नहीं लिया गया, बल्कि नकारात्मक नजरिए से भी देखा गया। जबकि वित्त मंत्री के शब्द थे, 'सबसे पहले, मैं इसे रुपये की गिरावट के रूप में नहीं देखूंगी, इसे मैं डालर की मजबूती के रूप में देखूंगी। डालर की मजबूती में लगातार वृद्धि हुई है। अन्य सभी मुद्राएं मजबूत डालर के मुकाबले प्रदर्शन कर रही हैं। आप जानते हैं, दरें बढ़ रही हैं और एक्सचेंज रेट भी डालर की मजबूती के पक्ष में है। भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।' इस वक्तव्य को बड़े कैनवास पर देखने की आवश्यकता थी, पर ऐसा हुआ नहीं।

डालरोनामिक्स

एक फिर से जियो-इकोनमिक्स की बात करते हैं, ताकि डालर इकोनमिक्स (डालरोनमिक्स) के पीछे के रणनीतिक गणित को समझा जा सके। जियो-इकोनमिक्स ने पिछले 30 वर्षों में जो चिन्ह छोड़े हैं, यदि उनका वृहत विश्लेषण किया जाए तो इस निष्कर्ष तक जरूर पहुंचा जा सकेगा कि युद्ध केवल सैन्य साजोसामान से नहीं लड़े जाते हैं और न केवल युद्ध के मैदान में, बल्कि युद्ध वस्तु, मुद्रा और पूंजी के बाजार में इससे कहीं अधिक निर्णायक तरीके से लड़े जाते हैं।

बीते दशक से लेकर अब तक के बीच चले मुद्रा युद्ध (करेंसी वार) और व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) इसके हाल के ही उदाहरण हैं। अभी भी युद्ध के मैदान में लड़े जाने वाले युद्धों का हम एक ही पक्ष देख पाते हैं और वह होता है सत्ता शीर्षों द्वारा लिए गए निर्णय, परंतु उसके पीछे मुद्रा और पूंजी के जो अदृश्य होते हैं, वे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इससे जुड़े कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं और ऐसे प्रश्न भी किए जा सकते हैं या पड़ताल की जा सकती है कि बर्लिन दीवार क्यों या कैसे टूटी? सोवियत संघ का पराभव क्यों और कैसे हुआ? क्या ये परिघटनाएं केवल राजनीतिक और सैन्य रणनीतियों का ही परिणाम थीं? स्पष्ट तौर पर नहीं?

यह संघर्ष पूंजीवादी-बाजारवाद और राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था के बीच था, जिसमें पूंजीवादी-बाजारवाद विजयी रहा था। यही कारण है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद पूंजीवाद पूरी दुनिया की नियति बनकर छाया और बाजारवाद पूरी दुनिया की नियामक शक्ति होने जैसा प्रदर्शन करता हुआ नजर आया। इसने कई उथल-पुथल पूरी दुनिया को दिखाए जिनमें हुए नुकसान युद्धों से कहीं अधिक थे।

अमेरिका इस खेल का मुख्य खिलाड़ी रहा जिसने आवश्यकतानुरूप मुद्रा और पूंजी बाजारों के मैकेनिज्म को प्रभावित किया। इस समय भी डालर दूसरी मुद्राओं के मुकाबले जो निरंतर ऊपर चढ़ता हुआ दिख रहा है, वह इसी तरह के खेल का परिणाम है, न कि किसी डिवाइन मैट्रिक्स का हिस्सा। हालांकि अभी अमेरिका यह समझना नहीं चाहता कि डालर के ऊपर चढ़ने का तात्कालिक प्रभाव (शार्ट टर्म इम्पैक्ट) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं, जबकि दीर्घावधिक (लांग टर्म) अमेरिका के हित में भी नहीं होगा।

डालर की मजबूती

इस विषय पर शायद किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए कि डालर के मुकाबले रुपया अपने ‘सर्वकालिक न्यूनतम स्तर’ पर बना हुआ है। लेकिन यह सिक्के का केवल एक पहलू है। डालर पिछले 22 वर्षों के उच्चतम स्तर पर है। इसके बावजूद जिस पक्ष को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन (अमेरिका) में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वक्तव्य के माध्यम से रखा, वह सही है। इसके साथ ही उन कारणों को भी शामिल किया जाना चाहिए जो बाहर पैदा हुए। इस तथ्य से सभी अवगत ही होंगे कि यूक्रेन युद्ध से एक नया वैश्विक संकट खड़ा हुआ जिसने सप्लाई चेन को प्रभावित किया जिससे प्रभावी मुद्रास्फीति पैदा हुई। इसी से वैश्विक अस्थिरता आई जिस कारण दुनिया की तमाम मुद्राएं डालर के मुकाबले नीचे गिरीं।

भारत यदि वैश्विक सप्लाई चेन का एक सक्रिय और प्रभावशाली घटक है तो स्वाभाविक रूप से भारतीय मुद्रा भी इसमें आने वाले परिवर्तनों से प्रभावित होगी। इसलिए रुपया भी दबाव में दिखा। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध जब शुरू हुआ था तब एक डालर 74.64 रुपये के बराबर था अब बीती एक नवंबर को यह 82.53 रुपये के बराबर था। लेकिन रुपये की तुलना में दुनिया की प्रमुख करेंसीज कहीं बहुत अधिक निराशाजनक प्रदर्शन करती हुई दिखीं, फिर वह चाहे ब्रिटिश पाउंड हो, यूरो हो, कनाडियन डालर हो, आस्ट्रेलियन डालर हो, वान हो, येन हो या शेयर बाजार के महत्व युआन। यहां एक बात और समझने योग्य है। भारतीय रुपया फरवरी से अब तक डालर के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत गिरा है। जबकि इसी अवधि में ब्रिटिश पाउंड में डालर के मुकाबले लगभग 23 प्रतिशत की गिरावट आई है, यूरो में लगभग 15 प्रतिशत की, जापानी येन में लगभग 20 प्रतिशत की, आस्ट्रेलियाई डालर में करीब 10 प्रतिशत की और चाइनीज युआन में करीब 11 प्रतिशत की। यानी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वैश्विक मुद्रा बाजार में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं शेयर बाजार के महत्व की मुद्राएं भी डालर के मुकाबले रुपये की तुलना में कहीं ज्यादा कमजोर प्रदर्शन कर रही हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों का सामना कर रही है। लेकिन फिर भी विशेषज्ञों का एक समूह यह मान रहा है कि दुनिया की जियो-पालिटिक्स अभी इस हद तक खराब नहीं हुई है कि मंदी आ जाए। फिर भी जियो-पालिटिक्स से शेयर बाजार के महत्व जुड़ी बहुत सी घटनाएं हैं जो अर्थव्यवस्था के अनुमानों को बदल सकती हैं। इसलिए मेरा मानना है कि जियो-इकोनमिक्स पर नजर रखने की आवश्यकता होगी, उसे ठीक से समझना होगा।

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