जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा

बीमा के बारे में जानें
बीमा की कार्यपद्धति और कंपनियों द्वारा मुनाफा कमाने/धनोपार्जन के तरीके
सोच कर आश्चर्य होता है कि, बीमा कंपनियाँ कैसे काम करतीं हैं और उनकी कारोबारी मॉडल क्या है ? वे आपकी छोटी प्रीमियम राशि से लाभ कैसे कमा लेते हैं? हम बताते हैं यह सब कैसे होता है.
प्रकृति के प्रकोप में आपका घर चला जाता है या सफ़र के दौरान आपका सामान गायब हो जाता है या आपकी कार कहीं टकरा जाती है या आपको काफी महँगे इलाज वाली किसी गंभीर बीमारी का पता चलता है, तब आप क्या करते हैं ? आराम से बैठ जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा जाते हैं ? बेशक नहीं. आप ऐसा नहीं करते, बल्कि उसका किसी तरह कोई न कोई उपाय करते हैं. ऐसे में इस अचानक घटना के कारण होने वाले भारी आर्थिक बोझ से आप काफी परेशान हो सकते हैं. लेकिन अगर आपने बीमा ले रखा है, तो ऐसी स्थितियों में खुद को परेशानियों से बचा सकते हैं.
ज़रा कल्पना कीजिये. आपके पास आपकी गंभीर बीमारी को कवर करने वाला एक जीवन बीमा होता, या अपने घर की क्षति की कीमत कवर करने वाला एक गृह बीमा होता, तो क्या उसके बाद आप निश्चिन्त नहीं रहते?
हम सभी जानते हैं कि भविष्य को किसी ने नहीं देखा है. इसलिए संभावित नुकसानों के विरुद्ध अच्छा सुरक्षा कवच का होना ज़रूरी है. और किसी सम्भावित नुकसान के समय या उसके बाद आपकी रक्षा के लिए केवल बीमा ही मददगार हो सकता है.
इस आलेख में बीमा क्या है, यह कैसे काम करता है और बीमा कंपनियाँ अपनी धनवृद्धि कैसे करती हैं, इन सभी बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है.
बीमा क्या है?
बीमा दुनिया भर में लोगों के लिए एक सम्पूर्ण जीवन-रक्षक साधन है. यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें बीमा कंपनी एक निर्धारित प्रीमियम के बदले में बीमित यानी बीमाधारक के नुकसान, क्षति, बीमारी या मृत्यु की स्थिति में क्षतिपूर्ति की गारंटी प्रदान करती है. इसके सहारे, कोई व्यक्ति या व्यावसायिक संस्थान आर्थिक नुकसान का अपना जोखिम एक कॉन्ट्रैक्ट (संविदा) के तहत बीमा कंपनी पर डाल देता है.
इसे और आसानी से ऐसे समझिये कि बीमा एक शानदार आर्थिक उत्पाद है जो नुकसान, चोरी या क्षति के जोखिम के मुकाबले आपकी और आपकी संपत्ति की रक्षा के लिए बीमा कंपनियों द्वारा बेचा जाता है. यह दुर्घटना, आगजनी, सेंधमारी, बाढ़ आदि के कारण होने वाले आर्थिक नुकसानों से सुरक्षा का आश्वासन देता है.
बीमा मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :
संपत्ति और दुर्घटना बीमा –यह कारोबार के मालिकों और व्यक्तियों को उनके माल-असबाब या परिसंपत्तियों से जुड़े भौतिक एवं आर्थिक नुकसानों से सुरक्षा प्रदान करता है.
जीवन और स्वास्थ्य बीमा –यह बीमाधारक को रुग्णता, रोग या अकाल मृत्यु के कारण होने वाले आर्थिक नुकसानों से सुरक्षा प्रदान करता है.
कुछ बीमा तो कानूनन अनिवार्य होते हैं, जैसे कि अगर आप मोटर वाहन चलाते हैं तो आपको मोटर वाहन बीमा लेना ही होगा. वहीं, कुछ बीमा ऐसे हैं जिन्हें आप अपनी मर्जी से चाहें तो ले सकते हैं, नहीं चाहें तो नहीं ले सकते हैं. जैसे कि जीवन बीमा, गृह बीमा, व्यवसाय बीमा, रिटायरमेंट बीमा आदि.
बीमा कैसे काम करता है?
आप जब कोई बीमा पालिसी खरीदते हैं, तब आपको प्रीमियम के रूप में बीमा कंपनी को नियमित भुगतान करना होता है. कोई नुकसान या क्षति होने पर आप अपनी बीमाकर्ता कंपनी में दावा करते हैं और वह पालिसी में कवर किये गए नुकसानों से होने वाली क्षति की आपको क्षतिपूर्ति करती है. अगर आप दावा नहीं करते हैं, तो आपका पैसा उसी बीमा कंपनी से बीमा लेने वाले दूसरे बीमाधारकों के प्रीमियम के साथ जमा होता जाता है. अगर आप दावा कर देते हैं, तो आपको बीमाधारक के प्रीमियमों के भण्डार में से लेकर दावा राशि की पूर्ति कर दी जाती है.
दूसरे रूप में इसका अर्थ हुआ कि आप प्रीमियम के रूप में जो छोटी राशि अदा करते हैं, वह संकट के समय कुछ लोगों के नुकसानों के एवज में भुगतान के लिए एक जगह जमा हो जाता है. इस प्रकार बीमा की कार्यपद्धति जोखिम और खर्चों के सहभाजन के सिद्धांत पर काम करती है.
चूंकि बीमा कंपनी को आप जो प्रीमियम की राशि अदा करते हैं वह कुल बीमित राशि के तुलना में काफी कम होती है, इसलिए आप बगैर परेशानी के साल दर साल प्रीमियम अदा करते जाते हैं. लेकिन क्या कभी सोचा है कि आपके द्वारा दी गयी इस छोटी राशि से बीमा कंपनिया इतना धन कैसे बना लेती हैं जिससे वह आपके दावा दर्ज करने पर इतनी बड़ी राशि का भुगतान कर देती है ? सारे खर्च और दावों का जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा ध्यान रखने के बाद वे कैसे लाभ अर्जित करती हैं? आइये, इसे समझते हैं.
बीमा कंपनियाँ मुनाफा कैसे कमाती हैं?
आप बीमा कंपनियों को जो प्रीमियम अदा करते हैं, उसे तीन तरह से इस्तेमाल किया जाता है. पहला, बीमा कंपनियाँ आने वाले दावों का भुगतान करने के लिए प्रीमियम की राशि का भण्डार खडा करतीं हैं. दूसरा, बीमा कंपनियाँ कारोबारी खर्चों के लिए कुछ प्रीमियम राशि बचा कर रखतीं हैं. तीसरा, बीमा कंपनियाँ वार्षिक प्रीमियम से अर्जित धन को कम जोखिम वाले विपत्रों में निवेश कर देती हैं. अब बीमा कंपनी की आमदनी के स्रोत को विस्तार से जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा समझते हैं.
बीमा कंपनिया निम्नलिखित दो स्रोतों से आमदनी कमातीं हैं :
बीमांकन आय (अंडरराइटिंग इनकम)
बीमा कंपनियाँ प्रत्येक पालिसी पर जोखिम का हिसाब लगातीं है और उसी के अनुसार प्रीमियम राशि तय करतीं हैं. बीमांकन आय और कुछ नहीं बल्कि बीमाधारकों से प्रीमियम के रूप में एकत्रित धन राशि और बीमा के दावों में चुकता राशि का अंतर है.
निवेश आय
बीमा कंपनियाँ प्रीमियम के रूप में प्राप्त राशि का एक छोटा हिस्सा कम जोखिम एवं सुनिश्चित आय वाली प्रतिभूतियों में और उच्च जोखिम एवं उच्च रिटर्न (हाई रिस्क और हाई रिटर्न) वाले इक्विटी मार्केट में निवेश कर देतीं हैं. इस जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो से बीमा कंपनियों को अपने निवेश पर शानदार रिटर्न अर्जित होता है. इन निवेशों पर जमा ब्याज के रूप में अर्जित आमदनी को बीमा कंपनियों द्वारा वेतन, कमीशन, प्राशसनिक खर्चे आदि जैसे विभिन्न कारोबारी खर्चों के भुगतान में इस्तेमाल किया जाता है.
संक्षेप में, बीमा कंपनियों की कमाई दो स्रोतों से होती है – बीमाधारकों से एकत्रित प्रीमियम से और उन प्रीमियमों के निवेश से उपार्जित आय से. इन उपार्जनों से बीमा कंपनियों को भविष्य में होने वाले दावों का भुगतान करने में, अपने खर्चों का भुगतान करने में और यथोचित लाभ अर्जित करने में मदद मिलती है.
निष्कर्ष
अप्रत्याशित या आकस्मिक विपरीत परिस्थितियों के मामले में बीमा बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. यह आपको न केवल तनाव से मुक्त रखता है, बल्कि बीमा कंपनियों को आमदनी भी प्रदान करता है जिसके बदले में हमारे अर्थतंत्र के विकास में मदद मिलती है.
आज संसार में संपत्ति से लेकर जीवन तक, वाहन से लेकर यात्रा तक, यानी हर चीज के लिए बीमा उपलब्ध हैं. अगर आप अनजाने भविष्य से अपनी सुरक्षा चाहते हैं, तो खुद के लिए, अपनी संपत्ति और अन्य कीमती वस्तुओं के लिए बीमा लेना बेहतर होगा
फूलों की खेती करके कमा सकते हैं भारी मुनाफा
हमारी यह खास रिपोर्ट उन सभी धरती पुत्रों के लिए बेहद खास होने जा रही है, जो फूल की खेती में अपना भविष्य तलाश रहे हैं.
फ्लोरीकल्चर में कदम रखते ही हमारे किसान भाई बेहद ही कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
क्या होता है ‘फ्लोरीकल्चर‘?
हमारे किसान भाइयों को सबसे पहले हम यह बताते चले कि आखिर यह ‘फ्लोरीक्लचर’ क्या होता है.
सामान्य भाषा में ‘फ्लोरीक्लचर’ का मतलब है, ‘फूलों की खेती’, आमतौर पर ‘फ्लोरीकल्चर’ के तहत विभिन्न किस्म के फूलों का उत्पादन कर उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जाता है, लेकिन हम आपको अपनी इस खास रिपोर्ट में सभी फूलों के बारे में तो नहीं लेकिन गेंदे के फूल की खेती के तरकीब के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इसकी खेती शुरू कर सकते हैं.
जानें, गेंदे की खेती कैसे करें ?
देखिए, आमतौर पर गेंदे के फूल के कई किस्म बाजार में मौजूद हैं, लेकिन हम आपको उन किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आप दिल्ली के ‘पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान’ से प्राप्त कर सकते हैं.
पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान के उद्दान विभाग की डॉ सपना से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘वैसे तो आपको गेंदे के फूल की कई किस्में बाजार में मिल जाएंगी, लेकिन आपको पूसा कृषि अनुसंधान से ‘पूसा नारंगीं गेंदा’ और ‘पूसा बसंती गेंदा’ के किस्म का फूल की बीज मिल जाएगी.
डॉ सपना ने बताया कि यह दोनों ही किस्में अफ्रीकन मेरी गोल्ड फूलों की श्रेणी में आती है. बता दें कि हमारे किसान भाइयों को गेंदे की फूल की खेती के बारे में तफसील से पूरी जानकारी देने के लिए हमारी डॉ सपना से कई मसलों पर विस्तार से वार्ता हुई. हम उन सभी मसलों को आपके सामने पूरे तफसील से पेश करने जा रहे हैं.
कितनी लगेगी लागत
देखिए, कोई भी व्यापार, खेती या कोई भी आर्थिक काम शुरू करने से पहले हमें उस पर लगने वाले लागत के बारे में जानना बेहद जरूरी है. वहीं, अगर बात गेंदे की खेती शुरू करने से पहले उस पर लगने वाले लागत की करें, तो डॉ सपना ने इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि शुरूआती दौर में हमारे किसान भाई एक एकड़ की जमीन पर अगर गेंदे की खेती करना चाहते हैं, तो उसमें 20 से 25 हजार रूपए की लागत आ सकती है, वो भी तब जब आप खेती की पूरी प्रक्रिया को खुद ही अंजाम देते हैं, अगर आप खेती की पूरी प्रक्रिया को किसी और से करवाते हैं, तो फिर आप इसमें मजदूरी लागत भी जोड़ लीजिएगा.
बुवाई
इसके अलावा अगर इस फूल के बुवाई की बात करें, तो प्रति एकड़ जमीन पर 800 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज लगता है.
बीज की बुवाई के बाद तकरीबन 25 दिन इसको पौध बनने में लगते हैं. आमतौर पर गेंदे के बीज की बुवाई अगस्त से सितंबर माह के बीच किया जाता है. फरवरी-मार्च में यह पूरी तरह तैयार हो जाता है.
बुवाई हेतु किस तरह के जलवायु की पड़ती है जरूरत
आमतौर पर भारत में सभी प्रकार के जलवायु में गेंदे की खेती की जाती है. इसकी खेती सर्दी, गर्मी और बरसात इन तीनों ही ऋतुओं में की जाती है.
बुवाई हेतु मिट्टी की जरूरत
यूं तो गेंदे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है, लेकिन अगर गहरी मृदा उर्वरायुक्त मिट्टी मिल जाए, जिसमें पानी का निकास बेहतर हो, तो यह गेंदे की खेती के लिए बेहद उपयुक्त रहती है, लेकिन विशेष रूप से बुलई-दोमट मृदा गेंदे की खेती के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.
खाद एवं उर्वरक
गेंदे की खेती करते समय खाद एवं उर्वरक का किरदार बेहद अहम होता है-
सड़ी हुई गोबर की खाद- 15-20 टन प्रति हेक्टेयर
यूरिया – 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर
सिंगल सुपर फॉस्फेट- 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
म्यूरेट ऑफ पोटाश- 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
ऐसे करें इसका प्रबंधन
वहीं अगर इसके प्रबंधन की बात करें, तो इसके लिए आपको विभिन्न बातों का ध्यान रखना होगा. आमतौर पर गेंदे की फूल के साथ खरपतवार की समस्याएं आती है. यह खरपतवार फूलों से पोषक तत्व चुराते हैं, जिसका दुष्प्रभाव फूलों की वृद्धि पर पड़ता है.
अब आपके जेहन में सवाल उठता है कि इन फूलों का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है. फूलों पर आने वाले खरपतवार पर आप रासायनिक तरीके से रोक लगा सकते हैं. इसके लिए एनिबेन 10 पॉन्ड, प्रोपेक्लोर और डिफेमेनिड 10 पोंड प्रति हेक्टेयर से सुरक्षित एवं संतोषजनक रहेगा.
अगर विप्रो के शेयर में लगाए होते 10,000 रुपये तो आज होते 899 करोड़ के मालिक
साल 1980 में विप्रो स्टॉक में जिसने भी केवल 10 हजार रुपये का निवेश किया होगा, उसका यह 10 हजार आज कंपनी द्वारा दिए गए सभी बोनस शेयर और Split के हिसाब से आज करीब 900 करोड़ हो गए होते।
Multibagger Wipro: अगर आप 10 साल तक इंतजार नहीं कर सकते तो आप शेयर बाजार में 10 मिनट के लिए भी न रुकें। यह शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले हर जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा निवेशक पर लागू होता है। अगर आपका पैसा अच्छे स्टॉक में लगा है तो इंतजार का फल इतना मीठा होगा कि आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। आप हजारपति से करोड़पति या अरबपति भी बन सकते हैं।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण विप्रो के शेयर हैं। साल 1980 में विप्रो स्टॉक में जिसने भी केवल 10 हजार रुपये का निवेश किया होगा, उसका यह 10 हजार आज कंपनी द्वारा दिए गए सभी बोनस शेयर और Split के हिसाब से आज करीब 900 करोड़ हो गए होते। वह भी तब जब इसमें कंपनी द्वारा समय-समय पर दिया गया डिविडेंड शामिल नहीं है। आइए समझें इसका गणित.
अगर कोई निवेशक 42 साल पहले यानी 1980 में केवल 10000 रुपये विप्रो के शेयरों में लगाया होता और आज तक इस स्टॉक में बना रहता तो आज की डेट में अरबपति होता। 1980 में विप्रो के शेयर की कीमत लगभग 100 रुपये थी, लेकिन अब 468 रुपये है। कंपनी शेयर Split करती गई और साथ में बोनस भी देती रही। इसका असर ये हुआ कि 1980 में जिसने 100 शेयर लिए थे, उसके पास बिना एक भी पैसा लगाए 25536000 शेयर होंगे। हालांकि शायद ही कोई निवेशक होगा, जो एक स्टॉक में इतने साल टिका रहा हो।
फाइनेंशियल सलाहकार शैलेष मणि त्रिपाठी कहते हैं कि शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले अधिकतर निवेशकों में धैर्य की कमी होती है। अगर पैसा डेढ़ गुना भी बढ़ा तो मुनाफा वूसली कर लेते हैं और घटा तो बेचकर स्टॉक से निकल लेते हैं। विप्रो ही नहीं आप Eicher, Symphony, Natco Pharma or Ajanta Pharma या फिर किसी और अच्छे स्टॉक में इतना समय दिए होते तो करोड़पति होते।
अब आइए जानें कैसे 10000 बन गए 899 करोड़
1980 में विप्रो के शेयरों में 10,000 रुपये लगाने वाले निवेशक को विप्रो कंपनी के 100 शेयर मिले। बोनस शेयर और Split के बाद 100 शेयर बढ़कर 25536000 शेयर हो गए। अब विप्रो के शेयर की कीमत 468 रुपये है। यानी अब उस 10000 रुपये की कीमत 468×25536000 = 8,99,19,36,000 हो गई है।
साल एक्टिविटी टोटल शेयर
1980 निवेश 100
1981 1:1 Bonus 200
1985 1:1 Bonus 400
1986 Share split to फेस वैल्यू Rs.10 4,000
1987 1:1 Bonus 8,000
1989 1:1 Bonus 16,000
1992 1:1 Bonus 32,000
1995 1:1 Bonus 64,000
1997 2:1 Bonus 1,92,000
1999 Share split to FV Rs.2 9,60,000
2004 2:1 Bonus 28,80,000
2005 1:1 Bonus 57,60,000
2010 2:3 Bonus 96,00,000
2017 1:1 Bonus 1,92,00,000
2019 1:3 Bonus 25536000
स्रोत: economictimes , एनएसई, बीएसई, elearnmarkets.com, investinginsights.जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा in
विप्रो एक बड़ी आईटी कंपनी है। हालांकि, विप्रो साबुन और वनस्पति तेल के कारोबार में भी है। विप्रो की शुरुआत 1945 में महाराष्ट्र में स्थित 'आलमनेर' नामक गांव में हुई थी। इस गांव में आज हर कोई करोड़पति है। हर परिवार के पास विप्रो कंपनी के शेयर हैं। यहां विप्रो कंपनी के कुछ शेयर बच्चे के पैदा होते ही उसके लिए खरीद लिए जाते हैं। गांव को 'करोड़पतियों का शहर' भी कहा जाता है।