प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं

Mangaluru Auto Blast मामले में इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल (आईआरसी) प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं ने आज विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। ब्लास्ट की जिम्मेदारी लेते हुए संगठन ने खुलासा किया कि आरोपी मोहम्मद शारिक कादरी में एक हिंदू मंदिर पर हमला करने वाला था।
Agni-3: भारत ने मध्यम दूरी की बैलिस्टिक अग्नि-3 मिसाइल का सफल परीक्षण किया
Agni-3 missile: "विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध" और "कोई पहला उपयोग नहीं" की रणनीतिक स्थिति भारत के परमाणु सिद्धांत के लिए महत्वपूर्ण हैं। (फाइल फोटो)
Nuclear Capable Intermediate Range Ballistic Missile: भारत ने ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप (Abdul Kalam Island, Odisha) प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं से परमाणु सक्षम इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) अग्नि -3 का बुधवार का सफल प्रशिक्षण लॉन्च किया। यह सामरिक बल कमांड, रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित नियमित उपयोगकर्ता प्रशिक्षण लॉन्च के हिस्से के रूप में किया गया। यह पहले से तय सीमा के लिए किया गया था और इस दौरान सिस्टम के सभी आपरेशनल पैरामीटर को लागू किया गया था।
48 टन वजन 16 मीटर लंबी मिसाइल, की रेंज 3000 किमी से अधिक है
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में बताया गया कि लॉन्च एक पूर्व निर्धारित सीमा के लिए किया गया था और सिस्टम के सभी आपरेशनल पैरामीटर को जांचा गया था। 48 टन वजन 16 मीटर लंबी मिसाइल, की रेंज 3000 किलोमीटर से अधिक है और यह 1.5 टन से अधिक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
सूत्रों ने कहा कि समुद्र में तैनात कई राडारों, टेलीमेट्री ऑब्जर्वेशन स्टेशनों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक उपकरणों और नौसेना के जहाजों द्वारा फ्लाइट ट्रेजेक्टरी को ट्रैक किया गया।
दो चरणों वाली सालिड प्रोपेल्ड पॉवर वाली आईआरबीएम (IRBM) सामरिक बल कमान के आपरेशनल दायरे में है, जो भारत के परमाणु कमांड प्राधिकरण का हिस्सा है और इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
Mangal Transit: 120 दिन शुक्र की राशि में विराजमान रहेंगे मंगल ग्रह, इन 3 राशि वालों को धनलाभ के साथ तरक्की के प्रबल योग
पहली बार परीक्षण 2006 में किया गया था
अग्नि-3 का पहला विकास परीक्षण जुलाई 2006 में किया गया था, लेकिन यह उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं दे सका। बाद में अप्रैल 2007 में इसका सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। तब से इस प्रणाली का कई बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। अग्नि प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं -3 का परीक्षण भारत की सामरिक महत्व की परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत के एक महीने बाद किया गया है, जिसने एक सबमेरिन लांच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल प्रक्षेपण किया।
एसएलबीएम (SLBM) लॉन्च के बाद, रक्षा मंत्रालय (MoD) ने कहा था: “यह लॉन्च चालक दल की योग्यता (crew competency) साबित करने और एसएसबीएन कार्यक्रम (SSBN programme) को प्रमाणित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो भारत की परमाणु निवारक क्षमता (nuclear deterrence capability) का एक प्रमुख प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं तत्व है। भारत की ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध (Credible Minimum Deterrence)’ की नीति को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत, उत्तरजीविता (survivable) और सुनिश्चित जवाबी क्षमता (assured retaliatory capability) है, जो प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं इसकी ‘नो फर्स्ट यूज (No First Use)’ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
उत्तर कोरिया : किम जोंग उन ने अमेरिका को दी परमाणु हथियार की धमकी
नई दिल्ली. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने शनिवार को परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी है. किम जोंग उन ने कहा कि उनका देश परमाणु हथियार के उपयोग से दुश्मन देशों को जवाब देता रहेगा. केसीएनए की रिपोर्ट में कहा गया है कि किम ने कहा कि प्योंगयांग परमाणु हथियारों का जवाब परमाणु हथियार से ही देगा. उत्तर कोरिया ने पूरे अमेरिका तक मार करने की क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया.
- दुश्मन की धमकी का देंगे करारा जवाब
- ह्वासोंग-17 आईसीबीएम का परीक्षण
- ह्वासोंग-17 कई हथियार ले जाने में सक्षम
दुश्मन की धमकी का देंगे करारा जवाब
निष्पादन याचिकाओं को छह महीने के भीतर निपटाया जाए, अगर असमर्थ हो तो अदालत लिखित कारण दर्ज करे : सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में, डिक्री धारक ने निष्पादन अदालत के एक आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 20.03.2019 को दायर उसकी निष्पादन याचिका की पहले प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं सुनवाई शीघ्र सुनवाई के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं था। जैसा कि हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं कर दिया, उन्होंने अपील में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें अनिवार्य रूप से यह तर्क दिया गया कि निष्पादन न्यायालय राहुल एस शाह बनाम जिनेंद्र कुमार गांधी (2021) 6 SCC 418 के फैसले में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है।
डिजिटल शक्ति 4.0 अभियान
हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने ‘डिजिटल शक्ति 4.0’ के रूप में डिजिटल शक्ति अभियान का चौथा चरण लॉन्च किया। अभियान के इस चरण का उद्देश्य साइबर स्पेस में होने वाली अवैध व अनुचित गतिविधियों के प्रति महिलाओं को कुशल और जागरूक करना है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इसे साइबरपीस फाउंडेशन और मेटा के सहयोग से लॉन्च किया है।
डिजिटल शक्ति अभियान के बारे में:
यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसे महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और साइबर स्पेस में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कौशल प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। देश में इस पहल के माध्यम से अब तक 3 लाख से अधिक महिलाओं को साइबर सुरक्षा उपायों, रिपोर्टिंग, निवारण तंत्र, डेटा गोपनीयता और प्रौद्योगिकी उपयोग के बारे में जागरूक किया गया है।
इंजीनियरी कोर का स्थापना दिवस
हर साल 18 नवंबर को भारतीय सेना इंजीनियरी कोर का स्थापना दिवस मनाती है। इस वर्ष भारतीय सेना ने इंजीनियरी कोर का 242वाँ स्थापना दिवस मनाया। इस स्थापना दिवस के अवसर पर इंजीनियरी कोर के इंजीनियर इन चीफ और सीनियर कर्नल कमाण्डेंट, लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह को आकाशवाणी के साथ विशेष भेंट के लिए अभिमंत्रित किया है कि वे भावी चुनौतियों से निपटने हेतु अधिक परिश्रम करने के लिए तैयार रहें।
भारतीय सेना में कोर ऑफ इंजीनियर्स की भूमिका:
कोर ऑफ इंजीनियर्स भारतीय सेना को युद्धक इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करता है। यह देश के सशस्त्र बलों और अन्य प्रतिरोध का उपयोग करने की सीमाएं रक्षा संगठनों के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास करता है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जनता को सहायता प्रदान करने के लिए देश की सीमाओं से संपर्क बनाए रखता है। कोर के चार स्तंभों कॉम्बैट इंजीनियर्स, मिलिट्री इंजीनियर सर्विस, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और मिलिट्री सर्वे के माध्यम से इन कार्यों को पूरा किया जाता है।
संगठन बोला- हम सफल हुए
संदेश में आगे कहा गया कि यह ऑपरेशन अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाया, लेकिन फिर भी हम इसे एक रणनीतिक दृष्टिकोण से सफल मानते हैं क्योंकि राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा वांछित होने और पीछा किए जाने के बावजूद आरोपी का पता नहीं लगाया जा सका था।