स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

जबकि अगर आप स्विंग ट्रेडिंग करते है तो आपको ब्रोकर की तरफ से कोइ मार्जिन नहीं दिया जाता है जिस कारण से आपको ट्रेड करने के लिए ज्यादा पैसो आवश्यकता होती है।
How to make money in intraday trading
इंट्राडे ट्रेडिंग दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली ट्रेडिंग है। यह भी सबसे अस्थिर और तनावपूर्ण में से एक है। यदि आप इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा कमाना चाहते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप जानते हैं कि नुकसान से बचने और अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखने के लिए क्या करना पड़ता है।
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जोखिमों को जानें
निवेश का जोखिम नुकसान की संभावना है। यह अनिश्चितता से अलग है, जो भविष्य की घटनाओं या परिणामों के बारे में ज्ञान की कमी है जिसके परिणामस्वरूप कुछ होने (या नहीं होने) की संभावना होती है। जोखिम भी समय और अस्थिरता का एक कार्य है, या समय के साथ आपकी संपत्ति में कितना उतार-चढ़ाव होता है।
जब आप स्टॉक या अन्य निवेश खरीदते हैं, तो आप कुछ जोखिम उठा रहे होते हैं – इस मामले में, यदि कीमत फिर से बढ़ने से पहले गिरती है तो आप पैसे खो सकते हैं (“जोखिम प्रीमियम”)। उस ने कहा, इस प्रकार के जोखिमों को कम करने के लिए रणनीतियाँ हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे समय के साथ आपके पोर्टफोलियो को प्रभावित नहीं करते हैं:
कम करें कि प्रत्येक व्यापार में कितना पैसा जाता है ताकि नुकसान होने में अधिक समय लगे; यह उन्हें त्रुटि के लिए कम जगह देगा
ब्रोकर द्वारा अनुशंसित की तुलना में अधिक लीवरेज वाले मार्जिन खातों का उपयोग करें
अपनी Time frame जानें
इंट्राडे ट्रेडिंग एक अल्पकालिक निवेश रणनीति है। इसमें एक ही दिन में ट्रेडिंग सिक्योरिटीज शामिल हैं, आमतौर पर किसी भी दिन सुबह 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे के बीच। इसका मतलब है कि स्टॉक एक घंटे के भीतर या उनकी दैनिक सीमा (या तीसरे) के दो तिहाई के भीतर खरीदे और बेचे जाते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग के कई फायदे हैं। सबसे पहले, आप पैसा कमा सकते हैं यदि आप जानते हैं कि आपके बाजार की स्थितियों के लिए कौन सी समय सीमा काम करती है और आप कितना जोखिम लेने को तैयार हैं। दूसरा, यह अन्य प्रकार के निवेशों की तरह जटिल नहीं स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान है क्योंकि दुनिया भर के बाजारों को प्रभावित करने वाले ब्याज दर आंदोलनों या मैक्रोइकॉनॉमिक घटनाओं जैसे कई अंतर्निहित कारक शामिल नहीं हैं; केवल यह मायने रखता है कि प्रत्येक महीने/तिमाही/वर्ष आदि के दौरान निश्चित दिनों के दौरान निश्चित समय पर कुछ शेयरों में पर्याप्त तरलता है या नहीं… तीसरा”, चौथा…
अनुसंधान और एक अच्छी रणनीति विकसित करें।
पहली बात यह है कि एक अच्छी रणनीति पर शोध और विकास करना है। अगर आपको नहीं पता कि इसका क्या मतलब है, तो चिंता न करें! यह उतना मुश्किल नहीं है जितना लगता है।
बाजार में कई अलग-अलग रणनीतियां उपलब्ध हैं, लेकिन उन सभी के अपने फायदे और नुकसान हैं। आपके लिए सही खोजने के लिए, निम्नलिखित पर विचार करें:
मैं किस प्रकार का व्यापार करना चाहता हूँ? डे-ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग? इंट्राडे या इंटरडे? सिंगल स्टॉक या इंडेक्स?
मैं कितनी बार ट्रेडिंग करूंगा (दैनिक/साप्ताहिक)? मेरे सिग्नल कितने समय तक चलने चाहिए (1 मिनट ऊपर/नीचे)? क्या मैं स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करूंगा या प्रॉफिट लूंगा। क्या मुझे किसी भी ट्रेलिंग स्टॉप लॉस की आवश्यकता है? क्या इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं अपनी इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीति के साथ शुरुआत करते समय कितनी पूंजी का उपयोग करता हूं
शेयर बाजार में स्विंग ट्रेडिंग क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग एक प्रकार की ट्रेडिंग शैली है जहां ट्रेडर किसी भी स्टॉक में अपनी पोजीशन ले कर उसको कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक होल्ड रखता है। स्विंग ट्रेडिंग का लक्ष्य उस समय सीमा के दौरान स्टॉक की कीमत में बदलाव से लाभ कमाना है।
सबसे अच्छाएंट्री और एग्जिट पॉइंट चुनने के लिए अधिकांश स्विंग ट्रेडर डेली चार्ट, 60 मिनट, 24 घंटे, 48 घंटे, आदि का उपयोग करते हैं। हालांकि, आप कम समय सीमा चार्ट का उपयोग भी कर सकते हैं, जैसे कि 4-घंटे या 1 घंटा चार्ट।
स्विंग ट्रेडर किसी भी स्टॉक में पोजीशन लेने से पहले उस स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस करता है और ये पता लगाने की कोशिश करता है कि किस स्टॉक में ट्रेंड की शुरुआत हो रही है जिससे कि वह शुरुआती ट्रेंड में ट्रेड ले और जब तक बना रहे जब तक की उस स्टॉक में ट्रेंड बदल न जाए, जिससे कि वह अच्छा प्रॉफिट कर सके।
स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
सबसे पहले, स्विंग ट्रेडिंग करते समय एक ट्रेडर को आमतौर पर मार्केट ट्रेंड और पैटर्नों को देखना होता है ताकि स्विंग ट्रेडर्स को डाउन ट्रेंड या अपट्रेंड वाले स्टॉक खोजने में मदद मिल सके।
स्विंग ट्रेडिंग में अगर ट्रेडर को लगता है कि कोई स्टॉक अगले कुछ दिनों या हफ्तों में अच्छी मूवमेंट करने वाला है, तो वे स्टॉक खरीद लेंगे और कीमत फिर से गिरने से पहले उसे बेच देंगे। वही दूसरी तरफ अगर उन्हें लगता है कि कोई स्टॉक अगले कुछ दिनों या हफ्तों में नीचे जाने वाला है, तो वे स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान उस स्टॉक को “शॉर्ट” करेंगे।
ज्यादातर समय, स्विंग ट्रेडर्स यह तय करने में लगाते हैं कि संभावित ट्रेड में जोखिम और अधिकतम लाभ को देखते हुए ट्रेड करना है या नहीं।
उदाहरण के लिए, यदि एक स्विंग ट्रेडर का मानना है कि अगले सप्ताह में किसी स्टॉक की कीमत बहुत तेजी से बढ़ सकती है, तो वह ट्रेडर उस जोखिम को लेने और कुछ शेयर खरीदने के लिए इच्छुक हो सकता हैं। क्योंकि वहां उसको कम जोखिम के साथ अच्छा प्रॉफिट करने का मौका मिल रहा है।
स्विंग ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
स्विंग ट्रेडिंग करने ट्रेडर को रूप में आपको टेक्निकल एनालिसिस की चाहिए, जिससे कि ऐसे स्टॉक्स को खोजने में सक्षम हो सके छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सके। इसलिए अगर आप स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही स्टॉक की तलाश करना चाहते है तो पहले टेक्निकल एनालिसिस सीखे, उसके उपरान्त डेली एंव स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान साप्ताहिक चार्ट पर ऐसे स्टॉक को ढूढ़े जो किसी सपोर्ट को तोड़ कर ऊपर निकल रहे हो। ऐसे स्टॉक छोटी अवधि में अच्छा पैसा कमा कर देते है।
स्विंग ट्रेडिंग का उद्देश्य क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग शैली है जिसका मुख्य उद्देश्य एक छोटी अवधि के भीतर स्टॉक खरीदना या बेचना शामिल है, जिससे की वह स्टॉक में होने वाले मूवमेंट से प्रॉफिट कर सके। एक स्विंग ट्रेडर आमतौर पर कुछ मूवमेंट दिखाने वाले शेयरों को खोजने की कोशिश करता है और ट्रेंड की शुरुआत में ट्रेड में प्रवेश करता है। ज्यादातर मामलों में, एक स्विंग ट्रेडर ट्रेंड खत्म होने से पहले ट्रेड से बाहर निकलने का प्रयास करता है।
स्विंग ट्रेडर्स अपनी पोजीशन स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान को 2 दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक बनाए रखना चाहते हैं, जिससे स्विंग ट्रेडिंग ट्रेड का अच्छे से फायदा लिया जा सके, स्विंग ट्रेड दो प्रकार के होते हैं:
1) काउंटर ट्रेंड स्विंग ट्रेड – स्टॉक के ट्रेंड की दिशा में रेजिस्टेंस या सपोर्ट एरिया में बेचना या खरीदना (उदाहरण के लिए, अपट्रेंड के दौरान स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान रेजिस्टेंस में बेचना या डाउनट्रेंड के सपोर्ट पर खरीदना)।
स्विंग ट्रेडिंग में की जनि वाली गलतिया
ज्यादा टूल्स का इस्तेमाल करना
ज्यादा टूल्स का इस्तेमाल करना। मतलब ट्रडिंग के लिए कभी इंडिगेटर का इस्तेमाल करते है। तो कभी किसीके स्टेटर्जी का या फिर बाहत सरे इंडिगेटर एक साथ इस्तेमाल कर लेंगे।
गलत टाइम फ्रेम
– बहुतसे लोग स्विंग ट्रेडिंग के लिए ५ मिनिट १५ मिनिट या १ घंटे का टाइम फ्रेम का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग करेते है। स्विंग ट्रडिंग में हमेशा दिन या हप्ते या महीने का टाइम फ्रेम स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान का इस्तेमाल करना चाहिए।
न्यूज़ पे ट्रेडिंग करना –
अगर हमारे ख़रीदे हुए शेयर को लेके अगर कोई ख़राब न्यूज़ आ जाती है। तो उस शेयर को हम बेच देते है। बिना एनालिसिस किये बिना उसका अभ्यास किये सिर्फ न्यूज़ को देखकर हम उस शेयर को बेच देते हे। ये हमारी सबसे बड़ी गलती है।
स्टेटर्जी को फॉलो नहीं करना –
अगर स्टेटर्जी में stoploss लगाना हे। तो स्टॉपलॉस लगनाहि जाहिए। कयी लोग क्या करते हे ,जब शेयर की प्राइज निचे जनि लगाती हे ,तो स्टॉपलॉस निकल देते है। स्टॉपलॉस लगाने की भी एक स्टेटर्जी होती हे अगर आप स्टॉपलॉस निकल देंगे तो बड़ा नुकसान होना तय हे।
swing trading statergy
swing trading in hindi
स्विंग ट्रेडिंग में आप एक चैनल का इस्तेमाल कर सकते है। जैसे की ऊपर चार्ट में दिख रहा है। शेयर प्राइज निचे आने पर उसे buy कीजिये। और ऊपर जाने पर दीजिये। कैसे की चार्ट में दिया गया हे वैसे ही। स्टॉक की प्राइज एक रंग में ऊपर की और जारही हे।
आपको काम समय में ज्यादा प्रॉफिट कमाना हे तो इसिहि स्टेटर्जी का इस्तमाल कीजिये। एक ऐसा शेयर ढूंढिए जो इस रेंज में चल रहा हो। और फिर उसमे स्विंग ट्रेडिंग कीजिये। और आपका स्टॉपलॉस हमेशा ट्रेंडलाइन के निचे लगाइये।क्यूंकि अगर स्टेटर्जी फेल भी गयी तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
suport & resistance statergy
swing trading in hindi
शेयर का प्राइज एक ऐसे रेंज में रहता हे। जहा उसका सपोर्ट और रेजिस्टेंस होता हे। इस स्टेटर्जी को भी आप इस्तेमाल करके प्रॉफिट बना सकते हो। जैसे ही शेयर सपोर्ट को पास अत है। आप उस शेयर स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान को खरीद सकते हो। और रेजिस्टेंस के पास जाने पर बेच सकते हो।
सपोर्ट पर buy करो और रेजिस्टेंस पर sell करो। और आपका स्टॉपलॉस ब्लू लाइन के निचे होना स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान चाहिए। कभी कभी स्टॉक brakout भी दे सकता है। यानि की रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर जा सकता है। अगर शेयर में बुलिश मोमेंटम रहा तो। या फिर उसकी अच्छी नई आने पर शेयर रेजिस्टेंस तोड़ सकता हे। उस टाइम पर हम हमारा स्टॉपलॉस सपोर्ट से उठाकर रेजिस्टेंस के निचे लगा सकते हे। उसे ही ट्रेलिंग स्टॉपलॉस कहा जाता है.
swing trading kaise kare
स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए वीकेंड में स्टॉक का daily frame ,और weekly frame में एनालिसिस करना चाहिए। जैसे की ऐसे स्टॉक्स ढूढने चाहिए जो की बुलिश मूमेंटम में हो। या फिर ऊपर दिए गए चार्ट के मुताबिक हो। तभी आप अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे। ऐसे बहुतसी स्टेटर्जी चार्ट में मौजूद होती है। लेकिन उन्हें सीखना पड़ता है। समझना पड़ता है। और बैक टेस्ट करके ही उनका इस्तेमाल करना पड़ता है। तब जेक आप अच्छा पैसा कमा सकेंगे।
अगर आपको घर बैठे ऑनलाइन स्विंग ट्रेडिंग में share kaise kharide aur beche ये पता नहीं हे। तो आप हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते है। उसमे हमने विस्तार में बताया है।
आज हमने क्या सीखा
आज हमने सीखा की swing trading in hindi क्या होता है। और स्विंग ट्रेडिंग में हम क्या क्या गलतिया करते हे। स्विंग ट्रडिंग फायदे से ज्यादा लोग गलतिया करके अपना नुकसान करते है। इसिलए हमेशा सही स्टेटर्जी का इस्तेमाल करना चाहिए।
ट्रेडिंग (Trading)
छोटे समय में लेनदेन की प्रक्रिया होती है इसमें हानि दोनों जुड़ी होती है एक ट्रेडर अपने लाभ को सोचकर ट्रेडिंग करता है जिसके लिए हमेशा कम दाम में खरीद कर उससे उससे ऊपर की दाम में बेचने की कोशिश करता है यह ट्रेडिंग कहलाता है
ट्रेडिंग वास्तव में थोक- चिल्लर दुकानों में होता है किंतु जब प्रक्रिया हर व्यवसाय में होता है या प्रक्रिया शेयर बाजार में भी होता है शेयर बाजार कि इस प्रक्रिया को कैसे क्रियान्वित किया जाता है और वह कैसे होता है आइए जानते हैं
यह एक प्रकार का व्यवसाय है जानते हैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग कितने प्रकार से किया जाता है
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के प्रकार
इंट्राडे (Intraday)
आज ही खरीद कर आज ही बेच देना इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाता है भारतीय शेयर बाजार में बाजार के खुलने का समय सुबह 9:15 से शाम 3:30 बजे तक चलता है इसमें मानक बढ़ते मूल्य (Uptrend) घटते मूल्य (Downtrend) को ध्यान में रखकर ट्रेडिंग की जाती है
शेयर मार्केट में क्या क्या खरीदा और बेचा जा सकता है जानते हैं
इक्विटी (Equity)
किसी भी कंपनी के शेयर की हिस्सेदारी का कुछ प्रतिशत खरीदना और बेचना जो समय समय में बदलते रहते हैं उसकी खरीदी बिक्री करना इक्विटी ट्रेडिंग होती है इसे इन्वेस्टमेंट के लिए भी खरीदा जाता है
कमोडिटी (Commodity)
इसमें नेचुरल रिसोर्सेज से आने वाले प्रोडक्ट का लेन देन जैसे गोल्ड मेटल सिल्वर क्रूड ऑयल आदि किया जाता है
करंसी (Currency)
इसमें अलग-अलग देशों की करेंसी के उतार-चढ़ाव को देखकर लेनदेन किया जाता है समय परिवर्तित होता रहता है किंतु देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है
डेरिवेटिव (Derivative)
शेयर मार्केट में यह एक ऐसा सिग्मेंट है जहां पर शेयर के लेनदेन के जगह उनके मूल्य के घटने और बढ़ने पर बोली लगाई जाती है और उस बोली का एक कॉन्ट्रैक्ट नोट बनता है क्योंकि यह कॉन्ट्रैक्ट नोट इसलिए यह कम पैसों में किया जा सकता है और इसमें हमें एक लौट मि खरीदी बिक्री की जाती है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट नोट है और कांटेक्ट नोट में एक नियत तिथि होती है जिसे एक्सपायरी भी कहा जाता है और यह पैसे कमाने का सबसे रिस्की और सस्ता तरीका है खरीदी को और बिकवाली को राइटिंग कहते हैं लौट में लेन देन होने के कारण इसमें प्रॉफिट और लॉस नफा नुकसान बहुत जल्दी दिखता है और इसे करने के लिए नॉर्मल ट्रेडिंग से ज्यादा प्रयास करना होता है
डेरीवेटिव के प्रकार
फ्यूचर
इसमें कॉन्ट्रैक्ट खरीदने या बेचने दोनों में काम किया जा सकता है किंतु एक्सपायरी मासिक होती है भारतीय बाजार में एक्सपायरी हर माह के अंतिम गुरुवार को होती है फ्यूचर में लॉस और प्रॉफिट दोनों इक्विटी जैसा ही होगा या यूं कहे तो आपने जितने पैसे लगाए हैं उसमें जो मूल्य दिखा रहा है उसके बराबर ही लॉस और प्रॉफिट हो सकता है और यह बहुत रिस्की ट्रेडिंग होती है
1- शेयरों का चुनाव सबसे स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान अहम
शेयर बाजार में निवेश करने में सबसे अहम होता है शेयरों का चुनाव. आपको जिस भी कंपनी का शेयर खरीदना है सबसे पहले उसके बारे में पूरी एनालिसिस करें. देखें कि कंपनी का बिजनस क्या है और कैसा चल रहा है. चेक करें कि कंपनी को फायदा हो रहा है या नुकसान. ये भी देखें कि कंपनी भविष्य को लेकर क्या प्लान बना रही है. इतना ही नहीं, कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में भी जरूर स्टडी करें, क्योंकि अगर मैनेजमेंट में ही गड़बड़ होगी तो तगड़ा मुनाफा देने वाली कंपनी भी भारी नुकसान का सबब बन सकती है.
वैसे तो शेयर बाजार में निवेश करने का सही समय क्या है, ये कोई नहीं बता सकता, लेकिन आपको इसका अनुमान लगाना होगा. इसके लिए आपको खबरों को अच्छे से पढ़ना होगा, ताकि इस बात का अंदाजा लगाया जा सके कि शेयर बाजार में तेजी कब से शुरू हो सकती है या ये पता चल सके कि कब तक बाजार गिरेगा. कोरोना काल में जब बाजार गिरने लगा तो बहुत सारे लोगों ने पैसे निकालने शुरू कर दिए. वहीं जो लोग बाजार और खबरों को अच्छे से ट्रैक कर रहे थे, उन्होंने निचले स्तरों पर पैसा लगाया और चंद महीनों में ही दोगुना-तिगुना मुनाफा कमाया. उस सही समय को अगर आप पहचान लेते हैं तो आपको भी तगड़ा मुनाफा हो सकता है.
3- निवेश पर करें फोकस, ट्रेडिंग पर नहीं
शेयर बाजार में पैसा लगाने का मतलब अधिकतर लोग ये समझते हैं कि हर रोज सुबह से शाम तक शेयर बाजार ही देखते रहें. उन्हें लगता है कि जैसै ही दाम बढ़ेंगे, शेयर बेचकर मुनाफा कमा लेंगे. कई लोग एक ही दिन में शेयर खरीद कर बेच देते हैं, जिसे इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है. वहीं कुछ लोग कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों में मुनाफा काट लेते हैं, जिसे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं. वहीं सबसे तगड़ा मुनाफा मिलता है निवेश से, जो लंबे वक्त के लिए किया जाता है. राकेश झुनझुनवाला से लेकर वॉरेन बफे तक सभी निवेश की सलाह देते हैं. कभी-कभी ट्रेडिंग बुरी बात नहीं, लेकिन अधिकतर समय निवेश के बारे में सोचना चाहिए.
शेयर बाजार में वह लोग अक्सर मुंह की खाते हैं, जो अपना सारा पैसा एक ही शेयर में झोंक देते हैं. शेयर बाजार में पैसा लगाते वक्त सारा पैसा एक ही शेयर में नहीं लगाना चाहिए, बल्कि एक पोर्टफोलियो बनाना चाहिए. अगर आप एक ही शेयर में पैसे लगाएंगे और उसमें नुकसान होता है तो आपके सारे पैसे डूब सकते हैं. वहीं अगर आपने एक पोर्टफोलियो बनाया होगा और आप कई शेयरों में थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाते हैं तो एक के नुकसान की भरपाई दूसरे शेयर से हो जाएगी.
5- टिप्स के चक्कर में कभी ना फंसें
शेयर बाजार में जो निवेश की शुरुआत करता है, वह शुरू-शुरू में कुछ लोगों से ये जरूर पूछता है कि किस शेयर में पैसे लगाने चाहिए. अगर आपने भी ऐसा कुछ किया है या करने की सोच रहे हैं तो ये ख्याल अपने मन से अभी निकाल दीजिए. तमाम दिग्गज निवेशकों की भी हमेशा यही सलाह रहती है कि टिप्स के चक्कर में ना पड़ें. ना ही झुनझुनवाला या बफे जैसे निवेशकों के पैटर्न को फॉलो करें. अगर कुछ गड़बड़ दिखती है तो वो तो अपना पैसा मार्केट से निकाल लेंगे, लेकिन आप फंसे रह जाएंगे. कभी भी टिप्स के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, बल्कि कंपनी के बारे में पूरी रिसर्च करने के बाद ही उसमें पैसे लगाने चाहिए.
शेयर बाजार में निवेश करते वक्त ग्लोबल न्यूज पर विशेष ध्यान रखें, खासकर अमेरिकन मार्केट पर. अगर विदेशी बाजार में उथल-पुथल होती है, तो उसका भारतीय शेयर बाजार पर असर दिखता ही है. जैसे ग्लोबल मंदी या अमेरिका में मंदी आने का असर भारत पर दिखता है. अगर फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाई जाती हैं, तो उसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता ही है. ऐसे में आपको ग्लोबल न्यूज और मार्केट सेंटिमेंट को ध्यान में रखते हुए ही शेयर बाजार में पैसे लगाने चाहिए.