विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार

श्रीलंका से स्थानीय मुद्रा व्यापार का विकल्प नहीं
भारत मौजूदा परिस्थितियों में श्रीलंका के साथ स्थानीय मुद्रा व्यापार को व्यावहारिक मान कर नहीं चल रहा है। इसकी वजह यह है कि भारत मानवीय आधार पर श्रीलंका को जिन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कर रहा है उनको छोड़कर फिलहाल वहां भारतीय सामानों की कोई मांग नहीं है।
इस चर्चा से अवगत एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'फिलहाल यह व्यावहारिक नहीं है। श्रीलंका के पास भारत को निर्यात करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। हम श्रीलंका को मदद करने पर ध्यान देना जारी रखेंगे।'
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष अजय सहाय ने कहा कि स्थानीय मुद्रा व्यापार के लिए एक प्रस्ताव पर सरकार की तरफ से चर्चा की गई थी।
उन्होंने कहा, 'हमने स्थानीय मुद्रा में व्यापार का प्रस्ताव दिया था। हमने कहा कि चूंकि व्यापार का संतुलन भारत के पक्ष में है लिहाजा हमारे पास ऐसी स्थिति होगी जिसमें पैसा हमारे खाते में होगा। चूंकि काफी कंपनियां भी श्रीलंका में मौजूद निवेश के अवसर पर विचार कर रहीं हैं ऐसे में उस पैसे का इस्तेमाल उनकी ओर से वहां पर निवेश के लिए किया जा सकता है। हालांकि, हम समझते हैं कि यह संकट की स्थिति जिसका हम सामना कर रहे हैं और हमारा ध्यान मानवीय मुद्दों पर होना चाहिए। कारोबार बाद में भी हो सकता है।'
श्रीलंका 1948 में आजाद होने के बाद अब तक के अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका को सबसे अधिक विदेशी मुद्रा की आमदनी विदेश से भेजे जाने वाले पैसे और वस्त्र निर्यात के बाद पर्यटन से होती है। कोविड की वजह से पर्यटन को बुरी तरह से धक्का लगा है।
विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व में फिर छाया गिरावट का दौर
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में बढ़त दर्ज होने के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। उधर स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में भी इस बार गिरावट दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से हुआ है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े : 10 जून, 2022 को
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 4.599 करोड़ डॉलर घटकर 596.458 अरब डॉलर पर आ गिरा है। जबकि, 3 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गिरा है। वहीं, उससे पहले 27 मई, 2022 को समाप्त सप्ताह में 3.9 बिलियन डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। उससे भी पहले देखा जाए तो 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर पर था। बताते चलें, 27 मई को विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त लगभग 10 हफ्तों तक लगातार दर्ज हो रही गिरावट के बाद यह दूसरी बार बढ़त दर्ज हुई है। उस समय दर्ज हुई बढ़त के बाद विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर से 600 अरब डॉलर को पार कर गया था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय तक लगातार बढ़त दर्ज होने के बाद आज गिरावट दर्ज हुई है। इस प्रकार समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 10 लाख डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 40.842 अरब डॉलर पर जा पहुंची है। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती हैं।
आंकड़ों के अनुसार IMF :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़कर होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) में देश का मुद्रा भंडार 4 करोड़ डॉलर घटकर 4.985 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि, IMF में देश का विशेष आहरण अधिकार (SDR) 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.388 अरब डॉलर पर आ पंहुचा है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास
देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।
करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार
साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
32.6 प्रतिशत की वृद्धि
इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।
भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार
दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।
रुपए को मिलती है मजबूती
रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।
आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी
जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।
FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।
विदेशी ऋण
सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।
भारत की लचीलापन
आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।
Forex trading | विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है और कैसे शुरू करें?
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विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है | what is Forex Trading
विदेशी मुद्रा व्यापार एक विदेशी मुद्रा बाजार में किया जाता है जहां एक प्रकार की मुद्रा का आदान-प्रदान किया जाता है या दूसरे प्रकार की मुद्रा के लिए कारोबार किया जाता है।
विदेशी मुद्रा व्यापार एक विदेशी मुद्रा बाजार में किया जाता है जहां एक प्रकार की मुद्रा का आदान-प्रदान किया जाता है या दूसरे प्रकार की मुद्रा के लिए कारोबार किया जाता है। करेंसी ट्रेडिंग को दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार माना जाता है। विदेशी मुद्रा बाजार के भीतर मुद्रा व्यापार में भाग लेने वाले खिलाड़ी सिटी बैंक और ड्यूश बैंक, राष्ट्रीयकृत और सरकारी बैंक, बहुराष्ट्रीय फर्म, वित्तीय संस्थान और निवेश कंपनियां जैसे बड़े बैंक हैं।
वर्तमान वैश्विक विदेशी मुद्रा बाजार की दैनिक मात्रा लगभग 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। दुनिया भर के बाजारों के विशाल आकार और उच्च तरलता को देखते हुए, छोटे खिलाड़ी आसानी से विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापार नहीं कर सकते हैं।
विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे करें
एक बाजार के भीतर व्यापार स्तरों में किया जाता है, जहां एक स्तर के खिलाड़ी के पास अन्य स्तरों तक पहुंच नहीं होती है। शीर्ष स्तर अंतर-बैंक बाजार है जिसमें ड्यूश बैंक, सिटी बैंक, स्विट्जरलैंड के यूनियन बैंक और दुनिया भर के अन्य बैंक जैसे बड़े बैंक शामिल हैं। शीर्ष दस खिलाड़ी विदेशी मुद्रा व्यापार में किए गए कुल कारोबार का 70% हिस्सा लेते हैं। शीर्ष स्तर में, स्प्रेड के रूप में ज्ञात बोली और पूछ मूल्य के बीच का अंतर बहुत ही कम है और बाहर के अन्य सर्किलों के लिए उपलब्ध नहीं है। जैसे-जैसे स्तर नीचे आते हैं, अंतर मुख्य रूप से कारोबार की मात्रा के कारण बढ़ता है। एक खिलाड़ी के लिए पहुंच का स्तर ‘लाइन’ द्वारा निर्धारित किया जाता है, वह धन जिसके साथ कोई व्यापार कर रहा है। मुद्रा व्यापार 2001 से आज लगभग दोगुना हो गया है मुख्य रूप से एक निवेश और परिसंपत्ति वर्ग के रूप में विदेशी मुद्रा व्यापार के पुनर्गठन और पेंशन फंड और हेज फंड की फंड प्रबंधन संपत्ति में वृद्धि के कारण।
वाणिज्यिक कंपनियां मुख्य रूप से अपने ग्राहकों को उनकी अच्छी या सेवाओं के लिए भुगतान करने और बड़े बैंकों की तुलना में कम मात्रा में व्यापार करने के लिए मुद्रा व्यापार करती हैं। निवेश प्रबंधन कंपनियां अपने ग्राहकों के पेंशन या बंदोबस्ती या निवेश पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने के लिए व्यापार करती हैं और आमतौर पर बड़ी मात्रा में होती हैं, क्योंकि उन्हें विदेशी इक्विटी में निवेश करना पड़ता है जिसके लिए उन्हें उन इक्विटी को खरीदने के लिए मुद्रा का आदान-प्रदान करना पड़ता है।
विदेशी मुद्रा व्यापार के गुण
आइए हम एक विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार की विशिष्ट विशेषताओं को देखें। ओवर-द-काउंटर प्रकृति के कारण, मुद्रा बाजार एक डॉलर या यूरो दर में व्यापार नहीं करता है, बल्कि केवल उस विशेष बाजार पर लागू दरों की एक अलग संख्या में व्यापार करता है। कोई केंद्रीय घर या हब या एक्सचेंज या क्लियरिंग हाउस नहीं है क्योंकि व्यापारी इस ओटीसी प्रकृति के कारण प्रत्येक के साथ सीधे सौदा करते हैं। आमतौर पर ये दरें एक दूसरे के करीब होती हैं; अन्यथा आर्बिट्राजर्स कहे जाने वाले विशेष व्यापारी दरों में अंतर का फायदा उठाते हैं और इससे भारी मुनाफा कमाते हैं। दुनिया भर में मुख्य व्यापारिक केंद्र लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो और सिंगापुर में हैं।
जैसे-जैसे समय क्षेत्र भिन्न होते हैं,
व्यापार लगभग 24 घंटे एक दिन किया जाता है। दर में उतार-चढ़ाव मुद्रास्फीति, बैंकों की ब्याज दरों, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि, व्यापार घाटे और अधिशेष, सीमा पार एम एंड ए सौदों, आर्थिक स्थितियों, वित्तीय स्वास्थ्य और कुछ अन्य मैक्रो आर्थिक स्थितियों में परिवर्तन के कारण होता है।
मुद्राओं का एक-दूसरे के लिए कारोबार किया जाता है और मुद्राओं की प्रत्येक जोड़ी एक अलग और अद्वितीय उत्पाद है और आमतौर पर XXX/YYY द्वारा दर्शाया जाता है। निर्माण के दौरान, XXX को आधार मुद्रा के रूप में जाना जाता है जो सबसे मजबूत है और YYY सबसे कमजोर है। आज अमेरिकी डॉलर लगभग 88% लेनदेन में है जिसके बाद यूरो (37%) और येन का स्थान आता है। सबसे अधिक कारोबार वाले जोड़े यूरो/यूएस डॉलर, यूएस डॉलर/येन और जीबी पाउंड/यूएस डॉलर हैं।
ट्रेडिंग विभिन्न प्रकार के इंस्ट्रूमेंट्स जैसे डेरिवेटिव, स्पॉट ट्रांजैक्शन, फॉरवर्ड ट्रांजैक्शन, ऑप्शंस और फ्यूचर्स, स्वैप और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड के माध्यम से की जाती है। मुद्रा सट्टा सट्टेबाजों द्वारा किया जाता है जो उन लोगों से जोखिम को स्थानांतरित करने का एक महत्वपूर्ण काम करते हैं जो इसे सहन नहीं कर सकते जो इसे सहन कर सकते हैं। सट्टेबाजों को हमेशा जोखिम के कारण विवादों का सामना करना पड़ता है
मुद्रा व्यापार कुछ कारकों जैसे आर्थिक और वित्तीय स्थितियों, राजनीतिक परिदृश्यों और बाजारों से संबंधित अन्य मनोवैज्ञानिक मुद्दों से प्रभावित होता है।
Indian Trade: शुरुआती कारोबार में 15 पैसे टूटा रुपया, 80.93 रूपये हुई एक डॉलर की कीमत
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को शुरुआती कारोबार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। घरेलू शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
रुपया 15 पैसे टूटकर 80.93 प्रति डॉलर पर
मुंबई: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को शुरुआती कारोबार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। घरेलू शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मजबूती के साथ 80.53 पर खुला। लेकिन बाद में इसने शुरुआती लाभ गंवा दिया और यह 15 पैसे के नुकसान के साथ 80.93 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था। (भाषा)
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